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पेड़ : तीन संदर्भ

डॉ. विपिन पवार
पुणे (महाराष्ट्र)
संपर्क- 8850781397 

--एक--
हम पेड़ क्यों न हुए?
कम से कम 
सीधे तो खड़े होते,
न सुख की चिंता 
न दु:ख की,
न नौकरी की तलाश
न बीवी न बच्चे,
और न ही मृत्यु का भय
जीवन भर सुख से रहते,
मनुष्य जीवन भर 
हमसे जलता 
और हम उसे 
मृत्योपरांत भी जलाते!

--दो-
राह चलते-चलते 
जब कभी 
थक जाओ,
तो किसी पेड़ की 
घनी, शीतल और शांत 
छाया तलाशो,
और राह में 
कोई पेड़ न मिले,
तो?
तब तक चलते रहो, 
जब तक 
तुम्हारे पैर 
पेड़ न हो जाएं! 

--तीन-
हम पेड़ भी हुए 
तो नागफनी
और कैक्टस के,
न मनुष्य हमें 
गमलों में सजाकर 
अपने ड्राइंगरूम की 
शोभा बढ़ाता है,
न छाया, न फल 
सुन्दरियां हमारे फूलों को 
बालों में नहीं लगातीं,
न हम देवों के 
चरणों में चढ़ाए जाते हैं, 
प्रेमिकाएं हमारी सुगंध 
से विभोर नहीं होती,
मरने पर भी मनुष्य
हमें नहीं स्वीकारता,
इससे अच्छा तो 
हम मनुष्य ही बने रहते!

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