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पेंशन की टेंशन

-आवेश हिन्दुस्तानी

नई और पुरानी पेंशन, बन रही आज सभी की टेंशन!
सरकार और कर्मियों बीच टकराव से, बढ़ गई टेंशन !!

पुरने समय में औसत आयु हुआ करती थी 62 वर्ष!
58-60 में रिटायर हुए, 2-4 साल की होती थी पेंशन!!

अब औसत आयु हो गई है सत्तर साल !
यानि 10-12 साल तक की पेंशन का हुआ सवाल!!

वेतन भी इन दशकों में हुआ चौगुना!
यानि पेंशन का खर्च हो गया सोलह गुना!!

इस कदर की बढ़ोतरी का जन पर ही पड़ता भार!
नेताओं को पेंशन तो अलैदा अलैदा मिलती शपथ ली हो जितनी बार!!

नेताओं और कर्मियों के वेतन भत्ते पेंशन के खर्च में आधा जनकोष लग जाता है!
नेता विकास करके कुछ वोट कुछ नोट कमाना चाहता है!!

दूध, दही, दाल, चावल, घी, तेल, मसाले, सभी पर तो लग चुका कर!
कपड़े और मकान पर भी देना पड़ रहा है जनता को कर!!

अब तो शंका समाधान ही रहा है कर मुक्त!
सरकारी खर्च बढ़ा तो ये भी हो जायेगा करयुक्त!!

भला हो नेता स्वयं स्फूर्ति से त्याग दें पेंशन!
जनता ने भी तो त्यागी घरेलु गैस अनुदान रकम!!

उच्च अधिकारी भी करोड़ों जमा कर लिया करते है रिटायर होने तक!
उनसे भी जन अपेक्षित है वे भी त्याग दें उन्हें मिलने वाली पेंशन!!

सरकारी कर्मियों के लिये सरकार बिठाती वेतन आयोग!
खर्चे बढ़ने के हिसाब से वेतन वृद्धि अनुसन्शित करता आयोग!!

जनता पर महँगाई की मार पर सोचती नहीं कोई सरकार !
यानि नेताओं व कर्मियों के लिये ही है समृद्धि का संसार !!

जन का जीवनयापन दिन-दिन हो रहा तार-तार!
पेंशन की टेंशन मिटाने में गूढ़ समझ बूझ से दोनों पक्ष करें विचार !! 


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