सामाजिक कार्यकर्ता महेशदादा नलावडे द्वारा चेतावनी
सामाजिक कार्यकर्ता महेश नलावडे की ओर से मांजरी गांव का महानगरपालिका में समावेश होने पर क्या-क्या फायदे नागरिकों को हो हैं, इस हेतु पत्रक द्वारा प्रबोधन करने की मुहिम शुरू की गई है।
मांजरी, मार्च (ह.ए. प्रतिनिधि)
मांजरी ग्रामपंचायत ना रे बाबा ना ! राजनीतिक ईर्ष्या को समाप्त कर पुणे महानगर पालिका में गाँव का समावेश कर लेना चाहिए। लोगों को जो मूलभूत सुविधाएं चाहिए उसके लिए जूझना पड़ रहा है? आपसी राजनीतिक रंजिश के कारण लोगों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। महानगरपालिका में गाँव का समावेश हुआ तो निश्चित रूप से निवासियों को राहत मिल सकती है और इस हेतु समय पड़ने पर हम लोकतांत्रिक मार्ग से नागरिकों को साथ लेकर जनआंदोलन करेंगे और मांजरी ग्रामपंचायत का महानगरपालिका में समावेश कराने के लिए संघर्ष करेंगे। यह चेतावनी समाजसेवक महेशदादा नलावडे ने दी है।
महादेवनगर मांजरी के सामाजिक कार्यकर्ता महेशदादा नलावडे द्वारा मांजरी गांव का महानगर पालिका में समावेश होने पर क्या-क्या फायदे नागरिकों को मिल सकते हैं इस हेतु अवगत कराने के लिए प्रकाशित किए गए पत्रक द्वारा प्रबोधन करने की मुहिम शुरू की है। इस बारे में अधिक जानकारी देते हुए समाजसेवक महेश नलावडे ने कहा कि मांजरी बुद्रुक का शहरीकरण बढ़ता जा रहा है। इतना बड़ा परिसर व बढ़ती जनसंख्या के कारण इससे आगे अब ग्रामपंचायत सुविधा व विकास कामों को न्याय नहीं दे सकते हैं? दूसरी तरफ देखा जाए तो गांव का महानगर पालिका में समाविष्ट किए जाने पर रास्ते, बिजली, पानी, कचरा, ड्रेनीज व अन्य सुविधाओं के साथ-साथ महानगरपालिका की ओर से प्रदान की जानेवाली शिक्षा, स्वास्थ्य व अन्य सुविधाओं का भी हमें फायदा मिल सकता है। साथ ही हमें गृहनिर्माण पंजीकरण द्वारा आर्थिक विकास के लिए कर्ज मिलने हेतु भी आसानी से मदद मिल सकती है। गांव के नागरिकों को अवगत कराने के लिए जन जागरूकता पर पत्रकों की वितरण प्रणाली शुरू है और महानगरपालिका में प्रवेश हेतु सकारात्मकता बढ़ाने के लिए मदद मिल सकती है।
40 साल की राजनीति में बस पुराने गए और नए आए हैं, इतना ही बस बदलाव हुआ है। टंकी निर्माण की पाइप लाइन बिछाकर रख दी परंतु नल को पानी आया ही नहीं है। कूड़ा-कचरे का व्यवस्थापन शून्य, जगहों का विवाद हल नहीं हो पा रहा है। भ्रष्ट राजनीतिज्ञों के कारण ना ही विकास हुआ, ना ही नए प्रकल्प और ना ही नागरी सुख सुविधा ! राजनीति करके क्या ग्रामीणों की समस्या हल होगी? यह सवाल सामाजिक कार्यकर्ता महेशदादा नलावडे द्वारा पत्रक के माध्यम से पूछा गया है।
गांव का महानगरपालिका में समावेश किया गया तो यहां बड़े-बड़े प्रकल्प आएंगे परंतु अपना राजनीति एकाधिकार खत्म होगा ही और आर्थिक गणित फंस जाएगा। इस डर से ही गांव का महानगरपालिका में समावेश करने हेतु विरोध किया जा रहा है। इसके विरोध में हम लोकतांत्रिक मार्ग व नागरिकों की मदद से जनआंदोलन कर मांजरी ग्राम पंचायत का महानगरपालिका में समावेश करने हेतु संघर्ष करने के लिए कतराएंगे नहीं।
मांजरी, मार्च (ह.ए. प्रतिनिधि)
मांजरी ग्रामपंचायत ना रे बाबा ना ! राजनीतिक ईर्ष्या को समाप्त कर पुणे महानगर पालिका में गाँव का समावेश कर लेना चाहिए। लोगों को जो मूलभूत सुविधाएं चाहिए उसके लिए जूझना पड़ रहा है? आपसी राजनीतिक रंजिश के कारण लोगों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। महानगरपालिका में गाँव का समावेश हुआ तो निश्चित रूप से निवासियों को राहत मिल सकती है और इस हेतु समय पड़ने पर हम लोकतांत्रिक मार्ग से नागरिकों को साथ लेकर जनआंदोलन करेंगे और मांजरी ग्रामपंचायत का महानगरपालिका में समावेश कराने के लिए संघर्ष करेंगे। यह चेतावनी समाजसेवक महेशदादा नलावडे ने दी है।
महादेवनगर मांजरी के सामाजिक कार्यकर्ता महेशदादा नलावडे द्वारा मांजरी गांव का महानगर पालिका में समावेश होने पर क्या-क्या फायदे नागरिकों को मिल सकते हैं इस हेतु अवगत कराने के लिए प्रकाशित किए गए पत्रक द्वारा प्रबोधन करने की मुहिम शुरू की है। इस बारे में अधिक जानकारी देते हुए समाजसेवक महेश नलावडे ने कहा कि मांजरी बुद्रुक का शहरीकरण बढ़ता जा रहा है। इतना बड़ा परिसर व बढ़ती जनसंख्या के कारण इससे आगे अब ग्रामपंचायत सुविधा व विकास कामों को न्याय नहीं दे सकते हैं? दूसरी तरफ देखा जाए तो गांव का महानगर पालिका में समाविष्ट किए जाने पर रास्ते, बिजली, पानी, कचरा, ड्रेनीज व अन्य सुविधाओं के साथ-साथ महानगरपालिका की ओर से प्रदान की जानेवाली शिक्षा, स्वास्थ्य व अन्य सुविधाओं का भी हमें फायदा मिल सकता है। साथ ही हमें गृहनिर्माण पंजीकरण द्वारा आर्थिक विकास के लिए कर्ज मिलने हेतु भी आसानी से मदद मिल सकती है। गांव के नागरिकों को अवगत कराने के लिए जन जागरूकता पर पत्रकों की वितरण प्रणाली शुरू है और महानगरपालिका में प्रवेश हेतु सकारात्मकता बढ़ाने के लिए मदद मिल सकती है।
40 साल की राजनीति में बस पुराने गए और नए आए हैं, इतना ही बस बदलाव हुआ है। टंकी निर्माण की पाइप लाइन बिछाकर रख दी परंतु नल को पानी आया ही नहीं है। कूड़ा-कचरे का व्यवस्थापन शून्य, जगहों का विवाद हल नहीं हो पा रहा है। भ्रष्ट राजनीतिज्ञों के कारण ना ही विकास हुआ, ना ही नए प्रकल्प और ना ही नागरी सुख सुविधा ! राजनीति करके क्या ग्रामीणों की समस्या हल होगी? यह सवाल सामाजिक कार्यकर्ता महेशदादा नलावडे द्वारा पत्रक के माध्यम से पूछा गया है।
गांव का महानगरपालिका में समावेश किया गया तो यहां बड़े-बड़े प्रकल्प आएंगे परंतु अपना राजनीति एकाधिकार खत्म होगा ही और आर्थिक गणित फंस जाएगा। इस डर से ही गांव का महानगरपालिका में समावेश करने हेतु विरोध किया जा रहा है। इसके विरोध में हम लोकतांत्रिक मार्ग व नागरिकों की मदद से जनआंदोलन कर मांजरी ग्राम पंचायत का महानगरपालिका में समावेश करने हेतु संघर्ष करने के लिए कतराएंगे नहीं।

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