श्रीनाथद्वारा, फरवरी (हड़पसर एक्सप्रेस न्यूज नेटवर्क)
राजस्थान ब्रजभाषा अकादमी, जयपुर एवं साहित्य मंडल , नाथद्वारा के संयुक्त तत्वावधान में ब्रज भाषा पाटोत्सव के अवसर पर ब्रजभाषा कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। जिसमें बरेली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एवं वरिष्ठ साहित्यकार आचार्य देवेंद्र देव ने अध्यक्षता की। इस अवसर पर बलदेव से पधारे वरिष्ठ कवि श्री राधा गोविंद पाठक ने कार्यक्रम की शुरुआत सरस्वती वंदना से की। आज अपनेन को फिर स्मरण है गयौ, यह बहानौ मिलो और नमन है गयौ" गीत सुना कर साहित्य मंडल के संस्थापक श्री भगवती प्रसाद देवपुरा जी को स्मरण किया। ब्रज के मिठलौने कवि श्री श्यामसुंदर कंचन छाता ने 'नाहक गीत लगाओ घर में कहा धरो बंटवारे में' कविता के माध्यम से वर्तमान समय में परिवार एवं समाज में बढ़ती विसंगतियों पर तीखा कटाक्ष रखा । डॉ अंजीव अंजुम ने 'लागे कृष्णा नाम आधौ राधा ही समूल है' के माध्यम से राधा कृष्ण की वंदना की। जाने-माने व्यंग्यकार एवं ब्रज भाषा के कवि श्री सुरेंद्र सार्थक ने फैल रही बेरोजगारी एवं भ्रष्टाचार की समस्या को लेकर देश के भेजे बेरोजगारों पर एक व्यंग 'मैं या देश का बेरोजगार का कपूत हूं' प्रस्तत कर सभी को तालियां बजवाने के लिए मजबूर किया। आगरा से पधारे श्री राम बाबू स्वदेशी ने अध्यात्म एवं ओज के गीत प्रस्तुत कर सभी के मन को मोह लिया। कांकरोली के युवा कवि श्री गौरव पालीवाल ने अपने छंद 'हम तो चाकर हैं वह चार हाथ वाले के' सुना कर एक शानदार प्रस्तुति दी। आगरा के कवि श्री शिव सागर शर्मा ने अपने पद एवं गीत 'कजरारी अखियां माही घनौई इतराए कजरा एवं किशन बिन सुनो है जमुना को तीर' के माध्यम से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर लिया। काम बन के कवि डॉ भगवान मकरंद ने मोबाइल को लेकर बहुत ही सुंदर गीत प्रस्तुत किया। उन्होंने 'लगी लगी नई बीमारी, आई है आफत भारी, कैसे छुड़ाएं पूछो यार हम' पंक्तियों से सभी को आनंदित किया साहित्य अकादमी के पूर्व सचिव श्री विट्ठल पारीक ने 'कैसो समय कुचक्र है कैसी या की चाल, हंसन को दे रही सजा कौवन की चौपाल' के माध्यम से आज के समाज एवं सरकारी तंत्रों की व्यवस्था पर अपने दोहों के माध्यम से तंज कसा। भरतपुर के कवि हरि ओम हरि ने अपने देशभक्ति गीतों से सभी में जोश भरा उन्होंने अपनी कविता जानते हो प्यारो जय भारत हमारो है सुनाई। जयपुर के कवि श्री भूपेंद्र भरतपुर ने अगर सांवरो ना हो तो को बांसुरी बजा तो सुनाई। कांकरोली के कवि श्री जितेंद्र सनाढ्य एवं बाल कवयित्री काव्या सोमानी ने अपनी कविताओं से सभी को आनंदित किया। कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ व्यंग्यकार सुरेंद्र सार्थक ने किया एवं प्रधानमंत्री श्री श्याम देवपुरा ने सभी आगंतुक अतिथियों का आभार व्यक्त किया । इस अवसर पर श्रीमती रेखा लोढ़ा, श्रीमती सुनीता शर्मा, श्रीमती ललिता देवपुरा, श्री प्रद्युम्न देवपुरा, श्री अनिरुद्ध देवपुरा, श्री वीरेंद्र लोढा, श्री युवराज सिंह यशस्वी , नेत्रपाल राघव, उमादत्त शर्मा, सुरेश चंद शर्मा, अकादमी के सचिव एवं पर्यवेक्षक भी उपस्थित थे।
राजस्थान ब्रजभाषा अकादमी, जयपुर एवं साहित्य मंडल , नाथद्वारा के संयुक्त तत्वावधान में ब्रज भाषा पाटोत्सव के अवसर पर ब्रजभाषा कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। जिसमें बरेली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एवं वरिष्ठ साहित्यकार आचार्य देवेंद्र देव ने अध्यक्षता की। इस अवसर पर बलदेव से पधारे वरिष्ठ कवि श्री राधा गोविंद पाठक ने कार्यक्रम की शुरुआत सरस्वती वंदना से की। आज अपनेन को फिर स्मरण है गयौ, यह बहानौ मिलो और नमन है गयौ" गीत सुना कर साहित्य मंडल के संस्थापक श्री भगवती प्रसाद देवपुरा जी को स्मरण किया। ब्रज के मिठलौने कवि श्री श्यामसुंदर कंचन छाता ने 'नाहक गीत लगाओ घर में कहा धरो बंटवारे में' कविता के माध्यम से वर्तमान समय में परिवार एवं समाज में बढ़ती विसंगतियों पर तीखा कटाक्ष रखा । डॉ अंजीव अंजुम ने 'लागे कृष्णा नाम आधौ राधा ही समूल है' के माध्यम से राधा कृष्ण की वंदना की। जाने-माने व्यंग्यकार एवं ब्रज भाषा के कवि श्री सुरेंद्र सार्थक ने फैल रही बेरोजगारी एवं भ्रष्टाचार की समस्या को लेकर देश के भेजे बेरोजगारों पर एक व्यंग 'मैं या देश का बेरोजगार का कपूत हूं' प्रस्तत कर सभी को तालियां बजवाने के लिए मजबूर किया। आगरा से पधारे श्री राम बाबू स्वदेशी ने अध्यात्म एवं ओज के गीत प्रस्तुत कर सभी के मन को मोह लिया। कांकरोली के युवा कवि श्री गौरव पालीवाल ने अपने छंद 'हम तो चाकर हैं वह चार हाथ वाले के' सुना कर एक शानदार प्रस्तुति दी। आगरा के कवि श्री शिव सागर शर्मा ने अपने पद एवं गीत 'कजरारी अखियां माही घनौई इतराए कजरा एवं किशन बिन सुनो है जमुना को तीर' के माध्यम से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर लिया। काम बन के कवि डॉ भगवान मकरंद ने मोबाइल को लेकर बहुत ही सुंदर गीत प्रस्तुत किया। उन्होंने 'लगी लगी नई बीमारी, आई है आफत भारी, कैसे छुड़ाएं पूछो यार हम' पंक्तियों से सभी को आनंदित किया साहित्य अकादमी के पूर्व सचिव श्री विट्ठल पारीक ने 'कैसो समय कुचक्र है कैसी या की चाल, हंसन को दे रही सजा कौवन की चौपाल' के माध्यम से आज के समाज एवं सरकारी तंत्रों की व्यवस्था पर अपने दोहों के माध्यम से तंज कसा। भरतपुर के कवि हरि ओम हरि ने अपने देशभक्ति गीतों से सभी में जोश भरा उन्होंने अपनी कविता जानते हो प्यारो जय भारत हमारो है सुनाई। जयपुर के कवि श्री भूपेंद्र भरतपुर ने अगर सांवरो ना हो तो को बांसुरी बजा तो सुनाई। कांकरोली के कवि श्री जितेंद्र सनाढ्य एवं बाल कवयित्री काव्या सोमानी ने अपनी कविताओं से सभी को आनंदित किया। कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ व्यंग्यकार सुरेंद्र सार्थक ने किया एवं प्रधानमंत्री श्री श्याम देवपुरा ने सभी आगंतुक अतिथियों का आभार व्यक्त किया । इस अवसर पर श्रीमती रेखा लोढ़ा, श्रीमती सुनीता शर्मा, श्रीमती ललिता देवपुरा, श्री प्रद्युम्न देवपुरा, श्री अनिरुद्ध देवपुरा, श्री वीरेंद्र लोढा, श्री युवराज सिंह यशस्वी , नेत्रपाल राघव, उमादत्त शर्मा, सुरेश चंद शर्मा, अकादमी के सचिव एवं पर्यवेक्षक भी उपस्थित थे।

0 टिप्पणियाँ