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राज्य के निजी स्कूलों की शुल्क संरचना में अविवेकपूर्ण बदलाव न किए जाएं

महाराष्ट्र इंग्लिश स्कूल टीचर्स एसोसिएशन और महाराष्ट्र इंग्लिश स्कूल ट्रस्टी एसोसिएशन द्वारा शालेय शिक्षा मंत्री वर्षा गायकवाड़ से मांग
- भिभावकों की ओर से स्कूल फ़ीस का भुगतान न करने से 6,00,000 शिक्षक और 1,50,000 सहायक स्टाफ़ प्रभावित होंगे
मुंबई, मार्च, (ह.ए. प्रतिनिधि)

राज्य के निजी स्कूलों की शुल्क संरचना में अविवेकपूर्ण बदलाव न किए जाएँ, क्योंकि इसकी वजह से उनके कर्मचारियों पर काफ़ी ज़्यादा और बुरा असर पड़ेगा। यह मांग लाखों शिक्षकगण, स्कूल सहकर्मियों का स्टाफ़ और ट्रस्टी ने महाराष्ट्र सरकार की शालेय शिक्षा मंत्री सुश्री वर्षा गायकवाड़ से की है।
महाराष्ट्र इंग्लिश स्कूल टीचर्स एसोसिएशन (मेस्टा) के साथ-साथ महाराष्ट्र इंग्लिश स्कूल ट्रस्टी एसोसिएशन (मेस्टा) ने अपनी माँगों का एक निवेदन महाराष्ट्र शालेय शिक्षामंत्री को दिया है। इस निवेदन में स्कूल फ़ीस वसूल करने से संबंधित विभाग की तरफ़ से पारित किए गए एक आदेश के कारण 6,00,000 शिक्षक और 1,50,000 शिक्षकेतर कर्मचारी और उनके परिवारों की परिस्थिति कितनी बिगड़ गई है, इसके बारे में विस्तार से समझाया गया है।
मेस्टा ने आगे यह भी कहा कि शिक्षक और स्कूल की आर्थिक परिस्थितियाँ अत्यंत दयनीय हो चुकी हैं और स्कूल का काम-काज चलाने के लिए और कर्मचारियों को पूरा वेतन देने के लिए त्वरित रूप से आर्थिक सहायता की अत्यंत आवश्यकता है। मेस्टा ने यह भय भी व्यक्त किया है कि शैक्षणिक संस्थानों के सामने ऐसे ही और आर्थिक समस्याएँ जारी रहीं, तो राज्य के हज़ारों स्कूल अस्थायी या स्थायी रूप से बंद करने पड़ सकते हैं, जिनके दूरगामी परिणाम हमारी आर्थिक प्रणाली पर पड़ेंगे।
मेस्टा ने यह भी ज़ाहिर किया है कि सरकार द्वारा लिए गए अनेक एकपक्षीय निर्णय शिक्षकों और प्रशासन, देखभाल, सुरक्षा और यातायात कर्मचारी आदि और उन पर निर्भर रहने वाले लोगों सहित सहायक कर्मचारियों की आजीविका पर काफ़ी बुरे परिणाम डालेंगे, क्योंकि ये सभी स्कूल फ़ीस पर ही निर्भर करते हैं। इसमें यह भी कहा गया है कि सरकारी स्कूलों से अलग इन निजी और गैर-अनुदानित स्कूलों के लिए आय का एकमात्र स्रोत स्कूल फ़ीस ही है, इसलिए इस निवेदन में सरकार से यह माँग की गई है कि जिस तरह वह स्टार्ट-अप सहित अन्य क्षेत्रों में आर्थिक पैकेज मुहैया करवाती है, उसी तरह हमारे कर्मचारियों को वेतन देने के लिए हमारी भी मदद करे।
निवेदन में यह कहा गया है कि सरकार इस मामले में हस्तक्षेप करे और नीचे दिए गए मुद्दों के आधार पर शिक्षकों की मदद करे :
1) न्यूनतम वेतन का भुगतान करना
2) पिछले चार वर्षों से लंबित आरटीई की देय राशि का भुगतान करना
3) शैक्षणिक वर्ष 2020-21 के लिए शासकीय कर और बिजली शुल्क माफ़ करना
4) राज्य सरकार द्वारा बनाई गई किसी भी नियामक समिति में मेस्टा के सदस्यों को पर्याप्त प्रतिनिधित्व देना, ताकि समिति के निर्णयों में निष्पक्षता सुनिश्चित की जा सके।

इस पत्र में यह कहा गया है कि स्कूल फ़ीस के बारे में कोर्ट के पहले के आदेश और हाल ही में मुंबई उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए आदेश की उचित व सही भावना को अमल में न लाने को लेकर शिक्षक भयभीत हैं।
मेस्टा के अध्यक्ष संजयराव तायडे पाटिल ने कहा, कुछ मुट्टी भर अभिभावक जो कि योग्य भी नहीं हैं, फ़ीस में कटौती करने की माँग कर रहे हैं। पिछले ही वर्ष स्कूलों ने संशोधित शुल्क लागू किया, लेकिन उसके कारण उन्हें कई आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है और बेरोज़गारों की संख्या लाखों में बढ़ेगी। लॉकडाउन के दौरान शिक्षकों ने जो कोशिशें की हैं और जो कड़ा परिश्रम किया है, अभिभावकों को चाहिए कि वे इस पर गौर करें, इसके बारे में सोचें। स्कूल से जुड़े सभी कर्मचारियों ने अपने कर्तव्य से आगे बढ़कर काम किया है और अत्याश्यक सेवा देने वाली अन्य संस्थाओं की ही तरह उन्हें भी ‘कोविड वॉरियर्स’ की उपाधि देकर सम्मानित किया जाना चाहिए, लेकिन इसके बजाए फ़ीस का भुगतान न किए जाने पर उनके वेतन में बड़े पैमाने पर कटौती करके उनका अपमान ही किया गया है। सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कोर्ट के आदेश को सही और उचित भावना के साथ अमल में लाया जाए।
मेस्टा के महासचिव विनोद कुलकर्णी ने कहा कि कर्नाटक की राज्य सरकार द्वारा पिछले सप्ताह तीस प्रतिशत फ़ीस कटौती की घोषणा के बाद जिस तरह वहाँ के शिक्षकों ने आंदोलन किया, उसी तरह महाराष्ट्र के शिक्षकों को भी राज्य भर में सत्याग्रह करना चाहिए, ताकि उनकी माँगें सुनी जा सकें। अब हमारे पास आने वाले दिनों में राज्य भर में विरोध प्रदर्शनों के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा है। अपने बच्चों के हितों और उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए अभिभावकों को चाहिए कि वे शिक्षकों का कल्याण भी सुनिश्चित करें। उच्च गुणवत्ता की शिक्षा की निरंतरता को बनाए रखने और उसका संरक्षण सुनिश्चित करने के लिए न्यूनतम सरकारी हस्तक्षेप सहित कार्य करने की हमारी स्वायत्तता और निष्ठा की रक्षा करना बेहद ज़रूरी है।
मेस्टा के बारे में जानकारी :
संस्थापक अध्यक्ष माननीय संजय तायडे पाटिल के नेतृत्व में सन् 2014 में महाराष्ट्र के अंग्रेज़ी माध्यम के स्कूलों की संख्या बढ़ाने और उनका सशक्तीकरण करने के लिए इस गैर-लाभकारी संस्था की स्थापना की गई। श्री तायडे संपूर्ण महाराष्ट्र में अंग्रेज़ी माध्यम के स्कूलों की प्रगति के लिए काम करते हैं। मेस्टा एक ऐसा एकमात्र मंच है जहाँ स्कूल ट्रस्टी को अपनी विविध चुनौतियों, कार्य-प्रणाली से जुड़ी समस्याओं और उनकी शिकायतों के निवारण के लिए न्याय मिला है। मेस्टा ने इन शिकायतों और अपीलों या माँगों को सरकार तक पहुँचा कर महाराष्ट्र शिक्षण प्रणाली में सुधार करने के महत्वपूर्ण कार्य के क्षेत्र में अपनी जगह बनाई है और अपने अनोखे व सक्षम अस्तित्व को कायम रखा है। माननीय संजय तायडे पाटिल के मार्गदर्शन में और सभी राज्य पदाधिकारियों की सहायता से अंग्रेज़ी माध्यम के सभी स्कूलों को मेस्टा की एक छत के नीचे लाना संभव हुआ है। आज 18,000 से ज़्यादा ट्रस्टी सदस्य और 80,000 शिक्षक मेस्टा से जुड़े हैं। महाराष्ट्र के 37 ज़िलों में मेस्टा की शाखाएँ स्थापित की गई हैं। यह मेस्टा की बहुत बड़ी सफलता है।

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