महाराष्ट्र में किसानों को प्याज के सही दाम नहीं मिल पा रहे हैं। किसान सरकार से प्याज के उचित दाम की मांग कर रहे हैं। प्याज के दाम को लेकर अब राजनीति शुरू हो गई है। इस मुद्दे को लेकर विपक्षी दल महाराष्ट्र सरकार और केंद्र सरकार पर हमलावर हो गए हैं। मंगलवार (28 फरवरी, 2023) को विपक्षी दल विधानसभा में प्याज लेकर पहुंचे और सरकार से प्याज के उचित मूल्य की मांग की। इस दौरान एनसीपी विधायकों ने गले में प्याज की माला और सिर पर प्याज की टोकरी लेकर विरोध जताया। वे मांग कर रहे हैं कि प्याज के उचित मूल्य मिलें। नेता एक दूसरे को प्याज की मालाएं पहनाते भी नजर आए।
इससे पहले सोमवार को प्याज के थोक भाव कम होने के कारण किसानों ने नासिक के लासलगांव कृषि उत्पाद बाजार समिति (एपीएमसी) में प्याज की बिक्री बंद कर दी थी। इसके बाद प्याज उत्पादक संघ ने सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। प्याज की कीमतों में धीरे-धीरे गिरावट के कारण किसानों ने लासलगांव एपीएमसी में अपना प्रदर्शन किया। इसके परिणामस्वरूप प्याज की नीलामी रुक गई। संगठन की मांग है कि प्याज को सही दाम पर बेचा जाए। 1 रुपये किलो या 2 रुपये किलो पर प्याज की बिक्री के कारण नीलामी बंद कर दी गई।
प्याज की फसल की भारी पैदावार के कारण अन्य राज्यों में भी इसकी कीमतों में गिरावट आ रही है। विरोध कर रहे एक किसान ने कहा कि उन्हें प्याज उगाने के लिए 50,000 रुपये प्रति एकड़ की लागत आती है, जबकि वे नीलामी में बेची गई उपज के लिए केवल 10,000 रुपये से 20,000 रुपये तक ही कमाते हैं। गौरतलब है कि कुछ दिनों पहले स्वाभिमानी शेतकरी संगठन (एसएसएस) ने प्याज की कीमतों में गिरावट का हवाला देते हुए शिरडी-सूरत हाईवे पर चक्का जाम किया था। किसानों ने हड़ताल के दौरान सरकार के खिलाफ अपनी नाराजगी जताई थी।
इसी तरह का विरोध तब देखा गया जब किसान संघ ने राज्य और केंद्र सरकारों और भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ लिमिटेड के खिलाफ अपना गुस्सा दर्ज कराया। महाराष्ट्र में प्याज मुख्य नकदी फसल है। प्याज ही नहीं अन्य सब्जियां भी कम दामों पर बिक रही हैं, जिससे किसानों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
इससे पहले सोमवार को प्याज के थोक भाव कम होने के कारण किसानों ने नासिक के लासलगांव कृषि उत्पाद बाजार समिति (एपीएमसी) में प्याज की बिक्री बंद कर दी थी। इसके बाद प्याज उत्पादक संघ ने सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। प्याज की कीमतों में धीरे-धीरे गिरावट के कारण किसानों ने लासलगांव एपीएमसी में अपना प्रदर्शन किया। इसके परिणामस्वरूप प्याज की नीलामी रुक गई। संगठन की मांग है कि प्याज को सही दाम पर बेचा जाए। 1 रुपये किलो या 2 रुपये किलो पर प्याज की बिक्री के कारण नीलामी बंद कर दी गई।
प्याज की फसल की भारी पैदावार के कारण अन्य राज्यों में भी इसकी कीमतों में गिरावट आ रही है। विरोध कर रहे एक किसान ने कहा कि उन्हें प्याज उगाने के लिए 50,000 रुपये प्रति एकड़ की लागत आती है, जबकि वे नीलामी में बेची गई उपज के लिए केवल 10,000 रुपये से 20,000 रुपये तक ही कमाते हैं। गौरतलब है कि कुछ दिनों पहले स्वाभिमानी शेतकरी संगठन (एसएसएस) ने प्याज की कीमतों में गिरावट का हवाला देते हुए शिरडी-सूरत हाईवे पर चक्का जाम किया था। किसानों ने हड़ताल के दौरान सरकार के खिलाफ अपनी नाराजगी जताई थी।
इसी तरह का विरोध तब देखा गया जब किसान संघ ने राज्य और केंद्र सरकारों और भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ लिमिटेड के खिलाफ अपना गुस्सा दर्ज कराया। महाराष्ट्र में प्याज मुख्य नकदी फसल है। प्याज ही नहीं अन्य सब्जियां भी कम दामों पर बिक रही हैं, जिससे किसानों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।

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