
यह पहल अवसंरचना निर्माण से सतत सेवा वितरण की ओर एक निर्णायक बदलाव का प्रतीक है, जो हर घर जल (एचजीजे) गांवों में पेयजल आपूर्ति की नियमितता, पर्याप्तता, गुणवत्ता और स्थिरता का आंकलन करने के केंद्र में ग्राम पंचायतों और ग्राम संस्थानों को रखती है।
कई ग्राम पंचायतों को हर घर जल का दर्जा प्राप्त होने के साथ, जल जीवन मिशन एक नए चरण में प्रवेश कर चुका है, जहां नल कनेक्शन से प्रतिदिन विश्वसनीय और सुरक्षित पेयजल सेवाएं सुनिश्चित करने पर जोर दिया जा रहा है। जल सेवा आंकलन को एक सामुदायिक स्वामित्व वाली स्व-मूल्यांकन प्रणाली के रूप में परिकल्पित किया गया है, जो गांवों को केवल अनियमित और महंगे तृतीय-पक्ष सर्वेक्षणों पर निर्भर रहने के बजाय अपनी जल सेवा वितरण प्रणालियों पर सामूहिक रूप से विचार करने में सक्षम बनाती है।

सभा को संबोधित करते हुए मंत्री महोदय ने कहा कि जल जीवन मिशन का उद्देश्य केवल संसाधन सृजन करना ही नहीं है, बल्कि प्रत्येक ग्रामीण परिवार को सतत आधार पर विश्वसनीय पेयजल सेवाएं उपलब्ध कराना भी है। उन्होंने मिशन के चार प्रमुख स्तंभों - राजनीतिक इच्छाशक्ति, जनभागीदारी, हितधारकों का सहयोग और संसाधनों का इष्टतम उपयोग - का उल्लेख किया। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि जनभागीदारी हर घर जल की उपलब्धियों की दीर्घकालिक स्थिरता सुनिश्चित करने का सबसे महत्वपूर्ण स्तंभ है।

मंत्री महोदय कहा कि ग्रामीण पेयजल प्रणालियों की दीर्घकालिक स्थिरता के लिए सामुदायिक भागीदारी और पारदर्शिता आवश्यक हैं, और यह नया टूल सेवा वितरण में मौजूद कमियों की जल्द पहचान करने और समय पर सुधारात्मक कार्रवाई करने में मदद करेगा।
ग्राम पंचायतों के साथ संवाद




कार्यक्रम का समापन राष्ट्रीय जल जीवन मिशन की संयुक्त सचिव श्रीमती स्वाति मीना नाइक द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ, जिसके बाद मिशन की उप सचिव श्रीमती अंकिता चक्रवर्ती द्वारा ग्राम पंचायत प्रतिनिधियों के लिए जल सेवा आंकलन उपकरण पर एक प्रशिक्षण सत्र आयोजित किया गया ।
जल सेवा आंकलन क्यों महत्वपूर्ण है?
कई ग्राम पंचायतों को हर घर जल का दर्जा प्राप्त हो जाने के बाद, अब नियमित, पर्याप्त, सुरक्षित और सतत पेयजल आपूर्ति सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। जल सेवा आंकलन अनियमित बाहरी सर्वेक्षणों पर निर्भरता को स्थानीय शासन में निहित एक सतत, संस्थागत रूप से स्थापित मूल्यांकन तंत्र से प्रतिस्थापित करता है ।
इस मूल्यांकन में सेवा के प्रमुख मापदंड शामिल हैं, जिनमें निम्नलिखित शामिल हैं:
- जल आपूर्ति की नियमितता और पर्याप्तता
- पेयजल की गुणवत्ता
- प्रणालियों का संचालन और रखरखाव
- स्रोत स्थिरता
- ग्राम-स्तर पर संस्थागत और प्रबंधन व्यवस्थाएं।
मूल्यांकन प्रक्रिया
यह प्रक्रिया ग्राम जल एवं स्वच्छता समिति के सदस्यों, पंचायत सचिव, सिस्टम संचालकों और जल उपयोगकर्ताओं के प्रतिनिधियों, जिनमें महिलाएं और कमजोर समूह शामिल हैं, के साथ संरचित चर्चाओं से शुरू होती है। इसके बाद निष्कर्षों को खुली चर्चा और अनुमोदन के लिए ग्राम सभा के समक्ष रखा जाता है।
ग्राम सभा के प्रस्ताव द्वारा अनुमोदन प्राप्त होने पर, मूल्यांकन को डिजिटल रूप से जल जीवन मिशन पंचायत डैशबोर्ड पर अपलोड किया जाता है और ई-ग्राम स्वराज और मेरी पंचायत ऐप जैसे प्लेटफार्मों के माध्यम से सार्वजनिक किया जाता है। अंतिम रूप देने से पहले नागरिकों से प्रतिक्रिया प्राप्त करने के लिए 30 दिनों की अवधि दी जाती है। ये निष्कर्ष जिला कलेक्टरों/सीईओ जिला पंचायतों और राज्य-स्तरीय अधिकारियों को भी उपलब्ध कराए जाएंगे ताकि आवश्यकतानुसार सुधारात्मक कार्रवाई की जा सके और समस्याओं का समाधान किया जा सके।
अपेक्षित परिणाम
जल सेवा आंकलन से यह अपेक्षित है:
- ग्राम सभा की चर्चाओं में पेयजल सेवा मूल्यांकन को आधार प्रदान करना।
- परिचालन, गुणवत्ता और स्थिरता संबंधी चुनौतियों की शीघ्र पहचान को सक्षम बनाना।
- सेवा प्रदर्शन की सार्वजनिक जानकारी के माध्यम से पारदर्शिता में सुधार करना।
- साक्ष्य-आधारित जिला और राज्य-स्तरीय योजना का समर्थन करना।
- ग्रामीण जल आपूर्ति प्रणालियों के सामुदायिक प्रबंधन को सुदृढ़ करना।
सभी हर घर जल ग्राम पंचायतों से 26 जनवरी 2026 तक जल सेवा आंकलन को पूरा करने की अपेक्षा की जाती है , जो इस सिद्धांत को सुदृढ़ करता है कि ग्रामीण जल आपूर्ति प्रणालियां समुदाय की हैं और उनका प्रबंधन स्वयं समुदाय द्वारा किया जाना चाहिए।
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