श्री सुधीर मेथेकर
(वरिष्ठ पत्रकार)
पश्चिमी पुणे की तुलना में पूर्वी भाग का विकास अवरूद्ध क्यों है? इसके उत्तर अलग-अलग हो सकते हैं! इसमें कोई कहेगा राजनीतिक दलों के सुधार संदर्भ में अरुचि, कुछ कहेंगे कि महानगरपालिका ज्यादा ध्यान नहीं देती है तो कुछ कहेंगे कि नगरसेवक कहते हैं हमने प्रशासन के सामने तरह-तरह की योजनाएँ पेश कीं, लेकिन उनकी सुविधा से उपेक्षा कर दी जाती है! कारण चाहे जो भी हों, तथ्य यह है कि महानगरपालिका में पूर्वी हड़पसर उपनगर को दो बार महापौर, दो बार उपमहापौर और एक बार स्थायी समिति के अध्यक्ष का पद मिला, लेकिन क्या पूर्वी हिस्से का विकास हुआ जैसा कि कहा जाना चाहिए? यह प्रश्न है !
यहां के नागरिकों का मानना है कि जो कुछ भी विकास दिखता है, वह बड़ी टाउनशिप के कारण है। यह यहां के नागरिकों की धारणा है। फिर इस क्षेत्र का विकास क्यों नहीं हुआ? या तो यहां के शासकों (राजनीति नेता) को प्रशासकीय अधिकारी अधीन न रहें या कहा जाए कि प्रशासनिक व्यवस्था पर भारी दबाव पड़ता होगा। विस्तार द्वारा सबसे बड़ी पुणे महानगरपालिका के परिसर का विकास यह संभव नहीं होगा। इस पूर्वी भाग में महानगरपालिका होनी चाहिए यह यहां के विशेषज्ञों ने लगातार विचार प्रस्तुत किए, अनुवर्ती की लेकिन ऐसा नहीं किया गया। लेकिन अब सत्ता परिवर्तन हो गई है और कुछ राजनीतिक नेताओं के आग्रह पर सरकार के निर्णय के अनुसार फुरसुंगी उरुलीदेवाची नगरपालिका अस्तित्व में आएगी! स्थानीय नेताओं ने यह बात कही है कि नगरपालिका के अस्तित्व में आने के बाद नया पुणे ऐसी मान्यता पहचान बनेगी। इतना ही नहीं, बल्कि आनेवाले समय में नगरपरिषद की नगरपालिका होगी! लेकिन इस सिलसिले में फुरसुंगी के ग्रामीण (अर्थात फुरसुंगी नागरी कृति समिति) ने इस नगरपालिका का विरोध दर्शाया है। उनके अनुसार महानगरपालिका ही वैज्ञानिक ढंग से विकास कर सकती है।
महाराष्ट्र सरकार को इन दोनों बातों पर विचार कर फैसला लेना चाहिए, क्योंकि हाल ही में एक जानकारी सामने आ रही है कि जल्द ही हड़पसर-वाघोली महानगरपालिका बनाने का निर्णय लिया जाएगा!
यदि पूर्वी भाग को अलग महानगरपालिका बना दिया जाए तो केवल दो गाँवों को बीच में लेकर नगर परिषद बनाने से क्षेत्र के निवासियों को क्या बड़ा लाभ होगा? एक ही क्षेत्र में एक नगरपरिषद व एक महानगरपालिका को सौतेले भाई के रूप में देखा जाएगा। रूप देखने में कोई हर्ज नहीं है, लेकिन अगर उसमें अमीर-गरीब का फर्क हो तो परेशानी हो सकती है! पूर्वी क्षेत्र में स्वतंत्र महानगरपालिका की मांग पहले से थी और अब भी है, इस पर सरकार को विचार करना चाहिए। इससे पुणे महानगरपालिका पर दबाव कम हो सकता है और एकसमान विकास हो सकता है।

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