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सीसीआई ने पुणे जिला परिषद द्वारा पिकोफॉल-सह-सिलाई मशीन की खरीद में हेराफेरी करने पर तीन आपूर्तिकर्ताओं के खिलाफ आदेश जारी किये

पुणे, मार्च (पसूका)

भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) को पिकोफाल-कम-सिलाई मशीन की खरीद के लिए पुणे जिला परिषद द्वारा मंगाई गई निविदा के संबंध में बोलियों में हेराफेरी करने के लिए, तीन आपूर्तिकर्ताओं के बीच हुए एक समझौते का पता चला है, जो प्रतिस्पर्धा अधिनियम, 2002 की धारा 3 (1)  तथा धारा3 (3) (डी) के प्रावधानों का उल्लंघन है। ये प्रावधान प्रतिस्पर्धा-विरोधी समझौतों पर रोक लगते हैं।
सीसीआई ने निष्कर्ष निकाला है कि बस कुछ ही रुपये के अंतर के साथ बोली की कीमतें एक दूसरे के बहुत करीब थीं। निविदा के लिए यह बोली मात्र संयोग नहीं थी, बल्कि बोलीदाताओं के बीच आम सहमति/समझ का परिणाम थी। सीसीआई ने कहा है कि बोली दाताओं की बोली की कीमतों के समग्र मूल्यांकन को अन्य कारकों के साथ भी जोड़ा गया है, जैसे एक आईपी एड्रेस, अन्य निविदाओं में समन्वय, कॉल डेटा रिकॉर्ड, मोबाइल स्थिति आदि। इससे स्पष्ट होता है कि बोली लगाने वालों के बीच कीमत तय करने के लिए एक समझौता हुआ था, जिसके परिणामस्वरूप पुणे जिला परिषद की उपरोक्त निविदा के लिए बोलियों में हेराफेरी की गई है।
सीसीआई ने यह भी कहा कि सार्वजनिक खरीद में इस तरह के आचरण, निविदा प्रक्रिया को कमजोर करने के अलावा, सरकारी खजाने पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं। तदनुसार, सीसीआई ने प्रतिस्पर्धा-विरोधी आचरण के लिए आपूर्तिकर्ताओं-मैसर्स क्लैसी कम्प्यूटर्स, मैसर्स नयन एजेंसीज और मैसर्स जवाहर ब्रदर्स में से प्रत्येक पर 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। इसके अलावा, अधिनियम की धारा 48 के संदर्भ में मेसर्स जवाहर ब्रदर्स के प्रत्येक व्यक्ति पर 10,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया है। अन्य दो बोलीदाता, एकल स्वामित्व वाली कंपनियां हैं और इस प्रकार, उनके संबंधित प्रोपराइटर पर कोई अलग जुर्माना नहीं लगाया जा रहा है। इसके अलावा, इन आपूर्तिकर्ताओं के खिलाफ रोक और अवांछनीय होने का आदेश भी जारी किया गया है।
आदेश, 2016 के केस नंबर 90 में 17.03.2021 को पारित किया गया और इसकी एक प्रति सीसीआई की वेबसाइट www.cci.gov.in पर अपलोड की गई है।

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