• पारंपरिक कोल्हापुरी कौशल को मिलेगी प्राडा की आधुनिक पहचान
मुंबई, दिसंबर (हड़पसर एक्सप्रेस न्यूज नेटवर्क)भारतीय पारंपरिक चर्मकला—कोल्हापुरी चप्पलों—की विरासत को वैश्विक स्तर तक पहुंचाने के लिए अंतरराष्ट्रीय लग्ज़री ब्रांड प्राडा, लिडकॉम (संत रोहिदास चर्म उद्योग एवं चर्मकार विकास महामंडल) और लिडकार (डॉ. बाबू जगजीवनराम चर्म उद्योग विकास महामंडल) के बीच एक महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए गए। यह करार मुंबई स्थित इतालवी वाणिज्य दूतावास में इटली–भारत व्यापार परिषद की बैठक के दौरान संपन्न हुआ।
इस सहयोग के अंतर्गत सदियों पुरानी कोल्हापुरी चप्पल बनाने की परंपरागत तकनीक को प्राडा की आधुनिक और समकालीन डिज़ाइन शैली के साथ मिलाकर विशेष चप्पलें तैयार की जाएंगी। यह साझेदारी पारंपरिक कोल्हापुरी कला को प्राडा का आधुनिक रूप प्रदान करेगी। यह विशेष कलेक्शन फरवरी 2026 से प्राडा के 40 वैश्विक शोरूम और आधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध होगा।
इस पहल को महाराष्ट्र सरकार का पूर्ण समर्थन प्राप्त है, तथा यह परियोजना मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उपमुख्यमंत्री अजित पवार, सामाजिक न्याय मंत्री संजय शिरसाट और राज्यमंत्री माधुरी मिसाल के सक्रिय मार्गदर्शन में आगे बढ़ाई जा रही है। यह करार प्रधान सचिव एवं लिडकॉम के अध्यक्ष डॉ. हर्षदीप कांबळे के नेतृत्व और लिडकॉम की प्रबंध निदेशक प्रेरणा देशभ्रतार की रणनीतिक योजना के कारण संभव हो पाया है।
सामाजिक न्याय मंत्री संजय शिरसाट ने कहा कि इस एमआयू से अनेक कारीगरों, उद्यमियों और व्यवसायियों को लाभ होगा। इस विशेष कलेक्शन से कारीगरों की कला को नई दिशा मिलेगी और उनके कौशल की वैश्विक स्तर पर पहचान और अधिक मजबूत होगी।
लिडकॉम की प्रबंध निदेशक प्रेरणा देशभ्रतार ने कहा कि यह साझेदारी उन पीढ़ियों को सम्मान देने का प्रयास है, जिन्होंने पारंपरिक कला को जीवित रखा है। एक वैश्विक ब्रांड सीधे महाराष्ट्र और कर्नाटक के कारीगरों के साथ काम कर रहा है, जिससे उनके कौशल को विश्व स्तर पर पहचान और कला का पूरा श्रेय प्राप्त होगा।
लिडकार की प्रबंध निदेशक डॉ. के. एम. वसुंधरा ने कहा कि कोल्हापुरी चप्पलों की परंपरा महाराष्ट्र–कर्नाटक के चप्पलकारों की सदियों पुरानी कला का प्रतीक है। यह सहयोग प्रशिक्षण, रोजगार और वैश्विक अवसरों के नए द्वार खोलेगा।
प्राडा समूह के सामाजिक उत्तरदायित्व विभाग के प्रमुख लोरेंज़ो बर्टेली ने कहा कि यह भागीदारी सांस्कृतिक आदान–प्रदान का नया आयाम है। भारतीय कारीगरों की अतुलनीय कला को आधुनिक दुनिया में उचित स्थान दिलाने के प्रति प्राडा प्रतिबद्ध है।
इस करार में ‘प्राडा मेड इन इंडिया- इन्स्पायर्ड बाय कोल्हापुरी चप्पल्स’ परियोजना की रूपरेखा, क्रियान्वयन प्रक्रिया और संबंधित दिशानिर्देश शामिल हैं। महाराष्ट्र और कर्नाटक के पारंपरिक कुशल कारीगरों की सहायता से यह चप्पलें भारत में ही तैयार की जाएंगी। पारंपरिक निर्माण तकनीकों, प्राडा की आधुनिक डिज़ाइन और प्रीमियम गुणवत्ता वाली सामग्री के मेल से यह कलेक्शन भारतीय विरासत और आधुनिक लक्ज़री फैशन के बीच नए संवाद की शुरुआत करेगा।
पारंपरिक कोल्हापुरी चप्पलें आठ जिलों में बनाई जाती हैं—
· महाराष्ट्र: कोल्हापुर, सांगली, सातारा, सोलापुर
· कर्नाटक: बेलगावी, बागलकोट, धारवाड़, बीजापुर
साल 2019 में कोल्हापुरी चप्पलों को जियोग्राफिकल इंडिकेशन (GI) टैग प्राप्त हुआ, जिसने उनकी असलियत और सांस्कृतिक महत्व को वैश्विक स्तर पर मजबूती प्रदान की।
इस सहयोग के अंतर्गत सदियों पुरानी कोल्हापुरी चप्पल बनाने की परंपरागत तकनीक को प्राडा की आधुनिक और समकालीन डिज़ाइन शैली के साथ मिलाकर विशेष चप्पलें तैयार की जाएंगी। यह साझेदारी पारंपरिक कोल्हापुरी कला को प्राडा का आधुनिक रूप प्रदान करेगी। यह विशेष कलेक्शन फरवरी 2026 से प्राडा के 40 वैश्विक शोरूम और आधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध होगा।
इस पहल को महाराष्ट्र सरकार का पूर्ण समर्थन प्राप्त है, तथा यह परियोजना मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उपमुख्यमंत्री अजित पवार, सामाजिक न्याय मंत्री संजय शिरसाट और राज्यमंत्री माधुरी मिसाल के सक्रिय मार्गदर्शन में आगे बढ़ाई जा रही है। यह करार प्रधान सचिव एवं लिडकॉम के अध्यक्ष डॉ. हर्षदीप कांबळे के नेतृत्व और लिडकॉम की प्रबंध निदेशक प्रेरणा देशभ्रतार की रणनीतिक योजना के कारण संभव हो पाया है।
सामाजिक न्याय मंत्री संजय शिरसाट ने कहा कि इस एमआयू से अनेक कारीगरों, उद्यमियों और व्यवसायियों को लाभ होगा। इस विशेष कलेक्शन से कारीगरों की कला को नई दिशा मिलेगी और उनके कौशल की वैश्विक स्तर पर पहचान और अधिक मजबूत होगी।
लिडकॉम की प्रबंध निदेशक प्रेरणा देशभ्रतार ने कहा कि यह साझेदारी उन पीढ़ियों को सम्मान देने का प्रयास है, जिन्होंने पारंपरिक कला को जीवित रखा है। एक वैश्विक ब्रांड सीधे महाराष्ट्र और कर्नाटक के कारीगरों के साथ काम कर रहा है, जिससे उनके कौशल को विश्व स्तर पर पहचान और कला का पूरा श्रेय प्राप्त होगा।
लिडकार की प्रबंध निदेशक डॉ. के. एम. वसुंधरा ने कहा कि कोल्हापुरी चप्पलों की परंपरा महाराष्ट्र–कर्नाटक के चप्पलकारों की सदियों पुरानी कला का प्रतीक है। यह सहयोग प्रशिक्षण, रोजगार और वैश्विक अवसरों के नए द्वार खोलेगा।
प्राडा समूह के सामाजिक उत्तरदायित्व विभाग के प्रमुख लोरेंज़ो बर्टेली ने कहा कि यह भागीदारी सांस्कृतिक आदान–प्रदान का नया आयाम है। भारतीय कारीगरों की अतुलनीय कला को आधुनिक दुनिया में उचित स्थान दिलाने के प्रति प्राडा प्रतिबद्ध है।
इस करार में ‘प्राडा मेड इन इंडिया- इन्स्पायर्ड बाय कोल्हापुरी चप्पल्स’ परियोजना की रूपरेखा, क्रियान्वयन प्रक्रिया और संबंधित दिशानिर्देश शामिल हैं। महाराष्ट्र और कर्नाटक के पारंपरिक कुशल कारीगरों की सहायता से यह चप्पलें भारत में ही तैयार की जाएंगी। पारंपरिक निर्माण तकनीकों, प्राडा की आधुनिक डिज़ाइन और प्रीमियम गुणवत्ता वाली सामग्री के मेल से यह कलेक्शन भारतीय विरासत और आधुनिक लक्ज़री फैशन के बीच नए संवाद की शुरुआत करेगा।
पारंपरिक कोल्हापुरी चप्पलें आठ जिलों में बनाई जाती हैं—
· महाराष्ट्र: कोल्हापुर, सांगली, सातारा, सोलापुर
· कर्नाटक: बेलगावी, बागलकोट, धारवाड़, बीजापुर
साल 2019 में कोल्हापुरी चप्पलों को जियोग्राफिकल इंडिकेशन (GI) टैग प्राप्त हुआ, जिसने उनकी असलियत और सांस्कृतिक महत्व को वैश्विक स्तर पर मजबूती प्रदान की।
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