पुणे, अप्रैल (जिमाका)
पुणे जिला परिषद द्वारा शुरू की गई ई-मान्यता प्रणाली राज्य स्तर पर एक एकीकृत स्कूल प्रबंधन प्रणाली शुरू करने के लिए एक मार्गदर्शक होगी। राज्य के स्कूल शिक्षा मंत्री दीपक केसरकर ने जोर देकर कहा कि इस तरह की व्यवस्था विकसित करते समय सभी तरह की सुविधाएं एक जगह पर लाना जरूरी है।
पुणे जिला परिषद की ई-मान्यता प्रणाली का हाल ही में श्री केसरकर द्वारा वीडियों काँफ्रेसिंग के माध्यम से उद्घाटन किया गया था, तब वे बोल रहे थे। कार्यक्रम में स्कूल शिक्षा आयुक्त सूरज मांढरे, जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी आयुष प्रसाद, प्राथमिक शिक्षा निदेशक शरद गोसावी, योजना निदेशक महेश पालकर, प्रधानाध्यापक संघ के महेंद्र गणपुले, गणेश घोरपड़े, शिक्षा अधिकारी संध्या गायकवाड़ आदि उपस्थित थे।
श्री केसरकर ने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में पारदर्शिता जरूरी है। स्कूलों को विभिन्न स्वीकृतियां देते समय किसी तरह की गड़बड़ी से बचने के लिए यह प्रक्रिया ऑनलाइन की गई है। इस प्रक्रिया को सुचारू करने की जरूरत है और सिस्टम को अच्छी तरह से प्रशिक्षित करने और इस प्रक्रिया को और पारदर्शी बनाने की जरूरत है। अधिकारियों को सामान्य मान्यता प्रणाली में समस्याओं की समीक्षा करनी चाहिए।
राज्य स्तर पर लागू की जाने वाली एकीकृत विद्यालय प्रबंधन प्रणाली को लागू करते समय सभी सुविधाओं का एक ही मंच पर होना आवश्यक है। पुणे जैसे उन्नत जिले को ऐसी व्यवस्था विकसित करने की पहल करनी चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि कोई नया ऐप विकसित करते समय कई जगहों पर ऑफलाइन पर जोर देने के कारणों का पता लगाया जाना चाहिए और त्रुटियों को समाप्त किया जाना चाहिए।
श्री केसरकर ने यह भी आग्रह किया कि शिक्षा के क्षेत्र में सुविधाओं का निर्माण करते समय छात्रों के व्यक्तित्व विकास पर विचार किया जाना चाहिए और नए कौशल सिखाने का प्रयास किया जाना चाहिए। उन्होंने नई प्रणाली विकसित करने के लिए पुणे जिला परिषद की सराहना की।
आयुक्त श्री मांढरे ने कहा कि शिक्षा की गुणवत्ता और छात्रों का कल्याण शिक्षा विभाग की प्राथमिकता है। शिक्षा विभाग में पारदर्शिता और निष्पक्ष कार्यप्रणाली एक बड़ी चुनौती है। इस समस्या से निजात पाने के लिए डिजिटलाइजेशन जरूरी है। यह नागरिकों को भी सूचित करता है और गलतियों से बचाता है। इस प्रक्रिया के पूरा होने के बाद इसके चरणों को कम करने पर भी विचार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि पुणे जिला परिषद द्वारा पायलट स्तर पर विकसित यह प्रणाली एकीकृत स्कूल प्रबंधन प्रणाली के लिए उपयोगी होगी, इसकी कमियों को दूर कर राज्य स्तरीय सॉफ्टवेयर तैयार करना संभव होगा।
श्री प्रसाद ने कहा कि राज्य स्तर पर तैयार होने वाली प्रणाली में शामिल 16 आवेदनों में से चार पुणे जिले द्वारा शुरू की गई प्रणाली में हैं। स्व-अनुमोदन, प्रथम अनुमोदन, आरटीई के तहत 25 प्रतिशत शुल्क की प्रतिपूर्ति और नए EUDAIS नंबर के लिए आवेदन इसलिए ऑनलाइन किया जा सकता है। यह अनुभव राज्य स्तरीय व्यवस्था के काम आएगा। उन्होंने कहा कि यह व्यवस्था राज्य सरकार के निर्देशानुसार लागू की गई है।
जिला परिषद द्वारा शुरू की गई नई व्यवस्था के कारण स्व-मान्यता, प्रथम अनुमोदन, आरटीई के तहत 25 प्रतिशत शुल्क की प्रतिपूर्ति और नए ईयूडीएआईएस नंबर के संबंध में प्रस्ताव प्रस्तुत करने के कारण कार्यवाही की पूछताछ के लिए जिला परिषद नहीं जाना होगा। साथ ही बार-बार इसकी जानकारी देने में अधिकारियों व कर्मचारियों का समय बर्बाद नहीं होगा। इस अवसर पर प्राचार्य ने कहा कि यह व्यवस्था विद्यालयों के लिए उपयोगी होगी क्योंकि प्रस्ताव में त्रुटि का पता ऑनलाइन चलेगा और उसकी पूर्ति भी ऑनलाइन की जा सकेगी।
पुणे जिला परिषद द्वारा शुरू की गई ई-मान्यता प्रणाली राज्य स्तर पर एक एकीकृत स्कूल प्रबंधन प्रणाली शुरू करने के लिए एक मार्गदर्शक होगी। राज्य के स्कूल शिक्षा मंत्री दीपक केसरकर ने जोर देकर कहा कि इस तरह की व्यवस्था विकसित करते समय सभी तरह की सुविधाएं एक जगह पर लाना जरूरी है।
पुणे जिला परिषद की ई-मान्यता प्रणाली का हाल ही में श्री केसरकर द्वारा वीडियों काँफ्रेसिंग के माध्यम से उद्घाटन किया गया था, तब वे बोल रहे थे। कार्यक्रम में स्कूल शिक्षा आयुक्त सूरज मांढरे, जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी आयुष प्रसाद, प्राथमिक शिक्षा निदेशक शरद गोसावी, योजना निदेशक महेश पालकर, प्रधानाध्यापक संघ के महेंद्र गणपुले, गणेश घोरपड़े, शिक्षा अधिकारी संध्या गायकवाड़ आदि उपस्थित थे।
श्री केसरकर ने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में पारदर्शिता जरूरी है। स्कूलों को विभिन्न स्वीकृतियां देते समय किसी तरह की गड़बड़ी से बचने के लिए यह प्रक्रिया ऑनलाइन की गई है। इस प्रक्रिया को सुचारू करने की जरूरत है और सिस्टम को अच्छी तरह से प्रशिक्षित करने और इस प्रक्रिया को और पारदर्शी बनाने की जरूरत है। अधिकारियों को सामान्य मान्यता प्रणाली में समस्याओं की समीक्षा करनी चाहिए।
राज्य स्तर पर लागू की जाने वाली एकीकृत विद्यालय प्रबंधन प्रणाली को लागू करते समय सभी सुविधाओं का एक ही मंच पर होना आवश्यक है। पुणे जैसे उन्नत जिले को ऐसी व्यवस्था विकसित करने की पहल करनी चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि कोई नया ऐप विकसित करते समय कई जगहों पर ऑफलाइन पर जोर देने के कारणों का पता लगाया जाना चाहिए और त्रुटियों को समाप्त किया जाना चाहिए।
श्री केसरकर ने यह भी आग्रह किया कि शिक्षा के क्षेत्र में सुविधाओं का निर्माण करते समय छात्रों के व्यक्तित्व विकास पर विचार किया जाना चाहिए और नए कौशल सिखाने का प्रयास किया जाना चाहिए। उन्होंने नई प्रणाली विकसित करने के लिए पुणे जिला परिषद की सराहना की।
आयुक्त श्री मांढरे ने कहा कि शिक्षा की गुणवत्ता और छात्रों का कल्याण शिक्षा विभाग की प्राथमिकता है। शिक्षा विभाग में पारदर्शिता और निष्पक्ष कार्यप्रणाली एक बड़ी चुनौती है। इस समस्या से निजात पाने के लिए डिजिटलाइजेशन जरूरी है। यह नागरिकों को भी सूचित करता है और गलतियों से बचाता है। इस प्रक्रिया के पूरा होने के बाद इसके चरणों को कम करने पर भी विचार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि पुणे जिला परिषद द्वारा पायलट स्तर पर विकसित यह प्रणाली एकीकृत स्कूल प्रबंधन प्रणाली के लिए उपयोगी होगी, इसकी कमियों को दूर कर राज्य स्तरीय सॉफ्टवेयर तैयार करना संभव होगा।
श्री प्रसाद ने कहा कि राज्य स्तर पर तैयार होने वाली प्रणाली में शामिल 16 आवेदनों में से चार पुणे जिले द्वारा शुरू की गई प्रणाली में हैं। स्व-अनुमोदन, प्रथम अनुमोदन, आरटीई के तहत 25 प्रतिशत शुल्क की प्रतिपूर्ति और नए EUDAIS नंबर के लिए आवेदन इसलिए ऑनलाइन किया जा सकता है। यह अनुभव राज्य स्तरीय व्यवस्था के काम आएगा। उन्होंने कहा कि यह व्यवस्था राज्य सरकार के निर्देशानुसार लागू की गई है।
जिला परिषद द्वारा शुरू की गई नई व्यवस्था के कारण स्व-मान्यता, प्रथम अनुमोदन, आरटीई के तहत 25 प्रतिशत शुल्क की प्रतिपूर्ति और नए ईयूडीएआईएस नंबर के संबंध में प्रस्ताव प्रस्तुत करने के कारण कार्यवाही की पूछताछ के लिए जिला परिषद नहीं जाना होगा। साथ ही बार-बार इसकी जानकारी देने में अधिकारियों व कर्मचारियों का समय बर्बाद नहीं होगा। इस अवसर पर प्राचार्य ने कहा कि यह व्यवस्था विद्यालयों के लिए उपयोगी होगी क्योंकि प्रस्ताव में त्रुटि का पता ऑनलाइन चलेगा और उसकी पूर्ति भी ऑनलाइन की जा सकेगी।

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