हड़पसर, जनवरी (ह.ए. प्रतिनिधि)
स्ट्रॉबेरी का नाम लेते ही याद आती है महाबलेश्वर की। गुलाबी लाल रंग की स्ट्रॉबेरी को देखकर मुंह से लार टपकने पड़ती हैं, लेकिन स्ट्रॉबेरी का दाम अधिक होने से आम लोगों के घरों में स्ट्रॉबेरी खाना दूर ही है यानी आम लोगों के घरों की यह अवस्था है तो अनाथों की क्या अवस्था होगी? इसलिए कला परिवार हड़पसर ने अनाथ बच्चों को स्ट्रॉबेरी चखने को मिले, वे उसका पूरा लुत्फ उठा सकें, इस इरादे को लेकर तुकाईदर्शन स्थित शंभूराजे अनाथालय में स्ट्रॉबेरी महोत्सव का आयोजन किया गया था। यह जानकारी स्ट्रॉबेरी महोत्सव की आयोजिका डॉ. अश्विनी शेंडे ने दी है।
शंभूराजे अनाथालय के बच्चों के साथ- साथ स्ट्रॉबेरी चखते हुए उपस्थितों ने भी स्ट्रॉबेरी महोत्सव का पूरा आनंद उठाते हुए बच्चों के साथ समय बिताया।
अविनाश कीर्ति, सतीश कालेकर और जयश्री चव्हाण ने बाल गीत प्रस्तुत किए, जिस पर बच्चे भी नृत्य करके झूम उठे। यहां नगरसेवक मारुति आबा तुपे, दिलीप मोरे, योगेश गोंधले, डॉ.शंतनु जगदाले, पराग तुपे, नागनाथ होनमाने, रामदास तुपे, हेमा लालगे, शीतल चांदणे, रुपाली शिंदे, अविनाश कीर्ति, श्रीकृष्ण भिंगारे, पल्लवी वागस्कर, श्रुतिका क्षीरसागर, रुपाली वांबुरे, विद्या लाटे कांबले, संगीता बोराटे, प्रिया हिंगणे, अमोल भोंगले प्रमुख रूप से ऊपस्थित थे। इस अवसर पर कवि समाधान गायकवाड ने उपस्थित अतिथिगणों को ‘काळजातील काव्य प्रक्षेपण’ कविता संग्रह प्रदान किए।
स्ट्रॉबेरी महोत्सव की परिकल्पना डॉ. अश्विनी शेंडे की थी। वास्तु विशेषज्ञ आनंद पिंपलकर व राहुल जाधव ने महोत्सव के लिए विशेष सहयोग प्रदान किया। स्ट्रॉबेरी महोत्सव सफल बनाने के लिए कला परिवार हड़पसर के सदस्यों ने विशेष परिश्रम किया।
फोटो : शंभूराजे अनाथालय के बच्चों के साथ स्ट्रॉबेरी महोत्सव का आनंद लेते हुए नगरसेवक मारुति आबा तुपे, महोत्सव की आयोजिका डॉ. अश्विनी शेंडे उक्त चित्र में दिखाई दे रहे हैं।
स्ट्रॉबेरी का नाम लेते ही याद आती है महाबलेश्वर की। गुलाबी लाल रंग की स्ट्रॉबेरी को देखकर मुंह से लार टपकने पड़ती हैं, लेकिन स्ट्रॉबेरी का दाम अधिक होने से आम लोगों के घरों में स्ट्रॉबेरी खाना दूर ही है यानी आम लोगों के घरों की यह अवस्था है तो अनाथों की क्या अवस्था होगी? इसलिए कला परिवार हड़पसर ने अनाथ बच्चों को स्ट्रॉबेरी चखने को मिले, वे उसका पूरा लुत्फ उठा सकें, इस इरादे को लेकर तुकाईदर्शन स्थित शंभूराजे अनाथालय में स्ट्रॉबेरी महोत्सव का आयोजन किया गया था। यह जानकारी स्ट्रॉबेरी महोत्सव की आयोजिका डॉ. अश्विनी शेंडे ने दी है।
शंभूराजे अनाथालय के बच्चों के साथ- साथ स्ट्रॉबेरी चखते हुए उपस्थितों ने भी स्ट्रॉबेरी महोत्सव का पूरा आनंद उठाते हुए बच्चों के साथ समय बिताया।
अविनाश कीर्ति, सतीश कालेकर और जयश्री चव्हाण ने बाल गीत प्रस्तुत किए, जिस पर बच्चे भी नृत्य करके झूम उठे। यहां नगरसेवक मारुति आबा तुपे, दिलीप मोरे, योगेश गोंधले, डॉ.शंतनु जगदाले, पराग तुपे, नागनाथ होनमाने, रामदास तुपे, हेमा लालगे, शीतल चांदणे, रुपाली शिंदे, अविनाश कीर्ति, श्रीकृष्ण भिंगारे, पल्लवी वागस्कर, श्रुतिका क्षीरसागर, रुपाली वांबुरे, विद्या लाटे कांबले, संगीता बोराटे, प्रिया हिंगणे, अमोल भोंगले प्रमुख रूप से ऊपस्थित थे। इस अवसर पर कवि समाधान गायकवाड ने उपस्थित अतिथिगणों को ‘काळजातील काव्य प्रक्षेपण’ कविता संग्रह प्रदान किए।
स्ट्रॉबेरी महोत्सव की परिकल्पना डॉ. अश्विनी शेंडे की थी। वास्तु विशेषज्ञ आनंद पिंपलकर व राहुल जाधव ने महोत्सव के लिए विशेष सहयोग प्रदान किया। स्ट्रॉबेरी महोत्सव सफल बनाने के लिए कला परिवार हड़पसर के सदस्यों ने विशेष परिश्रम किया।
फोटो : शंभूराजे अनाथालय के बच्चों के साथ स्ट्रॉबेरी महोत्सव का आनंद लेते हुए नगरसेवक मारुति आबा तुपे, महोत्सव की आयोजिका डॉ. अश्विनी शेंडे उक्त चित्र में दिखाई दे रहे हैं।

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