रक्षा मंत्री के कार्यालय ने एक ट्वीट के माध्यम से जानकारी दी है कि भारतीय नौसेना के लिये अगली पीढ़ी के 11 अपतटीय गश्ती पोतों और अगली पीढ़ी के छह प्रक्षेपास्त्र पोतों के अधिग्रहण के सम्बंध में रक्षा मंत्रालय ने 30 मार्च, 2023 को भारतीय शिपयार्डों के साथ 19,600 करोड़ रुपये की संविदाओं पर हस्ताक्षर किये हैं।
रक्षा मंत्री के कार्यालय के ट्वीट के जवाब में प्रधानमंत्री ने कहा :
“इससे भारतीय नौसेना को मजबूती और आत्मनिर्भता के हमारे लक्ष्य को गति मिलेगी।”
रक्षा मंत्री के कार्यालय के ट्वीट के जवाब में प्रधानमंत्री ने कहा :
“इससे भारतीय नौसेना को मजबूती और आत्मनिर्भता के हमारे लक्ष्य को गति मिलेगी।”
रक्षा मंत्रालय ने भारतीय सेना के लिए उन्नत आकाश हथियार प्रणाली और 12 डब्ल्यू एल आर स्वाति की खरीद के लिए भारत डायनेमिक्स लिमिटेड के साथ नौ हजार एक सौ 60 करोड़ रुपये से ज्यादा के सौदे पर हस्ताक्षर किए है। आकाश हथियार प्रणाली में उन्नत मिसाइल और लॉन्चर तथा सहायक उपकरण और वाहन शामिल हैं। आकाश आयुध हवाई रक्षा मिसाइल प्रणाली है। इसे रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन ने विकसित किया है। हवाई चुनौतियों से निपटने के लिए उन्नत आकाश हथियार प्रणाली की दो अतिरिक्त रेजिमेंट उत्तरी सीमाओं पर तैनात भारतीय सेनाओं के लिए खरीदी जा रही है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सेना के लिए आकाश हथियार प्रणाली और 12 वेपन लोकेटिंग रडार तथा डब्ल्यू एल आर स्वाति की खरीद के समझौते पर हस्ताक्षर होने को स्वागत योग्य कदम बताया है। एक ट्वीट में श्री मोदी ने कहा कि इस कदम से आत्मनिर्भरता को बढ़ावा मिलेगा और सूक्ष्म, लघु तथा मध्यम उद्यम क्षेत्रों को विशेष तौर से मदद मिलेगी। प्रधानमंत्री ने भारतीय नौ सेना के लिए समुद्री तटों के आस-पास निगरानी करने वाले 11 नेक्स्ट जनरेशन गश्ती जहाजों और छह नेक्स्ट जनरेशन मिसाइल की खरीद के लिए इंडियान शिप यार्ड के साथ 19 हजार छह सौ करोड़ रुपये का समझौता होने की भी सराहना की है। एक ट्वीट में श्री मोदी ने कहा कि इससे नौसेना मजबूत होगी और आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को हासिल करने के लिए गति मिलेगी।
रक्षा मंत्रालय ने बताया है कि यह परियोजना विशेष तौर पर भारतीय मिसाइल विनिर्माण उद्योग में तेजी लाएगी और समग्र रुप से स्वदेशी रक्षा विनिर्माण पारस्थितिकी तंत्र को मजबूती प्रदान करेगी। इस परियोजना का 82 प्रतिशत हिस्सा स्वदेशी है, जिसे 2026-27 तक बढ़ाकर 93 प्रतिशत कर दिया जाएगा। यह परियोजना अर्थव्यवस्था की समग्र रुप से वृद्धि में भूमिका निभाएगी, देश में रोजगार के अवसर बढ़ाएगी और कलपुर्जो के निर्माण के माध्यम से भारत के सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों को प्रोत्साहन देगी। हथियार प्रणाली की आपूर्ति श्रृंखला को बरकरार रखने के लिए परियोजना की कुल लागत का लगभग 60 प्रतिशत सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम सहित निजी उद्योगों को दिए जाएंगे। इससे बड़े पैमाने पर प्रत्यक्ष और परोक्ष रोजगार पैदा होंगे।
डब्ल्यू एल आर स्वाति रडार के लिए भारत इलेक्ट्रॉनिक लिमिटेड बेल के साथ नौ सौ 90 करोड़ रुपये से ज्यादा का समझौता किया गया है। स्वदेश में विकसित स्वाति मोर्टार और रॉकेट का पता लगाने और उन्हें नष्ट करने में सक्षम होगी। डब्ल्यू एल आर स्वाति को 24 महीने में सेना में शामिल करने की योजना है। रक्षा मंत्रालय ने बताया कि यह परियोजना रक्षा उद्योग के लिए अपनी क्षमता दिखाने का बड़ा अवसर है और रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में एक कदम है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सेना के लिए आकाश हथियार प्रणाली और 12 वेपन लोकेटिंग रडार तथा डब्ल्यू एल आर स्वाति की खरीद के समझौते पर हस्ताक्षर होने को स्वागत योग्य कदम बताया है। एक ट्वीट में श्री मोदी ने कहा कि इस कदम से आत्मनिर्भरता को बढ़ावा मिलेगा और सूक्ष्म, लघु तथा मध्यम उद्यम क्षेत्रों को विशेष तौर से मदद मिलेगी। प्रधानमंत्री ने भारतीय नौ सेना के लिए समुद्री तटों के आस-पास निगरानी करने वाले 11 नेक्स्ट जनरेशन गश्ती जहाजों और छह नेक्स्ट जनरेशन मिसाइल की खरीद के लिए इंडियान शिप यार्ड के साथ 19 हजार छह सौ करोड़ रुपये का समझौता होने की भी सराहना की है। एक ट्वीट में श्री मोदी ने कहा कि इससे नौसेना मजबूत होगी और आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को हासिल करने के लिए गति मिलेगी।
रक्षा मंत्रालय ने बताया है कि यह परियोजना विशेष तौर पर भारतीय मिसाइल विनिर्माण उद्योग में तेजी लाएगी और समग्र रुप से स्वदेशी रक्षा विनिर्माण पारस्थितिकी तंत्र को मजबूती प्रदान करेगी। इस परियोजना का 82 प्रतिशत हिस्सा स्वदेशी है, जिसे 2026-27 तक बढ़ाकर 93 प्रतिशत कर दिया जाएगा। यह परियोजना अर्थव्यवस्था की समग्र रुप से वृद्धि में भूमिका निभाएगी, देश में रोजगार के अवसर बढ़ाएगी और कलपुर्जो के निर्माण के माध्यम से भारत के सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों को प्रोत्साहन देगी। हथियार प्रणाली की आपूर्ति श्रृंखला को बरकरार रखने के लिए परियोजना की कुल लागत का लगभग 60 प्रतिशत सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम सहित निजी उद्योगों को दिए जाएंगे। इससे बड़े पैमाने पर प्रत्यक्ष और परोक्ष रोजगार पैदा होंगे।
डब्ल्यू एल आर स्वाति रडार के लिए भारत इलेक्ट्रॉनिक लिमिटेड बेल के साथ नौ सौ 90 करोड़ रुपये से ज्यादा का समझौता किया गया है। स्वदेश में विकसित स्वाति मोर्टार और रॉकेट का पता लगाने और उन्हें नष्ट करने में सक्षम होगी। डब्ल्यू एल आर स्वाति को 24 महीने में सेना में शामिल करने की योजना है। रक्षा मंत्रालय ने बताया कि यह परियोजना रक्षा उद्योग के लिए अपनी क्षमता दिखाने का बड़ा अवसर है और रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में एक कदम है।

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