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कलम : क्रांति की चिंगारी का प्रतीक

श्री सुधीर मेथेकर
वरिष्ठ पत्रकार 
अध्यक्ष : हड़पसर साहित्य और संस्कृति मंडल
कलम के दो मायने होते हैं, यह हम सब अच्छी तरह जानते हैं, एक कलम वो है जिससे हम सभी कुछ ना कुछ लिखते हैं और दूसरी कलम का अर्थ हाथ कलम करना यानी हाथ को तोड़ना। 
यहाँ पर मैं लिखनेवाली कलम के बारे में कुछ कहना चाहता हूं। आज विश्व महामारी अर्थात कोरोना ने पूरी दुनिया को बहुत ही परेशान कर रखा है। इस बीमारी के कारण बहुत लोगों की जान चली गयी तो बहुत सारे लोगों की रोजी-रोटी चली गई। नन्हें-मुन्ने बच्चों के खेलकूद और स्कूल जीवन के विद्यार्थियों पर इसका बहुत बड़ा असर पड़ा है, उनके अध्ययन पर इसका गहरा प्रभाव हुआ है। पाठशाला और महाविद्यालय पूरे एक साल से बंद होने से अभ्यासक्रम पूरा नहीं हो पाया है और तो और ऑनलाइन शिक्षा प्रणाली से सीख पाना सभी छात्रों के लिए मुमकिन नहीं है क्योंकि हर छात्र के पास कम्प्यूटर भी उपलब्ध नहीं है। इसका असर उन छात्रों की पढ़ाई पर हो रहा है।
सबसे चिंताजनक बात जो है उसकी ओर मैं आपका ध्यान खींचना चाहता हूं कि आज के इस समय में देखा जाए तो कलम से लिखने की आदत भी बहुत कम होती हुई नजर आ रही है जो आगे चलकर बहुत घातक साबित हो सकती है। एक न्यूज पेपर में एक आर्टिकल मेरे पढ़ने में आया, आजकल बच्चे लिखने की आदत भूल रहे हैं, जिसे पढ़कर मेरे मन को बहुत वेदना हुई। इस पर गौर किया गया तो भविष्य में बच्चे कैसे लिख पायेंगे? यह बहुत बड़ी गंभीर समस्या हो जायेगी? इस समस्या को सुलझाने के लिए मैं अभिभावकों से तहेदिल से गुजारिश करना चाहता हूं कि आप सभी अपने-अपने बच्चों पर ध्यान दें और यही उचित समय है कि घर में बैठे-बैठे बच्चों को लिखने के लिए पूरा प्रोत्साहन दें। आप अपने समय को ध्यान में लाइए जब आपके अभिभावकों ने आपके हाथों को अपने हाथों में थामकर एक-एक शब्द लिखना किस तरह सिखाया था तो आज आप लिख पा रहे हैं। अब आपको भी उस समय को दोहराना है। समय बहुत कठिन है, लेकिन उसका हल निकालकर कर अपने बच्चों को उन्नति की राह पर आगे बढ़ना है, क्योंकि कलम क्रांति की चिंगारी का प्रतीक है।

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