वीर बाल दिवस पर साहिबजादों के शौर्य को नमन
मुंबई, दिसंबर (हड़पसर एक्सप्रेस न्यूज नेटवर्क)सिख पंथ के दसवें गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के सुपुत्र साहिबजादे बाबा जोरावर सिंह (आयु 9 वर्ष) और साहिबजादे बाबा फतेह सिंह (आयु 7 वर्ष) के अद्वितीय शौर्य और सर्वोच्च बलिदान की स्मृति में 26 दिसंबर को ‘वीर बाल दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। वीर बाल दिवस के अवसर पर गुरुओं द्वारा दिखाए गए मानवता के मार्ग पर चलने तथा उनके विचारों को अपने जीवन में आत्मसात करने के लिए हमें अपने कर्मों से संकल्प लेना चाहिए। यह आह्वान मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि साहिबजादों के साहस और बलिदान ने भारतीय इतिहास को नई दिशा दी है और उनका शौर्य पीढ़ी-दर-पीढ़ी सदैव प्रेरणा देता रहेगा।
वीर बाल दिवस के उपलक्ष्य में सायन स्थित गुरुद्वारा गुरु तेग बहादुर दरबार में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने वीर शहीद साहिबजादों को विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनके अद्वितीय शौर्य का स्मरण किया। गुरुद्वारा समिति के सदस्यों द्वारा कीर्तन एवं कविता वाचन प्रस्तुत कर वीर शहीद साहिबजादों को श्रद्धांजलि दी गई।
इस अवसर पर विधायक प्रसाद लाड, विधायक तमिल सेल्वन, श्री गुरु तेग बहादुर जी के 350वें शहीदी समागम समिति के राज्यस्तरीय समन्वयक रामेश्वर नाईक, पंजाबी साहित्य अकादमी के कार्याध्यक्ष बल मलकित सिंह, गुरुद्वारा समिति के सदस्य दलजीत सिंह, गुरुदेव सिंह, जसपाल सिंह सिद्धू, हैप्पी सिंह, डॉ. अजय सिंह राठोड सहित बड़ी संख्या में नागरिक उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा कि राष्ट्र के लिए अपना शीश समर्पित करने वाले गुरु तेग बहादुर साहिब जी के उस महान बलिदान को देश कभी नहीं भूलेगा। श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी के संपूर्ण परिवार द्वारा देश, संस्कृति और संस्कारों की रक्षा हेतु दिया गया बलिदान इतिहास में अमर है। 26 दिसंबर को वीर बाल दिवस मनाने का निर्णय अत्यंत महत्वपूर्ण है। गुरु तेग बहादुर ने अंतिम समय तक धर्म और मानवता की रक्षा की, इसलिए उनका इतिहास सदैव स्मरण में रखा जाना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि दसवें गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के सुपुत्र साहिबजादे बाबा जोरावर सिंह (9 वर्ष) और साहिबजादे बाबा फतेह सिंह (7 वर्ष) के अद्वितीय शौर्य एवं बलिदान के स्मरण का दिन है। वीर बाल दिवस के अवसर पर इन वीर शहीद साहिबजादों को नमन करते हुए गुरुओं से यह प्रार्थना करें कि उनके जीवन की दृढ़ता, साहस और निष्ठा हम सभी में भी आए।
मुख्यमंत्री फडणवीस ने आगे कहा कि गुरु गोबिंद सिंह जी के संपूर्ण परिवार द्वारा दी गई शहादत देश के लिए सदैव प्रेरणादायी रही है। इतने महान बलिदानों के बावजूद गुरु गोबिंद सिंह जी कभी भी अपने उद्देश्य से विचलित नहीं हुए। सभी सिख गुरुओं ने मानवता, धर्म की स्वतंत्रता और मूल्यों की रक्षा के लिए बलिदान का सर्वोत्तम उदाहरण पूरी दुनिया के सामने प्रस्तुत किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उस काल की क्रूरता इतनी भयावह थी कि साहिबजादे बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह जैसे कोमल आयु के बालकों को भी शहीद कर दिया गया। राज्य सरकार गुरु तेग बहादुर जी के शहीदी समागम वर्ष का भी आयोजन कर रही है। ‘हिंद दी चादर’ के रूप में प्रसिद्ध गुरु तेग बहादुर जी ने देश और संस्कृति की रक्षा के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया।
गुरुबाणी के माध्यम से यह महान परंपरा आज भी हमें जीवन का सन्मार्ग दिखाती है। गुरुओं के विचार जीवन को अर्थ देने और मानवता की सेवा करने का सतत संदेश देते हैं। भारत और संपूर्ण मानवता इन महान बलिदानों को कभी नहीं भूल सकती। इन्हीं बलिदानों के कारण आज हमारा अस्तित्व, पंथ, भाषा और संस्कृति सुरक्षित हैं। उनके त्याग के समक्ष हम सभी को नतमस्तक होना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि जिनके बलिदान से हमारा अस्तित्व है, उनका निरंतर स्मरण करना ही सफल भविष्य का मार्ग है। इसी भावना से साहिबजादों के शौर्य की स्मृति में वीर बाल दिवस मनाने का निर्णय लिया गया। आज के दिन गुरुओं और उनके परिवार के बलिदान को सामूहिक रूप से स्मरण कर मानवता की रक्षा के लिए तत्पर रहने और गुरुओं के मार्ग पर चलने का संकल्प लें। नानक नामलेवा समाज को गुरुओं के माध्यम से जीवन जीने का सही मार्ग प्राप्त हुआ, यह अत्यंत गौरव और महत्त्व की बात है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि दसवें गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के सुपुत्र साहिबजादे बाबा जोरावर सिंह (9 वर्ष) और साहिबजादे बाबा फतेह सिंह (7 वर्ष) के अद्वितीय शौर्य एवं बलिदान के स्मरण का दिन है। वीर बाल दिवस के अवसर पर इन वीर शहीद साहिबजादों को नमन करते हुए गुरुओं से यह प्रार्थना करें कि उनके जीवन की दृढ़ता, साहस और निष्ठा हम सभी में भी आए।
मुख्यमंत्री फडणवीस ने आगे कहा कि गुरु गोबिंद सिंह जी के संपूर्ण परिवार द्वारा दी गई शहादत देश के लिए सदैव प्रेरणादायी रही है। इतने महान बलिदानों के बावजूद गुरु गोबिंद सिंह जी कभी भी अपने उद्देश्य से विचलित नहीं हुए। सभी सिख गुरुओं ने मानवता, धर्म की स्वतंत्रता और मूल्यों की रक्षा के लिए बलिदान का सर्वोत्तम उदाहरण पूरी दुनिया के सामने प्रस्तुत किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उस काल की क्रूरता इतनी भयावह थी कि साहिबजादे बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह जैसे कोमल आयु के बालकों को भी शहीद कर दिया गया। राज्य सरकार गुरु तेग बहादुर जी के शहीदी समागम वर्ष का भी आयोजन कर रही है। ‘हिंद दी चादर’ के रूप में प्रसिद्ध गुरु तेग बहादुर जी ने देश और संस्कृति की रक्षा के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया।
गुरुबाणी के माध्यम से यह महान परंपरा आज भी हमें जीवन का सन्मार्ग दिखाती है। गुरुओं के विचार जीवन को अर्थ देने और मानवता की सेवा करने का सतत संदेश देते हैं। भारत और संपूर्ण मानवता इन महान बलिदानों को कभी नहीं भूल सकती। इन्हीं बलिदानों के कारण आज हमारा अस्तित्व, पंथ, भाषा और संस्कृति सुरक्षित हैं। उनके त्याग के समक्ष हम सभी को नतमस्तक होना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि जिनके बलिदान से हमारा अस्तित्व है, उनका निरंतर स्मरण करना ही सफल भविष्य का मार्ग है। इसी भावना से साहिबजादों के शौर्य की स्मृति में वीर बाल दिवस मनाने का निर्णय लिया गया। आज के दिन गुरुओं और उनके परिवार के बलिदान को सामूहिक रूप से स्मरण कर मानवता की रक्षा के लिए तत्पर रहने और गुरुओं के मार्ग पर चलने का संकल्प लें। नानक नामलेवा समाज को गुरुओं के माध्यम से जीवन जीने का सही मार्ग प्राप्त हुआ, यह अत्यंत गौरव और महत्त्व की बात है।


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