प्राचीन भारत विश्व के सबसे विकसित देशों में से एक और एक बड़ी आर्थिक महाशक्ति था। भारत का ज्ञान, परंपरा और संस्कृति ही उसे विश्व में अग्रणी बनाती थीं। यदि इस प्राचीन ज्ञान को आज की आधुनिक तकनीक के साथ प्रभावी रूप से जोड़ा जाए, तो भारत एक बार फिर ‘विश्वगुरु’ बन सकता है, ऐसा विश्वास मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने व्यक्त किया।
वे बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स स्थित ग्रैंड हयात होटल में आयोजित वर्ल्ड इकॉनॉमिक फोरम के उद्घाटन अवसर परमुख्यमंत्री फडणवीस बोल रहे थे। इस अवसर पर मंच पर के पी ग्लोबल के अध्यक्ष राजेश शर्मा, वर्ल्ड इकॉनॉमिक फोरम के संस्थापक अध्यक्ष स्वामी विद्यानंद, जेएसडब्ल्यू ग्रुप के अध्यक्ष सज्जन जिंदाल तथा आईटी मंत्रालय के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं प्रबंध निदेशक शैलेश त्रिवेदी उपस्थित थे।
देश के विकास की दिशा तय करने वाली “इनोवेशन, सेल्फ रिलायंस एंड प्रोस्पेरिटी” (नवाचार, आत्मनिर्भरता और समृद्धि) की संकल्पना पर चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा कि हिंदू केवल एक धर्म नहीं, बल्कि एक जीवन पद्धति और विचारधारा है, जो हजारों वर्षों से जीवित है। अनेक प्राचीन सभ्यताएँ लुप्त हो गईं, लेकिन सिंधु–हिंदू सभ्यता आज भी कायम है। प्रमाणों से सिद्ध होता है कि यह सांस्कृतिक निरंतरता लगभग दस हजार वर्षों से चली आ रही है।
उन्होंने कहा कि भारत नवाचार का मूल स्रोत रहा है। खगोलशास्त्र और भूगोल जैसे विज्ञान प्राचीन भारत में अत्यंत विकसित थे, जिसका उल्लेख वेदों और वेदपूर्व साहित्य में मिलता है। वर्तमान में विश्व पाँचवीं औद्योगिक क्रांति के दौर से गुजर रहा है, जो डिजिटलीकरण के कारण संभव हो रही है। इस क्रांति में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) और डेटा का विशेष महत्व है। इसके लिए उत्पादन क्षेत्र अत्यंत आवश्यक है, क्योंकि उत्पादन ही अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। नवाचार की जड़ें उत्पादन में ही होती हैं और इस क्रांति का नेतृत्व करने की क्षमता भारत के पास है।
मुख्यमंत्री फडणवीस ने माइक्रोसॉफ्ट के प्रमुख सत्या नडेला के हवाले से कहा कि 2030 तक दुनिया में सबसे अधिक डेवलपर्स भारत के होंगे। एआई और डेटा के क्षेत्र में भारत अग्रणी भूमिका निभा रहा है। एआई के कारण उद्योगों में व्यापक बदलाव हो रहे हैं और इस नवाचार का नेतृत्व करने की क्षमता भारत में मौजूद है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘आत्मनिर्भर भारत’ की संकल्पना का उल्लेख करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि 140 करोड़ की आबादी वाले देश के लिए आत्मनिर्भर बनना अनिवार्य है। स्वदेशी उत्पादन और भारतीय कंपनियों के माध्यम से तकनीक का विकास किया जा रहा है। चीन ने जापान की तकनीक का उपयोग कर रिवर्स इंजीनियरिंग की, लेकिन भारत में तकनीक को समझकर आत्मनिर्भर बनने की क्षमता है। तकनीक के महत्व को समझते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई क्षेत्रों में तकनीक हस्तांतरण की शर्तें लागू की हैं।
मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा कि चीन की विस्तारवादी नीतियों के कारण उस पर वैश्विक विश्वास कम हुआ है, जबकि भारत के नेतृत्व और संस्कृति पर दुनिया का भरोसा बढ़ा है। अफ्रीका में विकास की अपार संभावनाएं हैं और जो देश वहां सक्रिय भूमिका निभाएगा, वही वैश्विक नेतृत्व करेगा। भारत और अफ्रीकी देशों के बीच मजबूत संबंध हैं और कई अफ्रीकी देश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपना नेता मानते हैं।
उन्होंने जानकारी दी कि मुंबई में शीघ्र ही 54 अफ्रीकी देशों की मेजबानी के लिए एक भव्य इमारत का निर्माण किया जाएगा। उद्यमियों को अफ्रीका पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है। अफ्रीका प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध है और नई तकनीकों के लिए आवश्यक कच्चा माल वहां उपलब्ध है। यदि अफ्रीका में उत्पादन शुरू होता है, तो वैश्विक अर्थव्यवस्था में बड़ा परिवर्तन आएगा और उसका नेतृत्व भारत करेगा।
पापुआ न्यू गिनी के प्रतिनिधिमंडल द्वारा गैस उत्खनन के लिए भारत को दिए गए निमंत्रण का उल्लेख करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि ये सभी अवसर भारत की प्राचीन वैश्विक सोच की परंपरा का परिणाम हैं। विचारों की शक्ति से विश्व को जोड़ने की यह परंपरा आज भी जीवित है। वर्ल्ड इकॉनॉमिक फोरम जैसे मंच इन सभी प्रयासों को जोड़ने का कार्य कर सकते हैं। इसी व्यापक दृष्टिकोण से वैश्विक व्यापार में 20 प्रतिशत हिस्सेदारी का लक्ष्य भी हासिल किया जा सकता है।
इस अवसर पर श्री सीमेंट के बांगर ग्रुप ने महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले में 2,000 करोड़ रुपये के निवेश हेतु आशय पत्र (इंटेंट लेटर) मुख्यमंत्री फडणवीस को मंच पर सौंपा। यह निवेश राज्य के विकास में जताए गए विश्वास का प्रतीक है।
स्वामी विद्यानंद ने कहा कि इस फोरम का उद्देश्य देश का विकास है और सच्चा विकास तभी संभव है, जब हर नागरिक आर्थिक रूप से सशक्त बने। इसके लिए सभी को आर्थिक विकास की प्रक्रिया में भागीदार बनना होगा।
राजेश शर्मा ने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारत निर्णायक भूमिका निभाने जा रहा है। भारत में नवाचार तेजी से बढ़ रहा है और उत्पादन क्षेत्र में भी देश अग्रणी बन रहा है।
सज्जन जिंदाल ने कहा कि महाराष्ट्र देश का सबसे प्रगतिशील राज्य है। दावोस में हुए तीन लाख करोड़ रुपये के समझौता ज्ञापन अब धरातल पर उतर रहे हैं, जिसका श्रेय मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को जाता है।
इस अवसर पर देशभर के विभिन्न शहरों से बड़ी संख्या में उद्यमी उपस्थित थे।
वे बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स स्थित ग्रैंड हयात होटल में आयोजित वर्ल्ड इकॉनॉमिक फोरम के उद्घाटन अवसर परमुख्यमंत्री फडणवीस बोल रहे थे। इस अवसर पर मंच पर के पी ग्लोबल के अध्यक्ष राजेश शर्मा, वर्ल्ड इकॉनॉमिक फोरम के संस्थापक अध्यक्ष स्वामी विद्यानंद, जेएसडब्ल्यू ग्रुप के अध्यक्ष सज्जन जिंदाल तथा आईटी मंत्रालय के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं प्रबंध निदेशक शैलेश त्रिवेदी उपस्थित थे।
देश के विकास की दिशा तय करने वाली “इनोवेशन, सेल्फ रिलायंस एंड प्रोस्पेरिटी” (नवाचार, आत्मनिर्भरता और समृद्धि) की संकल्पना पर चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा कि हिंदू केवल एक धर्म नहीं, बल्कि एक जीवन पद्धति और विचारधारा है, जो हजारों वर्षों से जीवित है। अनेक प्राचीन सभ्यताएँ लुप्त हो गईं, लेकिन सिंधु–हिंदू सभ्यता आज भी कायम है। प्रमाणों से सिद्ध होता है कि यह सांस्कृतिक निरंतरता लगभग दस हजार वर्षों से चली आ रही है।
उन्होंने कहा कि भारत नवाचार का मूल स्रोत रहा है। खगोलशास्त्र और भूगोल जैसे विज्ञान प्राचीन भारत में अत्यंत विकसित थे, जिसका उल्लेख वेदों और वेदपूर्व साहित्य में मिलता है। वर्तमान में विश्व पाँचवीं औद्योगिक क्रांति के दौर से गुजर रहा है, जो डिजिटलीकरण के कारण संभव हो रही है। इस क्रांति में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) और डेटा का विशेष महत्व है। इसके लिए उत्पादन क्षेत्र अत्यंत आवश्यक है, क्योंकि उत्पादन ही अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। नवाचार की जड़ें उत्पादन में ही होती हैं और इस क्रांति का नेतृत्व करने की क्षमता भारत के पास है।
मुख्यमंत्री फडणवीस ने माइक्रोसॉफ्ट के प्रमुख सत्या नडेला के हवाले से कहा कि 2030 तक दुनिया में सबसे अधिक डेवलपर्स भारत के होंगे। एआई और डेटा के क्षेत्र में भारत अग्रणी भूमिका निभा रहा है। एआई के कारण उद्योगों में व्यापक बदलाव हो रहे हैं और इस नवाचार का नेतृत्व करने की क्षमता भारत में मौजूद है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘आत्मनिर्भर भारत’ की संकल्पना का उल्लेख करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि 140 करोड़ की आबादी वाले देश के लिए आत्मनिर्भर बनना अनिवार्य है। स्वदेशी उत्पादन और भारतीय कंपनियों के माध्यम से तकनीक का विकास किया जा रहा है। चीन ने जापान की तकनीक का उपयोग कर रिवर्स इंजीनियरिंग की, लेकिन भारत में तकनीक को समझकर आत्मनिर्भर बनने की क्षमता है। तकनीक के महत्व को समझते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई क्षेत्रों में तकनीक हस्तांतरण की शर्तें लागू की हैं।
मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा कि चीन की विस्तारवादी नीतियों के कारण उस पर वैश्विक विश्वास कम हुआ है, जबकि भारत के नेतृत्व और संस्कृति पर दुनिया का भरोसा बढ़ा है। अफ्रीका में विकास की अपार संभावनाएं हैं और जो देश वहां सक्रिय भूमिका निभाएगा, वही वैश्विक नेतृत्व करेगा। भारत और अफ्रीकी देशों के बीच मजबूत संबंध हैं और कई अफ्रीकी देश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपना नेता मानते हैं।
उन्होंने जानकारी दी कि मुंबई में शीघ्र ही 54 अफ्रीकी देशों की मेजबानी के लिए एक भव्य इमारत का निर्माण किया जाएगा। उद्यमियों को अफ्रीका पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है। अफ्रीका प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध है और नई तकनीकों के लिए आवश्यक कच्चा माल वहां उपलब्ध है। यदि अफ्रीका में उत्पादन शुरू होता है, तो वैश्विक अर्थव्यवस्था में बड़ा परिवर्तन आएगा और उसका नेतृत्व भारत करेगा।
पापुआ न्यू गिनी के प्रतिनिधिमंडल द्वारा गैस उत्खनन के लिए भारत को दिए गए निमंत्रण का उल्लेख करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि ये सभी अवसर भारत की प्राचीन वैश्विक सोच की परंपरा का परिणाम हैं। विचारों की शक्ति से विश्व को जोड़ने की यह परंपरा आज भी जीवित है। वर्ल्ड इकॉनॉमिक फोरम जैसे मंच इन सभी प्रयासों को जोड़ने का कार्य कर सकते हैं। इसी व्यापक दृष्टिकोण से वैश्विक व्यापार में 20 प्रतिशत हिस्सेदारी का लक्ष्य भी हासिल किया जा सकता है।
इस अवसर पर श्री सीमेंट के बांगर ग्रुप ने महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले में 2,000 करोड़ रुपये के निवेश हेतु आशय पत्र (इंटेंट लेटर) मुख्यमंत्री फडणवीस को मंच पर सौंपा। यह निवेश राज्य के विकास में जताए गए विश्वास का प्रतीक है।
स्वामी विद्यानंद ने कहा कि इस फोरम का उद्देश्य देश का विकास है और सच्चा विकास तभी संभव है, जब हर नागरिक आर्थिक रूप से सशक्त बने। इसके लिए सभी को आर्थिक विकास की प्रक्रिया में भागीदार बनना होगा।
राजेश शर्मा ने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारत निर्णायक भूमिका निभाने जा रहा है। भारत में नवाचार तेजी से बढ़ रहा है और उत्पादन क्षेत्र में भी देश अग्रणी बन रहा है।
सज्जन जिंदाल ने कहा कि महाराष्ट्र देश का सबसे प्रगतिशील राज्य है। दावोस में हुए तीन लाख करोड़ रुपये के समझौता ज्ञापन अब धरातल पर उतर रहे हैं, जिसका श्रेय मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को जाता है।
इस अवसर पर देशभर के विभिन्न शहरों से बड़ी संख्या में उद्यमी उपस्थित थे।
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