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सौर ऊर्जा संरक्षण में जन-जागरण जरूरी

-डी. चित्रा चित्रांश, भोपाल


वर्तमान में बिजली के संकट को मद्देनजर रखते हुए, सरकार द्वारा अनेक राज्यों में आज कई नवीनतम योजनाएं कार्यान्वित हैं, परंतु इसके सफल योजन हेतु जन-जागरण जागृति अतिशय आवश्यक है, जिसके लिए महाराष्ट्र सरकार प्रयासरत है।
महाराष्ट्र में सौर ऊर्जा की कई महत्वपूर्ण योजनाएं कार्यान्वित हैं। यह राज्य सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने में अग्रसर है, जिसमें बड़े सौर पार्क जैसे सोलापुर में 1.2 गीगावाट, रूफटॉप सोलर योजनाएँ और किसानों के लिए सौर पंप प्रधानमंत्री कुसुम योजना भी शामिल हैं और कई नई योजनाएं भी कतार में हैं, जिससे राज्य में सौर ऊर्जा का अत्यधिक आकर्षण एवं उपयोग बढ़ रहा है, यह जनकल्याण हेतु किया  गया महत्वपूर्ण प्रयास है।
जिसमें प्रमुख सौर ऊर्जा परियोजनाएं :- मेगा सोलर पार्क- सोलापुर में 1.2 गीगावाट क्षमता वाला एक बड़ा सौर ऊर्जा पार्क बन रहा है और पुणे में कई बड़ी सौर ऊर्जा परियोजनाएं हैं।
विकेंद्रीकृत सौर परियोजना :-
महाराष्ट्र दुनिया की सबसे बड़ी सोलह हजार मेगावाट की विकेन्द्रीकृत सौर परियोजना लॉन्च करने की योजना बना रहा है। सौर ऊर्जा योजनाएं महाराष्ट्र के कृषक वर्ग के लिए लाभदायक एवं उन्नति पूर्ण कदम है,जो बिजली संकट से जूझते कृषकों एवं उद्योगपतियों के लिए फायदे का सौदा साबित हो रही है।
ऊर्जा संरक्षण में जन-जागृति जरूरी
हमारे देश में ऊर्जा के संसाधन सीमित हैं। अन्य देशों की तुलना में हमारे यहाँ जनसंख्या का प्रतिशत अधिक होने के कारण ऊर्जा की खपत में भारी अंतर दिखाई देता है। हमारी धरती प्रत्येक मानव की आवश्यकता की पूर्ति हेतु पर्याप्त संसाधन प्रदान करती है, परंतु मानव प्रवृत्ति क्षण-क्षण अति-लालच की ओर अग्रसर होती जा रही है। इसी कारण धीरे-धीरे सभी संसाधनों की कमी महसूस होने लगी है, जिनमें ऊर्जा भी एक महत्वपूर्ण संसाधन है।
ऊर्जा का हमारे जीवन में अत्यंत महत्वपूर्ण योगदान है। मानव जाति की आवश्यकताओं के अनुरूप यदि ऊर्जा का अभाव उत्पन्न हो जाए, तो आधुनिक जीवनशैली प्रभावित हो सकती है। आज हम सभी आधुनिक संसाधनों के आदि हो चुके हैैं। वर्तमान समय में हम सभी घरों में अनेक आधुनिक विद्युत उपकरणों का उपयोग करते हैं, तथा कारखाने और फैक्ट्रियाँ भी बिजली से ही संचालित होती हैं। अधिक उत्पादन के लालच में बड़े उद्योगपति अत्यधिक ऊर्जा का उपयोग करते हैं। इसके कारण वर्तमान में ही आम नागरिकों तक बिजली की आपूर्ति व्यवस्थित रूप से नहीं पहुँच पा रही है। यदि यह स्थिति बनी रही, तो कुछ समय पश्चात ऊर्जा का अकाल भी उत्पन्न हो सकता है। बड़े कारखानों के संचालन हेतु अत्यधिक ऊर्जा की खपत होती है, जो भविष्य में ऊर्जा-अभाव का कारण बन सकती है।
ऊर्जा का अत्यधिक उपयोग हमारे दैनिक कार्यों, व्यवसाय, कृषि, कारखानों और फैक्ट्रियों पर भी प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है तथा ऊर्जा आपूर्ति को बाधित कर सकता है। हम ऊर्जा उत्पादन से अधिक उसका उपभोग कर रहे हैं, जो हानिकारक है। इस प्रकार हम सीधे-सीधे आपूर्ति के सिद्धांत को प्रभावित कर रहे हैं।
ऊर्जा निर्माण के साधन सीमित हैं। इसके अत्यधिक उपयोग और दुरुपयोग से देश में ऊर्जा की कमी तथा प्रदूषण का खतरा बढ़ता जा रहा है। परिणामस्वरूप हमारे स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है और भविष्य में हमें अंधकारमय जीवनशैली अपनानी पड़ सकती है। यदि समय रहते हम नहीं संभले, तो परिणाम अत्यंत हानिकारक हो सकते हैं, इसलिए ऊर्जा संरक्षण के उपायों पर गंभीरता से ध्यान देना आवश्यक है।
कोयला, तेल और प्राकृतिक गैस का जिस गति से दोहन हो रहा है, उनके पुनर्निर्माण में कई वर्षों का समय लगता है। ये स्रोत नवीकरणीय नहीं हैं, इसलिए इनके उपयोग के दुष्परिणामों को समझते हुए हमें ऊर्जा संरक्षण की ओर ध्यान देना चाहिए।
ऊर्जा संरक्षण के कुछ प्रभावी उपाय
1. बिजली के उपकरणों का सही और सीमित उपयोग।
2. एलईडी बल्बों का उपयोग।
3. आवश्यकता के अनुसार ही लाइट, पंखे, कूलर आदि चलाना।
4. घरों में हीटर और ए.सी. का संयमित उपयोग।
5. बीईई (
BEE) स्टार वाले उपकरणों का चयन।
हमारे द्वारा किए गए ये छोटे-छोटे उपाय ऊर्जा प्रबंधन में अत्यंत कारगर सिद्ध हो सकते हैं तथा हम ऊर्जा संरक्षण में सहायक बन सकते हैं। ऊर्जा की बचत कर हम अपना धन भी बचाते हैं, जिससे आर्थिक लाभ मिलता है।
भूमि, जल और वायु हमारे पूर्वजों की देन नहीं, बल्कि प्रकृति की अनमोल संपदा हैं। इनका मनमाना उपयोग या दुरुपयोग नहीं किया जा सकता। इनका सावधानीपूर्वक उपयोग करना हमारा महत्वपूर्ण कर्तव्य है। यदि हमें लंबे समय तक ऊर्जा का लाभ लेना है, तो उसके संरक्षण के उपाय अपनाना आवश्यक है। ऊर्जा बचाना प्रत्येक नागरिक का दायित्व है। प्रकृति ने हमें बेहतरीन संसाधन प्रदान किए हैं, जिनका सदुपयोग करना हमें सीखना चाहिए अन्यथा वह दिन दूर नहीं जब प्राकृतिक संसाधन समाप्त हो जाएँ और हम ऊर्जा-विहीन जीवन जीने पर मजबूर हो जाएँ।
समय रहते किए गए ऊर्जा संरक्षण के उपाय समाज के प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है। हमारा समय रहते जागना अत्यंत आवश्यक है।
जब जागे तभी सवेरा अन्यथा अंधेरा ही अंधेरा!

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