वैश्विक हिंदी परिवार द्वारा हिंदीतर प्रदेशों के युवाओं के लिए आयोजित ऑनलाइन हिंदी प्रतियोगिता के विजेताओं को पुरस्कार प्रदान
पुणे, नवंबर (हड़पसर एक्सप्रेस न्यूज नेटवर्क)
बार-बार हिंदी के खतरे की बात हो रही है, लेकिन हिंदी को किसी से किसी तरह का कोई खतरा नहीं है। जब हम भारत में होते हैं तब आपसी संपर्क की भाषा हिंदी होती ही है क्योंकि देश के सात-आठ प्रदेशों की भाषा हिंदी है, लेकिन जब हम विदेश जाते हैं तो हमारी प्रांतीय पहचान से भी ऊपर हो जाती है, एक भारतीय के रूप में हमारी पहचान। विदेश की धरती पर हर भारतीय एक-दूसरे से हिंदी की वजह से ही जुड़ता है। ऐसा कहते हुए महाराष्ट्र राज्य पाठ्यपुस्तक निर्मिति व पाठ्यक्रम संशोधन मंडल पुणे की विशेषाधिकारी हिंदी तथा समन्वयक विद्या विभाग अलका पोतदार ने हिंदीतर प्रदेशों के युवाओं के लिए आयोजित ऑनलाइन हिंदी प्रतियोगिता की सराहना की।
गत रविवार को शुक्रवार पेठ स्थित महाराष्ट्र राष्ट्रभाषा प्रचार समिति के कार्यालय में हिंदीतर भाषी युवाओं हेतु राजभाषा हिंदी के उपलक्ष्य में आयोजित ऑनलाइन प्रतियोगिता के विजेताओं/प्रतिभागियों का अभिनंदन समारोह हुआ। कार्यक्रम के लिए निशुल्क समिति का सभा कक्ष उपलब्ध कराने के साथ ही समिति की ओर से अल्पाहार और प्रतियोगियों के प्रमुख व्यक्तित्व पर केंद्रित लिए पांच-पांच पुस्तिकाएं भी प्रदान की गईं।
इस अवसर पर अध्यक्षता करते हुए पोतदार ने पहली से 12वीं तक के विद्यार्थियों के लिए प्रदेश सरकार द्वारा बनने वाली किताबों की जानकारी देते हुए बताया कि पाठ्यक्रमों के संशोधन एवं निर्माण का कार्य यहाँ होता है। उपस्थित विद्यार्थियों ने जाना कि अपने स्कूली पाठ्यक्रम में वे भाषा की जिन किताबों को बालभारती के नाम से जानते हैं उसके निर्माण का कार्य यह संस्था करती है। दरअसल देश भर में राजभाषा विभाग की स्वर्ण जयंती मनाई जा रही है। इस उपलक्ष्य में हिंदी दिवस 2025 के औचित्य को साधते हुए हिंदीतर भाषी क्षेत्र के युवाओं के लिए वैश्विक हिंदी परिवार (महाराष्ट्र) की ओर से राज्य स्तरीय निःशुल्क हिंदी प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था। वैश्विक हिंदी परिवार 70 से अधिक देशों के हिंदी से जुड़े विचारकों, साहित्यकारों तथा भाषाकर्मियों का समूह है। यह आयोजन ‘केंद्रीय हिंदी संस्थान’ ‘दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा’, ‘भारतीय भाषा मंच’ के संयुक्त तत्वावधान में वैश्विक हिंदी परिवार का था, जिसमें 18 से 25 वर्ष की आयु के युवाओं ने भाग लिया था। पूरे देश के हिंदीतर प्रदेशों से प्रतियोगिता में 5097 विद्यार्थियों ने भाग लिया था, जिसमें महाराष्ट्र के 910 विद्यार्थियों ने प्रतिभागिता की। भारत आयात-निर्यात (इंडिया एक्जिम) बैंक, मुंबई के सहयोग से महाराष्ट्र के प्रथम, द्वितीय, तृतीय स्थान पर आए 23 विद्यार्थियों का सम्मान हुआ, जिनमें से नागपुर को छोड़कर शेष सभी को पुणे में पुरस्कृत किया गया। मुंबई से नवेंदु कुमार का इसमें सहयोग रहा। नागपुर की दूरी अधिक होने से उसके लिए अलग आयोजन का नियोजन है। विजेता विद्यार्थियों में पुणे के 7 विद्यार्थी थे। पुणे के प्रतिभागी विद्यार्थियों का भी प्रमाणपत्र देकर अभिनंदन किया गया।
वैश्विक हिंदी परिवार के अध्यक्ष अनिल जोशी की परिकल्पना से प्रतियोगिता का मुख्य उद्देश्य हिंदीतर भाषी क्षेत्र के युवाओं में भारत और हिंदी के रिश्ते को और मज़बूत बनाना था। सभी छात्रों को प्रमाण पत्र के साथ पहले स्थान पर रहे 5 विद्यार्थियों को 2500 रुपए, द्वितीय स्थान पर रहे 6 विद्यार्थियों को 1500 रुपए तथा तृतीय स्थान पर रहे 12 विद्यार्थियों को 1000 रुपए के पुरस्कार दिए गए।
प्रांत संयोजक स्वरांगी साने (पुणे) थीं। सह संयोजक मुंबई से डॉ. रवींद्र कात्यायन थे। प्रतियोगिता को नियोजित करने से लेकर आयोजन तक में समिति के कार्याध्यक्ष डॉ. सुनील देवधर ने महती भूमिका निभाई।
पुरस्कार प्रदान समारोह के मुख्य अतिथि राष्ट्र भाषा प्रचार समिति के संचालक 95 वर्षीय हिंदी सेवी जयराम फगरे थे। उन्होंने बीते कल की बात करते हुए आने वाले कल के प्रति उम्मीद जताई। उन्होंने कहा कि जब इतने युवा हिंदी की सेवा के लिए आ रहे हैं तो हिंदी को लेकर आशंकित होने की कोई आवश्यकता नहीं। मुंबई से आए विशेष अतिथि डॉ. रमेश यादव ने वैश्विक हिंदी परिवार की स्थापना से अब तक की यात्रा की जानकारी देते हुए युवाओं को हिंदी से जुड़े रहने के लिए प्रेरित किया। विशिष्ट अतिथि डॉ. सुनील देवधर तथा बंडोपंत पाटिल ने विद्यार्थियों का मार्गदर्शन किया। शहर के जानेमाने साहित्यकार सुमित पॉल, ग़ज़लगो प्रदीप निफाडकर सहित कई गणमान्य अतिथि इस अवसर पर उपस्थित थे।
पहले सत्र में विजेता विद्यार्थियों का सम्मान किया गया। शत प्रतिशत अंक पाने वाली कांचन शेलके (मॉर्डन कॉलेज पुणे), समृद्धि भालवणकर (डेक्कन कॉलेज पुणे) तथा सानिया मुल्ला (मास्टर दीनानाथ मंगेशकर कॉलेज, लातूर) को 2500 रुपए नकद पुरस्कार, प्रमाण पत्र तथा स्मृति चिह्न दिया गया। महावीर कॉलेज कोल्हापुर की निधि कोरे ने भी शत प्रतिशत अंक पाए, जिन्हें ऑनलाइन राशि स्थानांतरित की जाएगी। नागपुर के जी. एस. कॉलेज के जय भरणे को शीघ्र ही नागपुर में होने वाले कार्यक्रम में सम्मानित किया जाएगा।
द्वितीय स्थान पर रही अंजली पाटिल (एसपी कॉलेज, पुणे), संस्कृति महाले (मॉर्डन कॉलेज, पुणे) तथा यासीन राशिद (एफ सी) को 1500 रुपए की राशि दी गई। तृतीय स्थान पर रहे साईम शेख (एचजीटीसी जलगांव), रेशमा यादव (मॉर्डन कॉलेज, पुणे) तथा निमेश कुमार (मुंबई युनिवर्सिटी) को 1000 रुपए प्रदान किए गए। पुणे के उपस्थित प्रतिभागियों- साक्षी कांबले मॉर्डन कॉलेज, मयूरी यादव एफसी, रोहित खैरनार (पिंपरी), राज साहनी एशियन कॉलेज, प्रिया बरकुड (मॉर्डन), मुस्कान गोलंदाज (पिंपरी), सन्नो शर्मा व रितु तोमर को प्रमाण पत्र दिया गया। इस सत्र का संचालन निर्मला राजपूत व भावना गुप्ता ने किया। आभार मनीषा तनपुरे ने माना।
इसके तुरंत बाद काव्य संध्या का आयोजन किया गया था। गुप्ता एवं राजपूत के साथ नव कवि खगेश वैद्य एवं प्रतिभागी मुस्कान तथा रोहित ने भी काव्य पाठ किया। शहर के कवियों में डॉ. अलका अग्रवाल, प्रेरणा उबाले, हितेश व्यास, डॉ. सत्येंद्र सिंह, सुनील जोशी, प्रशांत कांबले, विद्या सराफ, शुभांगी गुरवे, विजयबाला स्याल, सुरजीत, अनुराधा, डॉ. अनीता जठार, नरेंद्र छाबड़ा, हृदय प्रकाश, धर्मेंद्र सिंह, स्नेहा सिंह, शिल्पा कांबले, वेद स्मृति आदि ने काव्य पाठ किया। इस सत्र का संचालन राजपूत ने किया तथा आभार प्रदर्शन प्रो. पूनम कन्नौजे ने किया।


