• ‘मागेल त्याला सौर कृषीपंप’ योजना ने बनाया विश्व रिकॉर्ड; गिनीज बुक में दर्ज
छत्रपति संभाजीनगर, 5 दिसंबर:- महाराष्ट्र देश में कृषि क्षेत्र में सौर ऊर्जा का सर्वाधिक उपयोग करने वाला राज्य बन गया है। किसानों के लिए फीडरों को सौर ऊर्जा पर स्थानांतरित कर राज्य में स्वतंत्र रूप से 16,000 मेगावॅट बिजली उत्पादन किया जाएगा। इसके कारण अन्य उपभोक्ताओं के लिए बिजली शुल्क में हर साल 3 प्रतिशत कमी की जा सकेगी, यह घोषणा मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने की।
‘मागेल त्याला सौर कृषीपंप’ योजना के तहत महाराष्ट्र ने विश्व रिकॉर्ड स्थापित किया है। महावितरण ने सिर्फ एक महीने में 45,911 सौर कृषि पंप स्थापित किए, जिसकी गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज हुई। प्रमाणपत्र प्रदान समारोह छत्रपति संभाजीनगर के शेंद्रा एमआईडीसी स्थित ऑरिक सिटी मैदान में आयोजित किया गया, जिसमें मुख्यमंत्री फडणवीस मुख्य अतिथि थे। गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स के प्रतिनिधि कार्ल सैबेल ने यह विश्व रिकॉर्ड घोषित किया।
कार्यक्रम में राज्य के मंत्री अतुल सावे, राज्यमंत्री मेघना साकोरे-बोर्डीकर, विधायक संजय केणेकर, नारायण कुचे, प्रशांत बंब,सुरेश धस, श्रीमती. अनुराधा चव्हाण, मुख्यमंत्री के वित्तीय सल्लागार तथा ‘मित्रा’के मुख्य कार्यकारी अधिकारी प्रवीण परदेशी, ऊर्जा विभागकी अपर मुख्य सचिव आभा शुक्ला, महावितरणके अध्यक्ष तथा व्यवस्थापकीय संचालक लोकेश चंद्र, सहव्यवस्थापकीय संचालक आदित्य जिवने, और वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। शुरुआत में मुख्यमंत्री फडणवीस ने राज्यभर में स्थापित सौर पंपों का डिजिटल लोकार्पण किया और लाभार्थी किसानों से वीडियो संवाद साधा। इसके बाद गिनीज बुक के निरीक्षक कार्ल सैबेल ने रिकॉर्ड की आधिकारिक घोषणा कर प्रमाणपत्र व मेडल प्रदान किए। इसके साथ ही एआईआइएम बैंक और महावितरण के बीच वित्तीय सहयोग के लिए महत्वपूर्ण समझौता भी किया गया।
सौर पंप स्थापना क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि
मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा कि पानी और बिजली की कमी के कारण किसानों को सिंचाई में हमेशा कठिनाइयाँ होती थीं। जलयुक्त शिवार योजना से पानी उपलब्ध हुआ, लेकिन बिजली की कमी के चलते किसान रात में खेतों तक जाने को मजबूर थे। इसलिए सरकार ने कृषि फीडरों को सौर ऊर्जा पर लाने का निर्णय लिया और 1 लाख सोलर पंपों का लक्ष्य रखा। यह योजना इतनी सफल रही कि केंद्र ने इसे अन्य राज्यों के लिए अनुकरणीय बताते हुए पत्र जारी किया। इसी से केंद्र की ‘कुसुम योजना’ का स्वरूप बना। आज देश में स्थापित 7 लाख सौर पंपों में से सर्वाधिक महाराष्ट्र में हैं।
महावितरण, तकनीशियन, सप्लायर कंपनियों और सभी संबंधितों की मेहनत से यह विश्व रिकॉर्ड संभव हुआ। मुख्यमंत्री ने कहा कि आने वाले वर्ष में सौर कृषि पंपों की संख्या 10 लाख तक पहुँचाने का लक्ष्य है।
सौर ऊर्जा से 16,000 मेगावाट बिजली उत्पादन
मुख्यमंत्री फडणवीस ने बताया कि कृषि क्षेत्र के लिए सौर ऊर्जा आधारित 16,000 मेगावाट बिजली उत्पादन किया जा सकता है। यह पूरी तरह प्रदूषण-रहित होगी और इसका उत्पादन खर्च भी कम होगा। इससे अन्य क्षेत्रों के लिए बिजली सस्ती दरों पर उपलब्ध होने के साथ-साथ बिजली दरों में हर वर्ष 3 प्रतिशत की कमी संभव होगी।
ऊर्जा क्षेत्र को नई दिशा
उन्होंने बताया कि सौर ऊर्जा के व्यापक उपयोग से उत्पादन कंपनियाँ, वेंडर्स, मजदूर, मेंटेनेंस कार्यकर्ता – लगभग 1 लाख लोगों को रोजगार मिला है। यह योजना ऊर्जा क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन लाने वाली है।
मराठवाड़ा ने निभाई महत्वपूर्ण भूमिका
मराठवाड़ा की सराहना करते हुए उन्होंने बताया कि इस क्षेत्र में योजना का सबसे अधिक लाभ मिला। छत्रपति संभाजीनगर जिले में ही 14,000 पंप स्थापित किए गए। किसानों को बाजार उपलब्धता, नानासाहेब देशमुख कृषि संजीवनी योजना जैसे अन्य लाभ देकर कृषि को टिकाऊ बनाने का प्रयास राज्य सरकार कर रही है।नदी-जोड़ परियोजनाओं से अतिरिक्त बाढ़ का पानी मराठवाड़ा, विदर्भ व उत्तर महाराष्ट्र तक पहुँचाकर दुष्काल पर प्रभावी नियंत्रण किया जाएगा।
“महाराष्ट्र रुकेगा नहीं” – मुख्यमंत्री का संकल्प
मुख्यमंत्री फडणवीस ने राज्य सरकार की वर्षपूर्ति पर जनता का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यह वर्ष जनता को समर्पित रहा। “हमने ऐसे निर्णय लिए जिनसे लोगों के जीवन में मूलभूत परिवर्तन आए। महाराष्ट्र आगे बढ़ता रहेगा, रुकने वाला नहीं,
कार्ल सैबेल ने कहा कि रिकॉर्ड के लिए 35,000 पंप पर्याप्त थे, जबकि महाराष्ट्र ने 45,911 पंप स्थापित कर एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। सभी पंपों की स्थापना से लेकर संचालन तक हर चरण की पुष्टि के बाद यह रिकॉर्ड मान्य किया गया।
“हमारी सरकार किसानों के लिए समर्पित है। खेती टिकाऊ और समृद्ध होने तक हम अपना प्रयत्न जारी रखेंगे,” मुख्यमंत्री ने कहा। कार्यक्रम में राज्यमंत्री मेघना बोर्डीकर और मंत्री अतुल सावे ने भी संबोधित करते हुए कृषि एवं अर्थव्यवस्था में सौर पंप योजना से बड़े परिवर्तन आने की उम्मीद जताई। मुख्यमंत्री ने सौर ऊर्जा उत्पादन के प्रदर्शन का अवलोकन भी किया। प्रास्ताविक लोकेश चंद्रा ने किया तथा धन्यवाद निता पानसरे ने ज्ञापित किया।
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