पुणे, फरवरी (हड़पसर एक्सप्रेस न्यूज नेटवर्क)
छत्रपति शिवाजी महाराज के पावन अवतरण दिवस पर प्रधान नियंत्रक (रक्षा लेखा) दक्षिण कमान, पुणे कार्यालय में दिनांक 19/02/2023 को “शिव जयंती” कार्यक्रम का भव्य आयोजन किया गया। इस उत्कृष्ट कार्यक्रम में डॉ. राजीव चव्हाण, भा.र.ले.से., एनडीसी, प्रधान नियंत्रक (रक्षा लेखा) दक्षिण कमान महोदय एवं डॉ. संजीव चव्हाण, नागपुर सहित अन्य भा.र.ले.से अधिकारी, वरिष्ठ अधिकारी और कर्मचारी गण उपस्थित थे। कार्यक्रम का शुभारंभ आदरणीय प्रधान नियंत्रक महोदय व अन्य भा.र.ले.से अधिकारियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। तत्पश्चात आदरणीय प्रधान नियंत्रक महोदय व डॉ. संजीव चव्हाण ने भारत के वीर सपूत श्रीमंत छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा को माल्यार्पण कर विनम्र अभिवादन व शत शत नमन किया। कार्यक्रम में उपस्थित अन्य भा.र.ले.से अधिकारी श्रीमति पूजा भट, रक्षा लेखा वरिष्ठ उप नियंत्रक, श्री स्वप्निल हनमाने, रक्षा लेखा सहायक नियंत्रक, श्री ऋषिकेश देशमुख, रक्षा लेखा सहायक नियंत्रक, श्री पी बी अग्रवाल, रक्षा लेखा सहायक नियंत्रक व कार्यालय के अन्य अधिकारियों व कर्मचारियों ने भी छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा को पुष्प अर्पित कर आदरांजली अर्पित की।
उक्त अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. राजीव चव्हाण, भा.र.ले.से., एनडीसी, प्रधान नियंत्रक (रक्षा लेखा) दक्षिण कमान महोदय ने प्रमुख अतिथि व उपस्थित सभी गणमान्य जनों को उनकी उपस्थिती के लिए धन्यवाद अर्पित कर छत्रपति शिवाजी महाराज की अनेक वीर गाथाओं का सजीव चित्रण प्रस्तुत करते हुए कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज ने पहली बार 16 साल की उम्र में तोरना किले पर विजय प्राप्त कर स्वराज्य की शुरुआत करने के लिए तलवार उठाई थी और तभी से मराठा साम्राज्य की नीव रखी गई। उन्होने आगे यह भी बताया कि बहुत से लोग महाराज को हिन्दू हृदय सम्राट कहते हैं, तो कुछ लोग इन्हें मराठा गौरव कहते हैं, जबकि वे सम्पूर्ण भारतवर्ष के सर्वधर्म सद्भाव रखने वाले एक वीर महापुरुष-महानायक थे। वे अत्यंत चतुर, बुद्धिमान, शौर्यवान, निडर, सर्वाधिक शक्तिशाली, बहादुर और एक बेहद कुशल शासक एवं राजनीतिज्ञ थे। उन्होने अपने कौशल और योग्यता के बल पर मराठों को संगठित कर मराठा साम्राज्य की स्थापना की थी। उनके किस्से आज भी समस्त युवा पीढ़ी को गौरवान्वित और उत्साहित करते हैं।
वीरता के प्रखर व्यक्तित्व को पुनः नमन करते हुए डॉ. राजीव चव्हाण, भा.र.ले.से., एनडीसी, प्रधान नियंत्रक (रक्षा लेखा) महोदय ने कहा कि हमें भी स्वयं को छत्रपति शिवाजी महाराज के उच्च विचारों और वीरता के घटकों को अपने व्यक्तित्व में समावेश करना चाहिए। अपने राष्ट्र, धर्म, प्रदेश, समाज व कर्तव्यों के प्रति अधिक सजग रहने की सलाह सभी को देते हुए उन्होने कार्यक्रम को आगे बढ़ाया। तत्पश्चात, कार्यक्रम में उपस्थित प्रमुख अतिथि डॉ संजीव चव्हाण ने भी मार्गदर्शन किया एवं अपने ओजस्वी सम्बोधन से कार्यक्रम की गरिमा बढ़ाई। मराठा के उदय के बारे में विशेष कुछ बिन्दुओं को उन्होने प्रकाशित किया जिनमें मुख्यतः आदिलशाही और दक्खनी सल्तनत में मराठों को युद्ध में अच्छा खासा अनुभव मिला था। छत्रपति शिवाजी महाराज और उनकी सेना गुरिल्ला युद्ध पद्धति में विशेष रूप से निपुण थे, उन्होने अपनी सेना को कठिन से कठिन परिस्थिति में रहने के लिए तैयार किया था। अनेक दुर्गुणों और फुर्ती की कमी के कारण मुग़ल सेना छत्रपति शिवाजी महाराज की फुर्तीली सेना का सामना नहीं कर पाई। छत्रपति शिवाजी महाराज ने महाराष्ट्र के विभिन्न भागों में 300 से अधिक किलों की निर्मिति कारवाई। महाराष्ट्र के महान धार्मिक संत एकनाथ जी व तुकाराम जी का उनके जीवन पर विशेष प्रभाव था। प्रमुख अतिथि ने छत्रपति शिवाजी महाराज के पराक्रम का परिचय देते हुए सभी को महाराज के जीवन के सिद्धांतों से सीख लेने की हिदायत दी। कार्यक्रम का समापन “जय भवानी, जय शिवाजी” के धृष्ट (प्रेरक) नारे के साथ हुआ।
छत्रपति शिवाजी महाराज के पावन अवतरण दिवस पर प्रधान नियंत्रक (रक्षा लेखा) दक्षिण कमान, पुणे कार्यालय में दिनांक 19/02/2023 को “शिव जयंती” कार्यक्रम का भव्य आयोजन किया गया। इस उत्कृष्ट कार्यक्रम में डॉ. राजीव चव्हाण, भा.र.ले.से., एनडीसी, प्रधान नियंत्रक (रक्षा लेखा) दक्षिण कमान महोदय एवं डॉ. संजीव चव्हाण, नागपुर सहित अन्य भा.र.ले.से अधिकारी, वरिष्ठ अधिकारी और कर्मचारी गण उपस्थित थे। कार्यक्रम का शुभारंभ आदरणीय प्रधान नियंत्रक महोदय व अन्य भा.र.ले.से अधिकारियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। तत्पश्चात आदरणीय प्रधान नियंत्रक महोदय व डॉ. संजीव चव्हाण ने भारत के वीर सपूत श्रीमंत छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा को माल्यार्पण कर विनम्र अभिवादन व शत शत नमन किया। कार्यक्रम में उपस्थित अन्य भा.र.ले.से अधिकारी श्रीमति पूजा भट, रक्षा लेखा वरिष्ठ उप नियंत्रक, श्री स्वप्निल हनमाने, रक्षा लेखा सहायक नियंत्रक, श्री ऋषिकेश देशमुख, रक्षा लेखा सहायक नियंत्रक, श्री पी बी अग्रवाल, रक्षा लेखा सहायक नियंत्रक व कार्यालय के अन्य अधिकारियों व कर्मचारियों ने भी छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा को पुष्प अर्पित कर आदरांजली अर्पित की।
उक्त अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. राजीव चव्हाण, भा.र.ले.से., एनडीसी, प्रधान नियंत्रक (रक्षा लेखा) दक्षिण कमान महोदय ने प्रमुख अतिथि व उपस्थित सभी गणमान्य जनों को उनकी उपस्थिती के लिए धन्यवाद अर्पित कर छत्रपति शिवाजी महाराज की अनेक वीर गाथाओं का सजीव चित्रण प्रस्तुत करते हुए कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज ने पहली बार 16 साल की उम्र में तोरना किले पर विजय प्राप्त कर स्वराज्य की शुरुआत करने के लिए तलवार उठाई थी और तभी से मराठा साम्राज्य की नीव रखी गई। उन्होने आगे यह भी बताया कि बहुत से लोग महाराज को हिन्दू हृदय सम्राट कहते हैं, तो कुछ लोग इन्हें मराठा गौरव कहते हैं, जबकि वे सम्पूर्ण भारतवर्ष के सर्वधर्म सद्भाव रखने वाले एक वीर महापुरुष-महानायक थे। वे अत्यंत चतुर, बुद्धिमान, शौर्यवान, निडर, सर्वाधिक शक्तिशाली, बहादुर और एक बेहद कुशल शासक एवं राजनीतिज्ञ थे। उन्होने अपने कौशल और योग्यता के बल पर मराठों को संगठित कर मराठा साम्राज्य की स्थापना की थी। उनके किस्से आज भी समस्त युवा पीढ़ी को गौरवान्वित और उत्साहित करते हैं।
वीरता के प्रखर व्यक्तित्व को पुनः नमन करते हुए डॉ. राजीव चव्हाण, भा.र.ले.से., एनडीसी, प्रधान नियंत्रक (रक्षा लेखा) महोदय ने कहा कि हमें भी स्वयं को छत्रपति शिवाजी महाराज के उच्च विचारों और वीरता के घटकों को अपने व्यक्तित्व में समावेश करना चाहिए। अपने राष्ट्र, धर्म, प्रदेश, समाज व कर्तव्यों के प्रति अधिक सजग रहने की सलाह सभी को देते हुए उन्होने कार्यक्रम को आगे बढ़ाया। तत्पश्चात, कार्यक्रम में उपस्थित प्रमुख अतिथि डॉ संजीव चव्हाण ने भी मार्गदर्शन किया एवं अपने ओजस्वी सम्बोधन से कार्यक्रम की गरिमा बढ़ाई। मराठा के उदय के बारे में विशेष कुछ बिन्दुओं को उन्होने प्रकाशित किया जिनमें मुख्यतः आदिलशाही और दक्खनी सल्तनत में मराठों को युद्ध में अच्छा खासा अनुभव मिला था। छत्रपति शिवाजी महाराज और उनकी सेना गुरिल्ला युद्ध पद्धति में विशेष रूप से निपुण थे, उन्होने अपनी सेना को कठिन से कठिन परिस्थिति में रहने के लिए तैयार किया था। अनेक दुर्गुणों और फुर्ती की कमी के कारण मुग़ल सेना छत्रपति शिवाजी महाराज की फुर्तीली सेना का सामना नहीं कर पाई। छत्रपति शिवाजी महाराज ने महाराष्ट्र के विभिन्न भागों में 300 से अधिक किलों की निर्मिति कारवाई। महाराष्ट्र के महान धार्मिक संत एकनाथ जी व तुकाराम जी का उनके जीवन पर विशेष प्रभाव था। प्रमुख अतिथि ने छत्रपति शिवाजी महाराज के पराक्रम का परिचय देते हुए सभी को महाराज के जीवन के सिद्धांतों से सीख लेने की हिदायत दी। कार्यक्रम का समापन “जय भवानी, जय शिवाजी” के धृष्ट (प्रेरक) नारे के साथ हुआ।

0 टिप्पणियाँ