मेरे प्यारे देशवासियो, नमस्कार।
‘मन की बात’ में आपका फिर से स्वागत है, अभिनंदन है। कुछ ही दिनों में साल 2026 दस्तक देने वाला है, और आज, जब मैं आपसे बात कर रहा हूँ, तो मन में पूरे एक साल की यादें घूम रही हैं - कई तस्वीरें, कई चर्चाएं, कई उपलब्धियां, जिन्होंने देश को एक साथ जोड़ दिया। 2025 ने हमें ऐसे कई पल दिए जिन पर हर भारतीय को गर्व हुआ। देश की सुरक्षा से लेकर खेल के मैदान तक, विज्ञान की प्रयोगशालाओं से लेकर दुनिया के बड़े मंचों तक। भारत ने हर जगह अपनी मजबूत छाप छोड़ी। इस साल ‘ऑपरेशन सिंदूर’ हर भारतीय के लिए गर्व का प्रतीक बन गया। दुनिया ने साफ देखा आज का भारत अपनी सुरक्षा से कोई समझौता नहीं करता। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान देश के कोने-कोने से माँ भारती के प्रति प्रेम और समर्पण की तस्वीरें सामने आई। लोगों ने अपने-अपने तरीके से अपने भाव व्यक्त किये।
साथियो,
यही जज्बा तब भी देखने को मिला, जब ‘वंदे मातरम्’ के 150 वर्ष पूरे हुए। मैंने आपसे आग्रह किया था कि ‘#VandeMataram150’ के साथ अपने संदेश और सुझाव भेजें। देशवासियों ने इस अभियान में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।
साथियो,
2025 खेल के लिहाज़ से भी एक यादगार साल रहा। हमारी पुरुष Cricket team ने ICC Champions Trophy जीती। महिला Cricket team ने पहली बार विश्व कप अपने नाम किया। भारत की बेटियों ने Women's Blind T20 World Cup जीतकर इतिहास रच दिया। एशिया कप T20 में भी तिरंगा शान से लहराया। पैरा एथलीटों ने विश्व Championship में कई पदक जीतकर ये साबित किया कि कोई बाधा हौंसलों को नहीं रोक सकती। विज्ञान और अंतरिक्ष के क्षेत्र में भी भारत ने बड़ी छलांग लगाई। शुभांशु शुक्ला पहले भारतीय बने, जो International Space Station तक पहुंचे। पर्यावरण संरक्षण और वन्य-जीवों की सुरक्षा से जुड़े कई प्रयास भी 2025 की पहचान बने। भारत में चीतों की संख्या भी अब 30 से ज्यादा हो गई है। 2025 में आस्था, संस्कृति और भारत की अद्वितीय विरासत सब एक साथ दिखाई दी। साल के शुरुआत में प्रयागराज महाकुंभ के आयोजन ने पूरी दुनिया को चकित किया। साल के अंत में अयोध्या में राम मंदिर पर ध्वजारोहण के कार्यक्रम ने हर भारतीय को गर्व से भर दिया। स्वदेशी को लेकर भी लोगों का उत्साह खूब दिखाई दिया। लोग वही सामान खरीद रहे हैं, जिसमें किसी भारतीय का पसीना लगा हो और जिसमें भारत की मिट्टी की सुगंध हो। आज हम गर्व से कह सकते हैं 2025 ने भारत को और अधिक आत्मविश्वास दिया है। ये बात भी सही है इस वर्ष प्राकृतिक आपदाएं हमें झेलनी पड़ी, अनेक क्षेत्रों में झेलनी पड़ी। अब देश 2026 में नई उम्मीदों, नए संकल्पों के साथ आगे बढ़ने को तैयार है।
मेरे प्यारे देशवासियो,
आज दुनिया भारत को बहुत आशा के साथ देख रही है। भारत से उम्मीद की सबसे बड़ी वजह है, हमारी युवा शक्ति। विज्ञान के क्षेत्र में हमारी उपलब्धियां, नए-नए innovation, technology का विस्तार इनसे दुनियाभर के देश बहुत प्रभावित हैं।
साथियो,
भारत के युवाओं में हमेशा कुछ नया करने का जुनून है और वो उतने ही जागरूक भी हैं। मेरे युवा साथी कई बार मुझसे यह पूछते हैं कि nation building में वो अपना योगदान और कैसे बढ़ाएं? वो कैसे अपने ideas share कर सकते हैं। कई साथी पूछते हैं कि मेरे सामने वो अपने ideas का presentation कैसे दे सकते हैं? हमारे युवा साथियों की इस जिज्ञासा का समाधान है ‘Viksit Bharat Young Leaders Dialogue’। पिछले साल इसका पहला edition हुआ था, अब कुछ दिन बाद उसका दूसरा edition होने वाला है। अगले महीने की 12 तारीख को स्वामी विवेकानंद जी की जयंती के अवसर पर ‘राष्ट्रीय युवा दिवस’ मनाया जाएगा। इसी दिन ‘Young Leaders Dialogue’ का भी आयोजन होगा और मैं भी इसमें जरूर शामिल होऊंगा। इसमें हमारे युवा Innovation, Fitness, Startup और Agriculture जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर अपने ideas share करेंगे। मैं इस कार्यक्रम को लेकर बहुत ही उत्सुक हूँ।
साथियो,
मुझे ये देखकर अच्छा लगा कि इस कार्यक्रम में हमारे युवाओं की भागीदारी बढ़ रही है। कुछ दिनों पहले ही इससे जुड़ा एक quiz competition हुआ। इसमें 50 लाख से अधिक युवा शामिल हुए। एक निबंध प्रतियोगिता भी हुई, जिसमें students ने विभिन्न विषयों पर अपनी बातें रखीं। इस प्रतियोगिता में तमिलनाडु पहले और उत्तर प्रदेश दूसरे स्थान पर रहा।
साथियो,
आज देश के भीतर युवाओं को प्रतिभा दिखाने के नए- नए अवसर मिल रहे हैं। ऐसे बहुत से platforms विकसित हो रहे हैं, जहां युवा अपनी योग्यता और रुचि के अनुसार talent दिखा सकते हैं। ऐसा ही एक platform है- ‘Smart India Hackathon’ एक और ऐसा माध्यम जहां ideas, action में बदलते हैं।
साथियो,
‘Smart India Hackathon 2025’ का समापन इसी महीने हुआ है। इस Hackathon के दौरान 80 से अधिक सरकारी विभागों की 270 से ज्यादा समस्याओं पर students ने काम किया। Students ने ऐसे solution दिए, जो real life challenges से जुड़े थे। जैसे traffic की समस्या है। इसे लेकर युवाओं ने ‘Smart Traffic Management’ से जुड़े बहुत ही interesting perspective share किए। Financial Frauds और Digital Arrests जैसी चुनौतियों के समाधान पर भी युवाओं ने अपने ideas सामने रखे। गाँवों में digital banking के लिए Cyber Security Framework पर सुझाव दिया। कई युवा agriculture sector की चुनौतियों के समाधान में जुटे रहे। साथियो, पिछले 7-8 साल में ‘Smart India Hackathon’ में, 13 लाख से ज्यादा students और 6 हजार से ज्यादा Institutes हिस्सा ले चुके हैं। युवाओं ने सैंकड़ों problems के सटीक solutions भी दिए हैं। इस तरह के Hackathons का आयोजन समय-समय पर होता रहता है। मेरा अपने युवा साथियों से आग्रह है कि वे इन Hackathons का हिस्सा जरूर बनें।
साथियो,
आज का जीवन Tech-Driven होता जा रहा है और जो परिवर्तन सदियों में आते थे वो बदलाव हम कुछ बरसों में होते देख रहे हैं। कई बार तो कुछ लोग चिंता जताते हैं कि Robots कहीं मनुष्यों को ही न Replace कर दें। ऐसे बदलते समय में Human Development के लिए अपनी जड़ों से जुड़े रहना बहुत जरूरी है। मुझे ये देखकर बहुत खुशी होती है कि हमारी अगली पीढ़ी अपनी संस्कृति की जड़ों को अच्छी तरह थाम रही है - नई सोच के साथ नए तरीकों के साथ।
साथियो,
आपने Indian Institute of Science उसका नाम तो जरूर सुना होगा। Research और Innovation इस संस्थान की पहचान है। कुछ साल पहले वहाँ के कुछ छात्रों ने महसूस किया कि पढ़ाई और Research के बीच संगीत के लिए भी जगह होनी चाहिए। बस यहीं से एक छोटी-सी Music Class शुरू हुई। ना बड़ा मंच, ना कोई बड़ा बजट। धीरे-धीरे ये पहल बढ़ती गई और आज इसे हम ‘Geetanjali IISc’ के नाम से जानते हैं। यह अब सिर्फ एक Class नहीं, Campus का सांस्कृतिक केंद्र है। यहाँ हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत है, लोक परंपराएँ हैं, शास्त्रीय विधाएं हैं, छात्र यहाँ साथ बैठकर रियाज़ करते हैं। Professor साथ बैठते हैं, उनके परिवार भी जुड़ते हैं। आज दो-सौ से ज्यादा लोग इससे जुड़े हैं। और खास बात ये कि जो विदेश चले गए, वो भी Online जुड़कर इस Group की डोर थामे हुए हैं।
साथियो,
अपनी जड़ों से जुड़े रहने के ये प्रयास सिर्फ भारत तक सीमित नहीं है। दुनिया के अलग-अलग कोनों और वहाँ बसे भारतीय भी अपनी भूमिका निभा रहे हैं। एक और उदाहरण जो हमें देश से बाहर ले जाता है - ये जगह है ‘दुबई’। वहाँ रहने वाले कन्नड़ा परिवारों ने खुद से एक जरूरी सवाल पूछा – हमारे बच्चे Tech-World में आगे तो बढ़ रहें हैं, लेकिन कहीं वो अपनी भाषा से दूर तो नहीं हो रहे हैं? यहीं से जन्म हुआ ‘कन्नड़ा पाठशाले’ का। एक ऐसा प्रयास, जहां बच्चों को ‘कन्नड़ा’ पढ़ाना, सीखना, लिखना और बोलना सिखाया जाता है। आज इससे एक हजार से ज्यादा बच्चे जुड़े हैं। वाकई, कन्नड़ा नाडु, नुडी नम्मा हेम्मे। कन्नड़ा की भूमि और भाषा, हमारा गर्व है।
साथियो,
एक पुरानी कहावत है ‘जहां चाह, वहाँ राह’। इस कहावत को फिर से सच कर दिखाया है मणिपुर के एक युवा मोइरांगथेम सेठ जी ने। उनकी उम्र 40 साल से भी कम है। श्रीमान् मोइरांगथेम जी मणिपुर के जिस दूर-सुदूर क्षेत्र में रहते थे वहाँ बिजली की बड़ी समस्या थी। इस चुनौती से निपटने के लिए उन्होंने Local Solution पर जोर दिया और उन्हें ये Solution मिला Solar Power में। हमारे मणिपुर में वैसे भी Solar Energy पैदा करना आसान है। तो मोइरांगथेम जी ने Solar Panel लगाने का अभियान चलाया और इस अभियान की वजह से आज उनके क्षेत्र के सैकड़ों घरों में Solar Power पहुंच गई है। खास बात ये है कि उन्होंने Solar Power का उपयोग Health-Care और आजीविका को बेहतर बनाने के लिए किया है। आज उनके प्रयासों से मणिपुर में कई Health Centers को भी Solar Power मिल रही है। उनके इस काम से मणिपुर की नारी-शक्ति को भी बहुत लाभ मिला है। स्थानीय मछुआरों और कलाकारों को भी इससे मदद मिली है।
साथियो,
आज सरकार ‘PM सूर्य घर मुफ़्त बिजली योजना’ के तहत हर लाभार्थी परिवार को Solar Panel लगाने के लिए करीब-करीब 75 से 80 हजार रुपए दे रही है। मोइरांगथेम जी के ये प्रयास यूं तो व्यक्तिगत प्रयास हैं, लेकिन Solar Power से जुड़े हर अभियान को नई गति दे रहे हैं। मैं ‘मन की बात’ के माध्यम से उन्हें अपनी शुभकामनाएँ देता हूँ।
मेरे प्यारे देशवासियो,
आइए अब जरा हम जम्मू-कश्मीर की तरफ चलते हैं। जम्मू-कश्मीर की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत, उसकी एक ऐसी गाथा साझा करना चाहता हूँ, जो आपको गर्व से भर देगी। जम्मू-कश्मीर के बारामूला में, जेहनपोरा नाम की एक जगह है। वहां लोग बरसों से कुछ ऊंचे-ऊंचे टीले देखते आ रहे थे। साधारण से टीले किसी को नहीं पता था कि ये क्या है? फिर एक दिन Archaeologist की नज़र इन पर पड़ी। जब उन्होंने इस इलाके को ध्यान से देखना शुरू किया, तो ये टीले कुछ अलग लगे। इसके बाद इन टीलों का वैज्ञानिक अध्ययन शुरू किया गया। ड्रोन के ज़रिए ऊपर से तस्वीरें ली गईं, ज़मीन की Mapping की गई। और फिर कुछ हैरान करने वाली बातें सामने आने लगी। पता चला ये टीले प्राकृतिक नहीं हैं। ये इंसान द्वारा बनाई गई किसी बड़ी इमारत के अवशेष हैं। इसी दौरान एक और दिलचस्प कड़ी जुड़ी। कश्मीर से हजारों किलोमीटर दूर, फ़्रांस के एक Museum के Archives में एक पुराना, धुंधला सा चित्र मिला। बारामूला के उस चित्र में तीन बौद्ध स्तूप नजर आ रहे थे। यहीं से समय ने करवट ली और कश्मीर का एक गौरवशाली अतीत हमारे सामने आया। ये करीब दो हजार साल पुराना इतिहास है। कश्मीर के जेहनपोरा का ये बौद्ध परिसर हमें याद दिलाता है, कश्मीर का अतीत क्या था, उसकी पहचान कितनी समृद्ध थी।
मेरे प्यारे देशवासियो,
अब मैं आपसे भारत से हजारों किलोमीटर दूर, एक ऐसे प्रयास की बात करना चाहता हूँ, जो दिल को छू लेने वाला है। Fiji में भारतीय भाषा और संस्कृति के प्रसार के लिए एक सराहनीय पहल हो रही है। वहाँ की नई पीढ़ी को तमिल भाषा से जोड़ने के लिए कई स्तरों पर लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। पिछले महीने Fiji के राकी-राकी इलाके में वहाँ के एक स्कूल में पहली बार तमिल दिवस मनाया गया। उस दिन बच्चों को एक ऐसा मंच मिला, जहां उन्होंने अपनी भाषा पर खुले दिल से गौरव व्यक्त किया। बच्चों ने तमिल में कविताएँ सुनाई, भाषण दिए और अपनी संस्कृति को पूरे आत्मविश्वास के साथ मंच पर उतारा।
साथियो,
देश के भीतर भी तमिल भाषा के प्रचार के लिए लगातार काम हो रहा है। कुछ दिन पहले ही मेरे संसदीय क्षेत्र काशी में चौथा ‘काशी तमिल संगमम’ हुआ। अब मैं आपको एक audio clip सुनाने जा रहा हूँ। आप सुनिए और अंदाज़ा लगाइए तमिल बोलने की कोशिश कर रहे ये बच्चे कहां के हैं?
# (Audio Clip 1 पायल) #
साथियो,
आपको जानकार हैरानी होगी तमिल भाषा में इतनी सहजता से अपनी बात रखने वाले ये बच्चे काशी के हैं, वाराणसी के हैं। इनकी मातृभाषा हिन्दी है, लेकिन तमिल भाषा के प्रति लगाव ने इन्हें तमिल सीखने के लिए प्रेरित किया है। इस साल वाराणसी में ‘काशी तमिल संगमम’ के दौरान तमिल सीखने पर खास ज़ोर दिया गया था।
Learn Tamil – ‘तमिल कराकलम’ इस Theme के तहत वाराणसी के 50 से ज्यादा स्कूलों में विशेष अभियान भी चलाए गए। इसी का नतीजा हमें इस audio clip में सुनाई देता है।
# (Audio Clip 2 वैष्णवी) #
साथियो,
तमिल भाषा दुनिया की सबसे प्राचीन भाषा है। तमिल साहित्य भी अत्यंत समृद्ध है। मैंने ‘मन की बात’ में ‘काशी तमिल संगमम’ में भाग लेने का आग्रह किया था। मुझे खुशी है कि आज देश के दूसरे हिस्सों में भी बच्चों और युवाओं के बीच तमिल भाषा को लेकर नया आकर्षण दिख रहा है - यही भाषा की ताकत है, यही भारत की एकता है।
साथियो,
अगले महीने हम देश का 77वाँ गणतंत्र दिवस मनाएंगे। जब भी ऐसे अवसर आते हैं, तो हमारा मन स्वतंत्रता सेनानियों और संविधान निर्माताओं के प्रति कृतज्ञता के भाव से भर जाता है। हमारे देश ने आजादी पाने के लिए लंबा संघर्ष किया है। आजादी के आंदोलन में देश के हर हिस्से के लोगों ने अपना योगदान दिया है। लेकिन, दुर्भाग्य से आजादी के अनेकों नायक-नायिकाओं को वो सम्मान नहीं मिला, जो उन्हें मिलना चाहिए था। ऐसी ही एक स्वतंत्रता सेनानी हैं - ओडिशा की पार्वती गिरि जी। जनवरी 2026 में उनकी जन्म-शताब्दी मनाई जाएगी। उन्होंने 16 वर्ष की आयु में ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ में हिस्सा लिया था। साथियो, आजादी के आंदोलन के बाद पार्वती गिरि जी ने अपना जीवन समाज सेवा और जनजातीय कल्याण को समर्पित कर दिया था। उन्होंने कई अनाथालयों की स्थापना की। उनका प्रेरक जीवन हर पीढ़ी का मार्गदर्शन करता रहेगा।
“मूँ पार्वती गिरि जिंकु श्रद्धांजलि अर्पण करुछी”
(मैं पार्वती गिरी जी को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ)
साथियो,
ये हमारा दायित्व है कि हम अपनी विरासत को ना भूलें| हम आजादी दिलाने वाले नायक-नायिकाओं की महान गाथा को अगली पीढ़ी तक पहुंचाएं। आपको याद होगा जब हमारी आजादी के 75 वर्ष हुए थे, तब सरकार ने एक विशेष website तैयार की थी। इसमें एक विभाग ‘Unsung Heroes’ को समर्पित किया गया था। आज भी आप इस website पर visit करके उन महान विभूतियों के बारे में जान सकते हैं जिनकी देश को आजादी दिलाने में बहुत बड़ी भूमिका रही है।
मेरे प्यारे देशवासियो,
‘मन की बात’ के जरिए हमें समाज की भलाई से जुड़े महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा करने का एक बहुत अच्छा अवसर मिलता है। आज मैं एक ऐसे मुद्दे पर बात करना चाहता हूँ, जो हम सभी के लिए चिंता का विषय बन गया है। ICMR यानि Indian Council of Medical Research ने हाल ही में एक report जारी की है। इसमें बताया गया है कि निमोनिया और UTI जैसी कई बीमारियों के खिलाफ antibiotic दवाएं कमजोर साबित हो रही हैं। हम सभी के लिए यह बहुत ही चिंताजनक है। report के मुताबिक इसका एक बड़ा कारण लोगों द्वारा बिना सोचे-समझे antibiotic दवाओं का सेवन है। antibiotic ऐसी दवाएं नहीं हैं, जिन्हें यूं ही ले लिया जाए। इनका इस्तेमाल Doctor की सलाह से ही करना चाहिए। आजकल लोग ये मानने लगे हैं कि बस एक गोली ले लो, हर तकलीफ दूर हो जाएगी। यही वजह है कि बीमारियाँ और संक्रमण इन antibiotic दवाओं पर भारी पड़ रहे हैं। मैं आप सभी से आग्रह करता हूँ कि कृपया अपनी मनमर्जी से दवाओं का इस्तेमाल करने से बचें। Antibiotic दवाओं के मामले में तो इस बात का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। मैं तो यही कहूँगा - Medicines के लिए Guidance और Antibiotics के लिए Doctors की जरूरत है। यह आदत आपकी सेहत को बेहतर बनाने में बहुत मददगार साबित होने वाली है।
मेरे प्यारे देशवासियो,
हमारी पारंपरिक कलाएं समाज को सशक्त करने के साथ ही लोगों की आर्थिक प्रगति का भी बड़ा माध्यम बन रही हैं। आंध्र प्रदेश के नारसापुरम जिले की Lace Craft (लेस क्राफ्ट) की चर्चा अब पूरे देश में बढ़ रही है। ये Lace Craft (लेस क्राफ्ट) कई पीढ़ियों से महिलाओं के हाथों में रही है। बहुत धैर्य और बारीकी के साथ देश की नारी-शक्ति ने इसका संरक्षण किया है। आज इस परंपरा को एक नए रंग रूप के साथ आगे ले जाया जा रहा है। आंध्र प्रदेश सरकार और NABARD मिलकर कारीगरों को नए design सिखा रहे हैं, बेहतर skill training दे रहे हैं और नए बाजार से जोड़ रहे हैं । नारसापुरम Lace को GI Tag भी मिला है । आज इससे 500 से ज्यादा products बन रहे हैं और ढ़ाई-सौ से ज्यादा गांवों में करीब-करीब 1 लाख महिलाओं को इससे काम मिल रहा है।
साथियो,
‘मन की बात’ ऐसे लोगों को सामने लाने का भी मंच है जो अपने परिश्रम से ना सिर्फ पारंपरिक कलाओं को आगे बढ़ा रहे हैं बल्कि इससे स्थानीय लोगों को सशक्त भी कर रहे हैं। मणिपुर के चुराचांदपुर में Margaret Ramtharsiem जी उनके प्रयास ऐसे ही हैं। उन्होंने मणिपुर के पारंपरिक उत्पादों को, वहाँ के handicraft को, बांस और लकड़ी से बनी चीजों को, एक बड़े vision के साथ देखा और इसी vision के कारण, वो एक handicraft artist से लोगों के जीवन को बदलने का माध्यम बन गईं। आज Margaret जी की unit उसमें 50 से ज्यादा artist काम कर रहे हैं और उन्होंने अपनी मेहनत से दिल्ली समेत देश के कई राज्यों में, अपने products का एक market भी develop किया है।
साथियो,
मणिपुर से ही एक और उदाहरण सेनापति जिले की रहने वाली चोखोने क्रिचेना जी का है। उनका पूरा परिवार परंपरागत खेती से जुड़ा रहा है। क्रिचेना ने इस पारंपरिक अनुभव को एक और विस्तार दिया। उन्होंने फूलों की खेती को अपना passion बनाया। आज वो इस काम से अलग-अलग markets को जोड़ रहीं हैं और अपने इलाके की local communities को भी Empower कर रही हैं। साथियो, ये उदाहरण इस बात का पर्याय है कि अगर पारंपरिक ज्ञान को आधुनिक vision के साथ आगे बढ़ाएं तो ये आर्थिक प्रगति का बड़ा माध्यम बन जाता है। आपके आसपास भी ऐसी success stories हों, तो मुझे जरूर share करिए।
साथियो,
हमारे देश की सबसे खूबसूरत बात ये है कि सालभर हर समय देश के किसी-ना-किसी हिस्से में उत्सव का माहौल रहता है। अलग-अलग पर्व-त्योहार तो हैं ही, साथ ही विभिन्न राज्यों के स्थानीय उत्सव भी आयोजित होते रहते हैं। यानि, अगर आप घूमने का मन बनाएं, तो हर समय, देश का कोई-ना-कोई कोना अपने unique उत्सव के साथ तैयार मिलेगा। ऐसा ही एक उत्सव इन दिनों कच्छ के रण में चल रहा है। इस साल कच्छ रणोत्सव का ये आयोजन 23 नवंबर से शुरू हुआ है, जो 20 फरवरी तक चलेगा। यहाँ कच्छ की लोक संस्कृति, लोक संगीत, नृत्य और हस्तशिल्प की विविधता दिखाई देती है। कच्छ के सफेद रण की भव्यता देखना अपने आप में एक सुखद अनुभव है। रात के समय जब सफेद रण के ऊपर चाँदनी फैलती है, वहाँ का दृश्य अपने आप में मंत्रमुग्ध कर देने वाला होता है। रण उत्सव का Tent City बहुत लोकप्रिय है। मुझे जानकारी मिली है कि पिछले एक महीने में अब तक 2 लाख से ज्यादा लोग रणोत्सव का हिस्सा बन चुके हैं और देश के कोने-कोने से आए हैं, विदेश से भी लोग आए हैं। आपको जब भी अवसर मिले, तो ऐसे उत्सवों में जरूर शामिल हों और भारत की विविधता का आनद उठाएं।
साथियो,
2025 में ‘मन की बात’ का ये आखिरी episode है, अब हम साल 2026 में ऐसे ही उमंग और उत्साह के साथ, अपनेपन के साथ अपने ‘मन की बातों’ को करने के लिए ‘मन की बात’ के कार्यक्रम में जरूर जुड़ेंगे। नई ऊर्जा, नए विषय और प्रेरणा से भर देने वाली देशवासियों की अनगिनित गाथाओं ‘मन की बात’ में हम सबको जोड़ती है। हर महीने मुझे ऐसे अनेक संदेश मिलते हैं, जिसमें ‘विकसित भारत’ को लेकर लोग अपना vision साझा करते हैं। लोगों से मिलने वाले सुझाव और इस दिशा में उनके प्रयासों को देखकर ये विश्वास और मजबूत होता है और जब ये सब बातें मेरे तक पहुँचती हैं, तो ‘विकसित भारत’ का संकल्प जरूर सिद्ध होगा। ये विश्वास दिनों दिन मजबूत होता जाता है। साल 2026 इस संकल्प सिद्धि की यात्रा में एक अहम पड़ाव साबित हो, आपका और आपके परिवार का जीवन खुशहाल हो, इसी कामना के साथ इस episode में विदाई लेने से पहले मैं जरूर कहूँगा, ‘Fit India Movement’ आप को भी fit रहना है। ठंडी का ये मौसम व्यायाम के लिए बहुत उपयुक्त होता है, व्यायाम जरूर करें। आप सभी को 2026 की बहुत-बहुत शुभकामनाएं। धन्यवाद। वंदे मातरम्।
‘मन की बात’ में आपका फिर से स्वागत है, अभिनंदन है। कुछ ही दिनों में साल 2026 दस्तक देने वाला है, और आज, जब मैं आपसे बात कर रहा हूँ, तो मन में पूरे एक साल की यादें घूम रही हैं - कई तस्वीरें, कई चर्चाएं, कई उपलब्धियां, जिन्होंने देश को एक साथ जोड़ दिया। 2025 ने हमें ऐसे कई पल दिए जिन पर हर भारतीय को गर्व हुआ। देश की सुरक्षा से लेकर खेल के मैदान तक, विज्ञान की प्रयोगशालाओं से लेकर दुनिया के बड़े मंचों तक। भारत ने हर जगह अपनी मजबूत छाप छोड़ी। इस साल ‘ऑपरेशन सिंदूर’ हर भारतीय के लिए गर्व का प्रतीक बन गया। दुनिया ने साफ देखा आज का भारत अपनी सुरक्षा से कोई समझौता नहीं करता। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान देश के कोने-कोने से माँ भारती के प्रति प्रेम और समर्पण की तस्वीरें सामने आई। लोगों ने अपने-अपने तरीके से अपने भाव व्यक्त किये।
साथियो,
यही जज्बा तब भी देखने को मिला, जब ‘वंदे मातरम्’ के 150 वर्ष पूरे हुए। मैंने आपसे आग्रह किया था कि ‘#VandeMataram150’ के साथ अपने संदेश और सुझाव भेजें। देशवासियों ने इस अभियान में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।
साथियो,
2025 खेल के लिहाज़ से भी एक यादगार साल रहा। हमारी पुरुष Cricket team ने ICC Champions Trophy जीती। महिला Cricket team ने पहली बार विश्व कप अपने नाम किया। भारत की बेटियों ने Women's Blind T20 World Cup जीतकर इतिहास रच दिया। एशिया कप T20 में भी तिरंगा शान से लहराया। पैरा एथलीटों ने विश्व Championship में कई पदक जीतकर ये साबित किया कि कोई बाधा हौंसलों को नहीं रोक सकती। विज्ञान और अंतरिक्ष के क्षेत्र में भी भारत ने बड़ी छलांग लगाई। शुभांशु शुक्ला पहले भारतीय बने, जो International Space Station तक पहुंचे। पर्यावरण संरक्षण और वन्य-जीवों की सुरक्षा से जुड़े कई प्रयास भी 2025 की पहचान बने। भारत में चीतों की संख्या भी अब 30 से ज्यादा हो गई है। 2025 में आस्था, संस्कृति और भारत की अद्वितीय विरासत सब एक साथ दिखाई दी। साल के शुरुआत में प्रयागराज महाकुंभ के आयोजन ने पूरी दुनिया को चकित किया। साल के अंत में अयोध्या में राम मंदिर पर ध्वजारोहण के कार्यक्रम ने हर भारतीय को गर्व से भर दिया। स्वदेशी को लेकर भी लोगों का उत्साह खूब दिखाई दिया। लोग वही सामान खरीद रहे हैं, जिसमें किसी भारतीय का पसीना लगा हो और जिसमें भारत की मिट्टी की सुगंध हो। आज हम गर्व से कह सकते हैं 2025 ने भारत को और अधिक आत्मविश्वास दिया है। ये बात भी सही है इस वर्ष प्राकृतिक आपदाएं हमें झेलनी पड़ी, अनेक क्षेत्रों में झेलनी पड़ी। अब देश 2026 में नई उम्मीदों, नए संकल्पों के साथ आगे बढ़ने को तैयार है।
मेरे प्यारे देशवासियो,
आज दुनिया भारत को बहुत आशा के साथ देख रही है। भारत से उम्मीद की सबसे बड़ी वजह है, हमारी युवा शक्ति। विज्ञान के क्षेत्र में हमारी उपलब्धियां, नए-नए innovation, technology का विस्तार इनसे दुनियाभर के देश बहुत प्रभावित हैं।
साथियो,
भारत के युवाओं में हमेशा कुछ नया करने का जुनून है और वो उतने ही जागरूक भी हैं। मेरे युवा साथी कई बार मुझसे यह पूछते हैं कि nation building में वो अपना योगदान और कैसे बढ़ाएं? वो कैसे अपने ideas share कर सकते हैं। कई साथी पूछते हैं कि मेरे सामने वो अपने ideas का presentation कैसे दे सकते हैं? हमारे युवा साथियों की इस जिज्ञासा का समाधान है ‘Viksit Bharat Young Leaders Dialogue’। पिछले साल इसका पहला edition हुआ था, अब कुछ दिन बाद उसका दूसरा edition होने वाला है। अगले महीने की 12 तारीख को स्वामी विवेकानंद जी की जयंती के अवसर पर ‘राष्ट्रीय युवा दिवस’ मनाया जाएगा। इसी दिन ‘Young Leaders Dialogue’ का भी आयोजन होगा और मैं भी इसमें जरूर शामिल होऊंगा। इसमें हमारे युवा Innovation, Fitness, Startup और Agriculture जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर अपने ideas share करेंगे। मैं इस कार्यक्रम को लेकर बहुत ही उत्सुक हूँ।
साथियो,
मुझे ये देखकर अच्छा लगा कि इस कार्यक्रम में हमारे युवाओं की भागीदारी बढ़ रही है। कुछ दिनों पहले ही इससे जुड़ा एक quiz competition हुआ। इसमें 50 लाख से अधिक युवा शामिल हुए। एक निबंध प्रतियोगिता भी हुई, जिसमें students ने विभिन्न विषयों पर अपनी बातें रखीं। इस प्रतियोगिता में तमिलनाडु पहले और उत्तर प्रदेश दूसरे स्थान पर रहा।
साथियो,
आज देश के भीतर युवाओं को प्रतिभा दिखाने के नए- नए अवसर मिल रहे हैं। ऐसे बहुत से platforms विकसित हो रहे हैं, जहां युवा अपनी योग्यता और रुचि के अनुसार talent दिखा सकते हैं। ऐसा ही एक platform है- ‘Smart India Hackathon’ एक और ऐसा माध्यम जहां ideas, action में बदलते हैं।
साथियो,
‘Smart India Hackathon 2025’ का समापन इसी महीने हुआ है। इस Hackathon के दौरान 80 से अधिक सरकारी विभागों की 270 से ज्यादा समस्याओं पर students ने काम किया। Students ने ऐसे solution दिए, जो real life challenges से जुड़े थे। जैसे traffic की समस्या है। इसे लेकर युवाओं ने ‘Smart Traffic Management’ से जुड़े बहुत ही interesting perspective share किए। Financial Frauds और Digital Arrests जैसी चुनौतियों के समाधान पर भी युवाओं ने अपने ideas सामने रखे। गाँवों में digital banking के लिए Cyber Security Framework पर सुझाव दिया। कई युवा agriculture sector की चुनौतियों के समाधान में जुटे रहे। साथियो, पिछले 7-8 साल में ‘Smart India Hackathon’ में, 13 लाख से ज्यादा students और 6 हजार से ज्यादा Institutes हिस्सा ले चुके हैं। युवाओं ने सैंकड़ों problems के सटीक solutions भी दिए हैं। इस तरह के Hackathons का आयोजन समय-समय पर होता रहता है। मेरा अपने युवा साथियों से आग्रह है कि वे इन Hackathons का हिस्सा जरूर बनें।
साथियो,
आज का जीवन Tech-Driven होता जा रहा है और जो परिवर्तन सदियों में आते थे वो बदलाव हम कुछ बरसों में होते देख रहे हैं। कई बार तो कुछ लोग चिंता जताते हैं कि Robots कहीं मनुष्यों को ही न Replace कर दें। ऐसे बदलते समय में Human Development के लिए अपनी जड़ों से जुड़े रहना बहुत जरूरी है। मुझे ये देखकर बहुत खुशी होती है कि हमारी अगली पीढ़ी अपनी संस्कृति की जड़ों को अच्छी तरह थाम रही है - नई सोच के साथ नए तरीकों के साथ।
साथियो,
आपने Indian Institute of Science उसका नाम तो जरूर सुना होगा। Research और Innovation इस संस्थान की पहचान है। कुछ साल पहले वहाँ के कुछ छात्रों ने महसूस किया कि पढ़ाई और Research के बीच संगीत के लिए भी जगह होनी चाहिए। बस यहीं से एक छोटी-सी Music Class शुरू हुई। ना बड़ा मंच, ना कोई बड़ा बजट। धीरे-धीरे ये पहल बढ़ती गई और आज इसे हम ‘Geetanjali IISc’ के नाम से जानते हैं। यह अब सिर्फ एक Class नहीं, Campus का सांस्कृतिक केंद्र है। यहाँ हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत है, लोक परंपराएँ हैं, शास्त्रीय विधाएं हैं, छात्र यहाँ साथ बैठकर रियाज़ करते हैं। Professor साथ बैठते हैं, उनके परिवार भी जुड़ते हैं। आज दो-सौ से ज्यादा लोग इससे जुड़े हैं। और खास बात ये कि जो विदेश चले गए, वो भी Online जुड़कर इस Group की डोर थामे हुए हैं।
साथियो,
अपनी जड़ों से जुड़े रहने के ये प्रयास सिर्फ भारत तक सीमित नहीं है। दुनिया के अलग-अलग कोनों और वहाँ बसे भारतीय भी अपनी भूमिका निभा रहे हैं। एक और उदाहरण जो हमें देश से बाहर ले जाता है - ये जगह है ‘दुबई’। वहाँ रहने वाले कन्नड़ा परिवारों ने खुद से एक जरूरी सवाल पूछा – हमारे बच्चे Tech-World में आगे तो बढ़ रहें हैं, लेकिन कहीं वो अपनी भाषा से दूर तो नहीं हो रहे हैं? यहीं से जन्म हुआ ‘कन्नड़ा पाठशाले’ का। एक ऐसा प्रयास, जहां बच्चों को ‘कन्नड़ा’ पढ़ाना, सीखना, लिखना और बोलना सिखाया जाता है। आज इससे एक हजार से ज्यादा बच्चे जुड़े हैं। वाकई, कन्नड़ा नाडु, नुडी नम्मा हेम्मे। कन्नड़ा की भूमि और भाषा, हमारा गर्व है।
साथियो,
एक पुरानी कहावत है ‘जहां चाह, वहाँ राह’। इस कहावत को फिर से सच कर दिखाया है मणिपुर के एक युवा मोइरांगथेम सेठ जी ने। उनकी उम्र 40 साल से भी कम है। श्रीमान् मोइरांगथेम जी मणिपुर के जिस दूर-सुदूर क्षेत्र में रहते थे वहाँ बिजली की बड़ी समस्या थी। इस चुनौती से निपटने के लिए उन्होंने Local Solution पर जोर दिया और उन्हें ये Solution मिला Solar Power में। हमारे मणिपुर में वैसे भी Solar Energy पैदा करना आसान है। तो मोइरांगथेम जी ने Solar Panel लगाने का अभियान चलाया और इस अभियान की वजह से आज उनके क्षेत्र के सैकड़ों घरों में Solar Power पहुंच गई है। खास बात ये है कि उन्होंने Solar Power का उपयोग Health-Care और आजीविका को बेहतर बनाने के लिए किया है। आज उनके प्रयासों से मणिपुर में कई Health Centers को भी Solar Power मिल रही है। उनके इस काम से मणिपुर की नारी-शक्ति को भी बहुत लाभ मिला है। स्थानीय मछुआरों और कलाकारों को भी इससे मदद मिली है।
साथियो,
आज सरकार ‘PM सूर्य घर मुफ़्त बिजली योजना’ के तहत हर लाभार्थी परिवार को Solar Panel लगाने के लिए करीब-करीब 75 से 80 हजार रुपए दे रही है। मोइरांगथेम जी के ये प्रयास यूं तो व्यक्तिगत प्रयास हैं, लेकिन Solar Power से जुड़े हर अभियान को नई गति दे रहे हैं। मैं ‘मन की बात’ के माध्यम से उन्हें अपनी शुभकामनाएँ देता हूँ।
मेरे प्यारे देशवासियो,
आइए अब जरा हम जम्मू-कश्मीर की तरफ चलते हैं। जम्मू-कश्मीर की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत, उसकी एक ऐसी गाथा साझा करना चाहता हूँ, जो आपको गर्व से भर देगी। जम्मू-कश्मीर के बारामूला में, जेहनपोरा नाम की एक जगह है। वहां लोग बरसों से कुछ ऊंचे-ऊंचे टीले देखते आ रहे थे। साधारण से टीले किसी को नहीं पता था कि ये क्या है? फिर एक दिन Archaeologist की नज़र इन पर पड़ी। जब उन्होंने इस इलाके को ध्यान से देखना शुरू किया, तो ये टीले कुछ अलग लगे। इसके बाद इन टीलों का वैज्ञानिक अध्ययन शुरू किया गया। ड्रोन के ज़रिए ऊपर से तस्वीरें ली गईं, ज़मीन की Mapping की गई। और फिर कुछ हैरान करने वाली बातें सामने आने लगी। पता चला ये टीले प्राकृतिक नहीं हैं। ये इंसान द्वारा बनाई गई किसी बड़ी इमारत के अवशेष हैं। इसी दौरान एक और दिलचस्प कड़ी जुड़ी। कश्मीर से हजारों किलोमीटर दूर, फ़्रांस के एक Museum के Archives में एक पुराना, धुंधला सा चित्र मिला। बारामूला के उस चित्र में तीन बौद्ध स्तूप नजर आ रहे थे। यहीं से समय ने करवट ली और कश्मीर का एक गौरवशाली अतीत हमारे सामने आया। ये करीब दो हजार साल पुराना इतिहास है। कश्मीर के जेहनपोरा का ये बौद्ध परिसर हमें याद दिलाता है, कश्मीर का अतीत क्या था, उसकी पहचान कितनी समृद्ध थी।
मेरे प्यारे देशवासियो,
अब मैं आपसे भारत से हजारों किलोमीटर दूर, एक ऐसे प्रयास की बात करना चाहता हूँ, जो दिल को छू लेने वाला है। Fiji में भारतीय भाषा और संस्कृति के प्रसार के लिए एक सराहनीय पहल हो रही है। वहाँ की नई पीढ़ी को तमिल भाषा से जोड़ने के लिए कई स्तरों पर लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। पिछले महीने Fiji के राकी-राकी इलाके में वहाँ के एक स्कूल में पहली बार तमिल दिवस मनाया गया। उस दिन बच्चों को एक ऐसा मंच मिला, जहां उन्होंने अपनी भाषा पर खुले दिल से गौरव व्यक्त किया। बच्चों ने तमिल में कविताएँ सुनाई, भाषण दिए और अपनी संस्कृति को पूरे आत्मविश्वास के साथ मंच पर उतारा।
साथियो,
देश के भीतर भी तमिल भाषा के प्रचार के लिए लगातार काम हो रहा है। कुछ दिन पहले ही मेरे संसदीय क्षेत्र काशी में चौथा ‘काशी तमिल संगमम’ हुआ। अब मैं आपको एक audio clip सुनाने जा रहा हूँ। आप सुनिए और अंदाज़ा लगाइए तमिल बोलने की कोशिश कर रहे ये बच्चे कहां के हैं?
# (Audio Clip 1 पायल) #
साथियो,
आपको जानकार हैरानी होगी तमिल भाषा में इतनी सहजता से अपनी बात रखने वाले ये बच्चे काशी के हैं, वाराणसी के हैं। इनकी मातृभाषा हिन्दी है, लेकिन तमिल भाषा के प्रति लगाव ने इन्हें तमिल सीखने के लिए प्रेरित किया है। इस साल वाराणसी में ‘काशी तमिल संगमम’ के दौरान तमिल सीखने पर खास ज़ोर दिया गया था।
Learn Tamil – ‘तमिल कराकलम’ इस Theme के तहत वाराणसी के 50 से ज्यादा स्कूलों में विशेष अभियान भी चलाए गए। इसी का नतीजा हमें इस audio clip में सुनाई देता है।
# (Audio Clip 2 वैष्णवी) #
साथियो,
तमिल भाषा दुनिया की सबसे प्राचीन भाषा है। तमिल साहित्य भी अत्यंत समृद्ध है। मैंने ‘मन की बात’ में ‘काशी तमिल संगमम’ में भाग लेने का आग्रह किया था। मुझे खुशी है कि आज देश के दूसरे हिस्सों में भी बच्चों और युवाओं के बीच तमिल भाषा को लेकर नया आकर्षण दिख रहा है - यही भाषा की ताकत है, यही भारत की एकता है।
साथियो,
अगले महीने हम देश का 77वाँ गणतंत्र दिवस मनाएंगे। जब भी ऐसे अवसर आते हैं, तो हमारा मन स्वतंत्रता सेनानियों और संविधान निर्माताओं के प्रति कृतज्ञता के भाव से भर जाता है। हमारे देश ने आजादी पाने के लिए लंबा संघर्ष किया है। आजादी के आंदोलन में देश के हर हिस्से के लोगों ने अपना योगदान दिया है। लेकिन, दुर्भाग्य से आजादी के अनेकों नायक-नायिकाओं को वो सम्मान नहीं मिला, जो उन्हें मिलना चाहिए था। ऐसी ही एक स्वतंत्रता सेनानी हैं - ओडिशा की पार्वती गिरि जी। जनवरी 2026 में उनकी जन्म-शताब्दी मनाई जाएगी। उन्होंने 16 वर्ष की आयु में ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ में हिस्सा लिया था। साथियो, आजादी के आंदोलन के बाद पार्वती गिरि जी ने अपना जीवन समाज सेवा और जनजातीय कल्याण को समर्पित कर दिया था। उन्होंने कई अनाथालयों की स्थापना की। उनका प्रेरक जीवन हर पीढ़ी का मार्गदर्शन करता रहेगा।
“मूँ पार्वती गिरि जिंकु श्रद्धांजलि अर्पण करुछी”
(मैं पार्वती गिरी जी को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ)
साथियो,
ये हमारा दायित्व है कि हम अपनी विरासत को ना भूलें| हम आजादी दिलाने वाले नायक-नायिकाओं की महान गाथा को अगली पीढ़ी तक पहुंचाएं। आपको याद होगा जब हमारी आजादी के 75 वर्ष हुए थे, तब सरकार ने एक विशेष website तैयार की थी। इसमें एक विभाग ‘Unsung Heroes’ को समर्पित किया गया था। आज भी आप इस website पर visit करके उन महान विभूतियों के बारे में जान सकते हैं जिनकी देश को आजादी दिलाने में बहुत बड़ी भूमिका रही है।
मेरे प्यारे देशवासियो,
‘मन की बात’ के जरिए हमें समाज की भलाई से जुड़े महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा करने का एक बहुत अच्छा अवसर मिलता है। आज मैं एक ऐसे मुद्दे पर बात करना चाहता हूँ, जो हम सभी के लिए चिंता का विषय बन गया है। ICMR यानि Indian Council of Medical Research ने हाल ही में एक report जारी की है। इसमें बताया गया है कि निमोनिया और UTI जैसी कई बीमारियों के खिलाफ antibiotic दवाएं कमजोर साबित हो रही हैं। हम सभी के लिए यह बहुत ही चिंताजनक है। report के मुताबिक इसका एक बड़ा कारण लोगों द्वारा बिना सोचे-समझे antibiotic दवाओं का सेवन है। antibiotic ऐसी दवाएं नहीं हैं, जिन्हें यूं ही ले लिया जाए। इनका इस्तेमाल Doctor की सलाह से ही करना चाहिए। आजकल लोग ये मानने लगे हैं कि बस एक गोली ले लो, हर तकलीफ दूर हो जाएगी। यही वजह है कि बीमारियाँ और संक्रमण इन antibiotic दवाओं पर भारी पड़ रहे हैं। मैं आप सभी से आग्रह करता हूँ कि कृपया अपनी मनमर्जी से दवाओं का इस्तेमाल करने से बचें। Antibiotic दवाओं के मामले में तो इस बात का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। मैं तो यही कहूँगा - Medicines के लिए Guidance और Antibiotics के लिए Doctors की जरूरत है। यह आदत आपकी सेहत को बेहतर बनाने में बहुत मददगार साबित होने वाली है।
मेरे प्यारे देशवासियो,
हमारी पारंपरिक कलाएं समाज को सशक्त करने के साथ ही लोगों की आर्थिक प्रगति का भी बड़ा माध्यम बन रही हैं। आंध्र प्रदेश के नारसापुरम जिले की Lace Craft (लेस क्राफ्ट) की चर्चा अब पूरे देश में बढ़ रही है। ये Lace Craft (लेस क्राफ्ट) कई पीढ़ियों से महिलाओं के हाथों में रही है। बहुत धैर्य और बारीकी के साथ देश की नारी-शक्ति ने इसका संरक्षण किया है। आज इस परंपरा को एक नए रंग रूप के साथ आगे ले जाया जा रहा है। आंध्र प्रदेश सरकार और NABARD मिलकर कारीगरों को नए design सिखा रहे हैं, बेहतर skill training दे रहे हैं और नए बाजार से जोड़ रहे हैं । नारसापुरम Lace को GI Tag भी मिला है । आज इससे 500 से ज्यादा products बन रहे हैं और ढ़ाई-सौ से ज्यादा गांवों में करीब-करीब 1 लाख महिलाओं को इससे काम मिल रहा है।
साथियो,
‘मन की बात’ ऐसे लोगों को सामने लाने का भी मंच है जो अपने परिश्रम से ना सिर्फ पारंपरिक कलाओं को आगे बढ़ा रहे हैं बल्कि इससे स्थानीय लोगों को सशक्त भी कर रहे हैं। मणिपुर के चुराचांदपुर में Margaret Ramtharsiem जी उनके प्रयास ऐसे ही हैं। उन्होंने मणिपुर के पारंपरिक उत्पादों को, वहाँ के handicraft को, बांस और लकड़ी से बनी चीजों को, एक बड़े vision के साथ देखा और इसी vision के कारण, वो एक handicraft artist से लोगों के जीवन को बदलने का माध्यम बन गईं। आज Margaret जी की unit उसमें 50 से ज्यादा artist काम कर रहे हैं और उन्होंने अपनी मेहनत से दिल्ली समेत देश के कई राज्यों में, अपने products का एक market भी develop किया है।
साथियो,
मणिपुर से ही एक और उदाहरण सेनापति जिले की रहने वाली चोखोने क्रिचेना जी का है। उनका पूरा परिवार परंपरागत खेती से जुड़ा रहा है। क्रिचेना ने इस पारंपरिक अनुभव को एक और विस्तार दिया। उन्होंने फूलों की खेती को अपना passion बनाया। आज वो इस काम से अलग-अलग markets को जोड़ रहीं हैं और अपने इलाके की local communities को भी Empower कर रही हैं। साथियो, ये उदाहरण इस बात का पर्याय है कि अगर पारंपरिक ज्ञान को आधुनिक vision के साथ आगे बढ़ाएं तो ये आर्थिक प्रगति का बड़ा माध्यम बन जाता है। आपके आसपास भी ऐसी success stories हों, तो मुझे जरूर share करिए।
साथियो,
हमारे देश की सबसे खूबसूरत बात ये है कि सालभर हर समय देश के किसी-ना-किसी हिस्से में उत्सव का माहौल रहता है। अलग-अलग पर्व-त्योहार तो हैं ही, साथ ही विभिन्न राज्यों के स्थानीय उत्सव भी आयोजित होते रहते हैं। यानि, अगर आप घूमने का मन बनाएं, तो हर समय, देश का कोई-ना-कोई कोना अपने unique उत्सव के साथ तैयार मिलेगा। ऐसा ही एक उत्सव इन दिनों कच्छ के रण में चल रहा है। इस साल कच्छ रणोत्सव का ये आयोजन 23 नवंबर से शुरू हुआ है, जो 20 फरवरी तक चलेगा। यहाँ कच्छ की लोक संस्कृति, लोक संगीत, नृत्य और हस्तशिल्प की विविधता दिखाई देती है। कच्छ के सफेद रण की भव्यता देखना अपने आप में एक सुखद अनुभव है। रात के समय जब सफेद रण के ऊपर चाँदनी फैलती है, वहाँ का दृश्य अपने आप में मंत्रमुग्ध कर देने वाला होता है। रण उत्सव का Tent City बहुत लोकप्रिय है। मुझे जानकारी मिली है कि पिछले एक महीने में अब तक 2 लाख से ज्यादा लोग रणोत्सव का हिस्सा बन चुके हैं और देश के कोने-कोने से आए हैं, विदेश से भी लोग आए हैं। आपको जब भी अवसर मिले, तो ऐसे उत्सवों में जरूर शामिल हों और भारत की विविधता का आनद उठाएं।
साथियो,
2025 में ‘मन की बात’ का ये आखिरी episode है, अब हम साल 2026 में ऐसे ही उमंग और उत्साह के साथ, अपनेपन के साथ अपने ‘मन की बातों’ को करने के लिए ‘मन की बात’ के कार्यक्रम में जरूर जुड़ेंगे। नई ऊर्जा, नए विषय और प्रेरणा से भर देने वाली देशवासियों की अनगिनित गाथाओं ‘मन की बात’ में हम सबको जोड़ती है। हर महीने मुझे ऐसे अनेक संदेश मिलते हैं, जिसमें ‘विकसित भारत’ को लेकर लोग अपना vision साझा करते हैं। लोगों से मिलने वाले सुझाव और इस दिशा में उनके प्रयासों को देखकर ये विश्वास और मजबूत होता है और जब ये सब बातें मेरे तक पहुँचती हैं, तो ‘विकसित भारत’ का संकल्प जरूर सिद्ध होगा। ये विश्वास दिनों दिन मजबूत होता जाता है। साल 2026 इस संकल्प सिद्धि की यात्रा में एक अहम पड़ाव साबित हो, आपका और आपके परिवार का जीवन खुशहाल हो, इसी कामना के साथ इस episode में विदाई लेने से पहले मैं जरूर कहूँगा, ‘Fit India Movement’ आप को भी fit रहना है। ठंडी का ये मौसम व्यायाम के लिए बहुत उपयुक्त होता है, व्यायाम जरूर करें। आप सभी को 2026 की बहुत-बहुत शुभकामनाएं। धन्यवाद। वंदे मातरम्।
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