· नए आपराधिक कानूनों में दोष सिद्धि दर को 90 फीसदी तक ले जाने की क्षमता
·नए आपराधिक कानूनों पर आधारित 5 दिवसीय प्रदर्शनी का मुख्यमंत्री द्वारा उद्घाटन
मुंबई, नवंबर (हड़पसर एक्सप्रेस न्यूज नेटवर्क)
ब्रिटिश काल के आपराधिक कानूनों में डिजिटल और इलेक्ट्रॉनिक स्वरूप के सबूत स्वीकार करने का प्रावधान नहीं था। इस कारण से आरोपी सबूत नष्ट कर बच निकलते थे और परिणामस्वरूप विभिन्न अपराधों में पीड़ितों को न्याय मिलने में काफी समय लगता था। लेकिन अब केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए नए आपराधिक कानूनों के लागू होने से पीड़ितों को निश्चित समयावधि में न्याय की गारंटी मिल रही है, ऐसा विश्वास राज्य के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने व्यक्त किया।
आजाद मैदान में नए आपराधिक कानूनों पर आधारित पांच दिवसीय प्रदर्शनी का उद्घाटन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस द्वारा किया गया। इस अवसर पर उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री बोल रहे थे। इस अवसर पर विधानसभा अध्यक्ष एड. राहुल नार्वेकर, उपमुख्यमंत्री अजित पवार, कौशल, रोजगार, उद्यमिता एवं नवाचार मंत्री मंगल प्रभात लोढा, मुख्य सचिव राजेश कुमार, और गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव इकबाल सिंह चहल मौजूद थे। इसके अलावा इस कार्यक्रम में पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) रश्मि शुक्ला भी उपस्थित थीं।
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि भारत पर शासन करने के लिए भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), आपराधिक प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम ब्रिटिशों ने बनाए थे। इन कानूनों में पीड़ितों को त्वरित न्याय दिलाने की व्यवस्था नहीं थी। लेकिन नए कानूनों के जरिए यह व्यवस्था बदल गई है, जो आरोपी को कठोर दंड और पीड़ित को न्याय देने वाली सिद्ध हो रही है। लोकतंत्र में चुनी हुई सरकार जनता की ‘ट्रस्टी’ होती है और उसी अनुसार ये कानून बनाए गए हैं। नए कानून दंड से ज्यादा न्याय पर जोर देने वाले हैं।
उन्होंने कहा कि 2013 में राज्य का दोष सिद्धि दर केवल 9 फीसदी था, जो अब 53 फीसदी तक पहुंच गया है। नए आपराधिक कानूनों के अमल में आने से यह दर निश्चित रूप से 90 फीसदी तक जा सकती है। सरकार ने 14 शासकीय निर्णयों (जीआर) के माध्यम से पुलिस दल में कई सुधार किए हैं। पुलिस दल के नियुक्ति नियम और नई संरचना बनाई गई है। नए चुनौतियों का सामना करने के लिए सक्षम पुलिस दल तैयार किया जा रहा है। पिछले कुछ वर्षों में 50 हजार से ज्यादा पदों पर भर्ती की गई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारा पुलिस दल देश में नंबर एक है और अब इसे विश्व में भी शीर्ष स्थान पर लाने पर जोर दिया जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि साइबर अपराध एक नई चुनौती है। राज्य में देश की सर्वश्रेष्ठ साइबर लैब है। पिछले कुछ दिनों में साइबर बुलिंग से 60 से ज्यादा लड़कियों को बचाने में सफलता मिली है। 'जस्टिस असिस्टेंस मोबाइल वैन' के माध्यम से सबूतों की पारदर्शी जांच की जा रही है। नई तकनीक के कारण फॉरेंसिक लैब में प्रलंबित नमूनों की संख्या में कमी हो रही है।
नए आपराधिक कानूनों में किसी भी पुलिस स्टेशन के अंतर्गत अपराध दर्ज करने की सुविधा दी गई है। इसलिए अपराध करके दूसरे राज्यों में भागने वाले अपराधी अब बच नहीं सकेंगे। ई-एफआईआर की सुविधा भी नागरिकों के लिए उपलब्ध है।
उन्होंने कहा कि इस प्रदर्शनी में अपराध दर्ज होने से लेकर आरोपी को सजा मिलने तक की पूरी प्रक्रिया को प्रत्यक्ष (प्रदर्शनात्मक) स्वरूप में जानकारी दी जा रही है। इस तरह की प्रदर्शनी आगे तहसील कार्यालयों में और फिर जिला स्तर पर आयोजित करने के निर्देश भी मुख्यमंत्री फडणवीस ने दिए हैं।
प्रस्ताविक भाषण में पुलिस महानिदेशक रश्मि शुक्ला ने प्रदर्शनी आयोजन की पृष्ठभूमि और उद्देश्य पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि यह प्रदर्शनी 23 नवंबर 2025 तक सुबह 10 बजे से शाम 6 बजे तक खुली रहेगी।
गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव चहल ने प्रदर्शनी और नए कानूनों के बारे में विस्तृत जानकारी दी। इस कार्यक्रम का संचालन मृण्मयी भजक ने किया तथा विशेष पुलिस महानिरीक्षक मनोज कुमार शर्मा ने आभार व्यक्त किया।
नए आपराधिक कानूनों में समाज की विकृत मानसिकता को कठोर दंड देने की है क्षमता : उपमुख्यमंत्री अजित पवार
समय के अनुसार नई तकनीक की मदद से सबूत सुरक्षित रखकर अपराधियों को जेल तक पहुंचाने की व्यवस्था इन नए आपराधिक कानूनों ने की गई है।नए आपराधिक कानूनों के क्रियान्वयन से समाज में विकृत मानसिकता वालों को कड़ी सजा देने की ताकत पैदा हुई है, ऐसा प्रतिपादन उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने किया।
उन्होंने कहा कि गतिशील न्याय और पारदर्शिता बढ़ाने हेतु नए आपराधिक कानूनों में कई महत्वपूर्ण प्रावधान हैं। इसमें डिजिटल और इलेक्ट्रॉनिक सबूतों के आधार पर अपराधी को सजा देने की व्यवस्था है। महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा से संबंधित महत्वपूर्ण प्रावधान इन कानूनों का हिस्सा हैं। स्वतंत्रता, समानता और न्याय जैसे संवैधानिक मूल्यों के अनुरूप ये कानून तैयार किए गए हैं। किसी भी कानून की उपयोगिता उसके क्रियान्वयन पर निर्भर करती है, और यह प्रदर्शनी इन कानूनों को सीखने का अवसर प्रदान करती है। इसलिए ज्यादा से ज्यादा नागरिकों को प्रदर्शनी में शामिल होने का आवाहन भी उपमुख्यमंत्री पवार ने किया।
प्रदर्शनी में मुख्य नियंत्रण कक्ष, न्यायिक विज्ञान प्रयोगशाला, न्याय चिकित्सा एवं विष विज्ञान विभाग कक्ष, पुलिस थाना, अभियोजन निदेशालय का कक्ष, सिटी सिविल और सत्र न्यायालय, उच्च न्यायालय तथा मध्यवर्ती कारागृह जैसी इकाइयों के माध्यम से नए आपराधिक कानूनों के धाराओं पर आधारित प्रदर्शन मुख्यमंत्री के सामने प्रस्तुत किया गया।
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