
यह ऐतिहासिक कदम देश की कानूनी माप प्रणाली में एक क्रांतिकारी सुधार का प्रतीक है, इसके तहत सत्यापन क्षमता को सार्वजनिक क्षेत्र से आगे बढ़ाकर योग्य निजी संस्थाओं की अधिक भागीदारी को सक्षम बनाया गया है। इस पहल का उद्देश्य व्यापार और उपभोक्ता लेन-देन में प्रयुक्त वजन और माप की सटीकता और विश्वसनीयता को मजबूत करना, साथ ही व्यापार करने में सुगमता और नियामक दक्षता में सुधार करना है।
23 अक्टूबर 2025 को अधिसूचित कानूनी मापन (सरकारी अनुमोदित परीक्षण केंद्र) नियम, 2013 में संशोधन किया गया था और अब निजी संस्थाओं को सरकारी मापन केंद्रों (जीएटीसी) के रूप में मान्यता दी गई है । संशोधित नियमों ने जीएटीसी के दायरे को काफी हद तक विस्तारित किया है और निर्धारित तकनीकी मानदंडों को पूरा करने वाली निजी प्रयोगशालाओं और उद्योगों को अंतरराष्ट्रीय सर्वोत्तम तौर-तरीकों के अनुरूप वजन और मापन उपकरणों के सत्यापन और पुनः सत्यापन का कार्य करने में सक्षम बनाया है।
अब 18 श्रेणियों के उपकरणों को शामिल किया गया है।
संशोधित ढांचे के तहत अब वजन और माप उपकरणों की 18 श्रेणियां शामिल की गई हैं। यह स्वास्थ्य सेवा, परिवहन, ऊर्जा, बुनियादी ढांचे और उपभोक्ता सेवाओं सहित विभिन्न क्षेत्रों में विकसित हो रही तकनीकी और क्षेत्रीय आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाती हैं। इनमें शामिल हैं:
- पानी के मीटर, ऊर्जा मीटर, गैस मीटर
- प्रवाह मीटर, नमी मीटर
- स्फिग्मोमैनोमीटर और क्लिनिकल थर्मामीटर
- सांस विश्लेषक और वाहन गति मीटर
- बहुआयामी मापन उपकरण
- स्वचालित रेल वजन पुल
- टेप मापक यंत्र, गैर-स्वचालित वजन मापने के उपकरण
- लोड सेल, बीम स्केल, काउंटर मशीनें
- सभी श्रेणियों का भार
संशोधित नियमों की अधिसूचना के बाद, उपभोक्ता मामलों के विभाग ने जीएटीसी मान्यता के लिए पात्र निजी संस्थाओं से आवेदन आमंत्रित करने और उन पर कार्रवाई करने के लिए एक समर्पित ऑनलाइन पोर्टल शुरू किया। आवेदन प्रक्रिया 30 नवंबर 2025 तक खुली रही। इससे पारदर्शी, डिजिटल और समयबद्ध प्रक्रिया सुनिश्चित हुई और इसके परिणामस्वरूप त्वरित अनुमोदन और बेहतर सेवा वितरण संभव हुआ।

यह सार्वजनिक-निजी भागीदारी पहल आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना के अनुरूप है । यह घरेलू तकनीकी क्षमताओं का लाभ उठाती है और निजी संस्थाओं को एक समान, पारदर्शी और विनियमित ढांचे के भीतर भारत के विस्तारित सत्यापन नेटवर्क में सार्थक योगदान देने में सक्षम बनाती है।
क्षेत्रीय संदर्भ मानक प्रयोगशालाओं (आरआरएसएल) और राष्ट्रीय परीक्षण गृह (एनटीएच) प्रयोगशालाओं को जीएटीसी के रूप में निरंतर मान्यता मिलने से एक मजबूत राष्ट्रव्यापी सत्यापन प्रणाली सुनिश्चित होती है। सत्यापन गतिविधियों के विकेंद्रीकरण से, यह सुधार राज्य विधिक मापन विभागों के लिए एक बल गुणक के रूप में कार्य करता है। इससे विधिक मापन अधिकारी निरीक्षण, प्रवर्तन और उपभोक्ता शिकायत निवारण पर अधिक प्रभावी ढंग से ध्यान केंद्रित कर सकते हैं।
इन सुधारों के माध्यम से, सरकार वैज्ञानिक, प्रौद्योगिकी-संचालित और भविष्य के लिए तैयार कानूनी माप प्रणाली के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करती है। यह अंतरराष्ट्रीय मानकों और सर्वोत्तम तौर-तरीकों के अनुरूप है। इससे उपभोक्ता विश्वास, नियामक दक्षता और व्यापार में निष्पक्षता मजबूत होती है।
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