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गणतंत्र दिवस के अवसर पर महाराष्ट्र में रहने वाले हिंदी साहित्यकारों की ऑनलाइन काव्यगोष्ठी का किया गया आयोजन

पुणे, जनवरी, (ह.ए. प्रतिनिधि)

24 जनवरी 2021 को 12 बजे  शिक्षा, पर्यावरण एवं साहित्य संवर्धन को समर्पित संस्था श्री विभुगुंज वेलफेयर सोसाइटी, भोपाल द्वारा गणतंत्र दिवस के अवसर पर महाराष्ट्र में रहने वाले साहित्यकारों की एक ऑनलाइन काव्यगोष्ठी का आयोजन किया गया। संस्था की संयोजक/सचिव कीर्ति श्रीवास्तव ने गोष्ठी आयोजन के उद्देश्य पर प्रकाश डाला और कहा कि यह संस्था प्रांतों के साहित्यकारों को एक मंच पर लाने का प्रयास करती आ रही है। महाराष्ट्र में यह पहला प्रयास है। 
गोष्ठी के अध्यक्ष सुप्रसिद्ध साहित्यकार घनश्याम अग्रवाल (अकोला) थे और पूर्व वरिष्ठ राजभाषा अधिकारी मध्य रेल पुणे सत्येंद्र सिंह गोष्ठी में मुख्य अतिथि थे। शालिनी खरे द्वारा स्वागत वक्तव्य प्रस्तुत किया गया। प्रतिभा  श्रीवास्तव द्वारा सरस्वती वंदना प्रस्तुत की गई। काव्य गोष्ठी में महेश शुक्ल (पुणे) ने अपनी रचना कुछ इस प्रकार पेश की स़िर्फ खुद का पता नहीं मिलता, वरना दुनिया में क्या नहीं मिलता। दीपक मोहले (अकोला) ने भारत के अस्तित्व पर बोलते हुए कहा, जहाँ से बढ़कर जो इक जहाँ है हिंदोस्तां है हिंदोस्तां है, जहाँ की धरती आसमां है  हिंदोस्तां है हिंदोस्तां है। ममता जैन (पुणे) ने कुछ यूं बयान किया, शीश कटाकर भी जिनका हाथ तिरंगा थामे है, ऐसे वीर शहीदों को शत् शत् नमन हमारे है। डॉ. प्रेमा शुक्ला (अकोला) की रचना ऐसे शुरू हुई,  आज ले बैठी पुराने एल्बमों को, भूल सी जैसी गई मैं सब ग़मों को। दयाशंकर बिराजदार (सोलापुर) ने कोरोनाकाल को याद किया, दुनिया में अचानक आज क्या से क्या हो गया, कोरोना में अपना भी पराया हो गया। वरिष्ठ पत्रकार  समीर श्रीवास्तव ने अपनी बात इस दोहे से शुरू की, देश प्रेम से है भरा अपना हिंदुस्तान, सब धर्मों का मेल यह जग को बांटे ज्ञान। गोष्ठी के मुख्य अतिथि सत्येंद्र सिंह (पुणे) ने गणतंत्र दिवस 2021 को भूतोनभविष्यति वाला दिवस निरूपित करते हुए कहा कि जिस कोरोनाकाल से निकल भारत उत्साह के साथ गणतंत्र दिवस मना रहा है, वह बहुत ही सराहनीय है। उन्होंने कहा, आज हवा का रुख कुछ बदला सा है, पक्षियों का गान कुछ चहका सा है, मन मोहने वाली तिरंगे की शान है, मित्रो यही तो भारत की पहचान है। 
गोष्ठी के अध्यक्ष  घनश्याम अग्रवाल ने गोष्ठी का अंत करते हुए कहा कि बेताल के इस सवाल पर विक्रम से लेकर अन्ना तक सभी मौन हैं, जब सारा देश भ्रष्टाचार के खिलाफ है तब स्साला भ्रष्टाचार करता कौन है। गोष्ठी का संचालन समीर श्रीवास्तव ने बड़ी कुशलता से किया। प्रकाश बरेसा ने आभार प्रदर्शन किया। ऑनलाइन गोष्ठी से जुड़ने वाले जबलपुर से वरिष्ठ साहित्यकार व समाज सेविका अलका पटेल और ज्येष्ठ नागरिक संघ जांभुलवाडी रोड पुणे के अध्यक्ष चंद्रकांत गुरव का नाम उल्लेखनीय है।

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