मुख्य समाचार

6/recent/ticker-posts

पंजाब नेशनल बैंक द्वारा केवल अंग्रेजी में लगाए विज्ञापन-महामहिम राष्ट्रपति के आदेशों का उल्लंघन

पुणे, मार्च (हड़पसर एक्सप्रेस न्यूज नेटवर्क)
भारतीय रेलवे के पुणे स्टेशन पर यात्री पुल पर पंजाब नेशनल बैंक के केवल अंग्रेजी में विज्ञापन लगे हैं, जबकि वे हिंदी में भी होने चाहिए। इस संबंध में हमारे  प्रतिनिधि ने रेलवे स्टेशन परिसर में आम जनता के लिए लगाए जाने वाले विज्ञापनों की भाषा के प्रयोग के संबंध में किसी नीति व आदेश के बारे में जानना चाहा तो किसी भी स्तर पर किसी नीति व आदेश न होने की जानकारी मिली। इंटरनेट पर भारतीय रेलवे की वाणिज्य नियमावली देखी गई तो जनसंपर्क विभाग द्वारा आय अर्जित करने के लिए विज्ञापन देने की जानकारी मिली परंतु विज्ञापन की भाषा क्या होनी चाहिए इस संबंध में कुछ नहीं कहा गया है। इसी प्रकार भारतीय रिजर्व बैंक की वेबसाइट पर बैंकों के विज्ञापनों की भाषा के संबंध में खोज की गई तो भाषा के बारे में कुछ नहीं पता चला। भारत सरकार की राजभाषा नीति में भी सरकारी क्षेत्र में लगाए जाने वाले अथवा जारी किए जाने वाले विज्ञापनों की भाषा के बारे में कुछ नहीं कहा गया है। तात्पर्य यह है कि भारत सरकार के सभी मंत्रालयों, राष्ट्रीयकृत बैंकों व उपक्रमों द्वारा आम जनता के लिए जारी विज्ञापनों की भाषा के बारे में कोई निश्चिच नीति व आदेश उपलब्ध नहीं है यानी भारत सरकार की विज्ञापन की भाषा के संबंध में कोई नीति नहीं है। 
लेकिन, गहन खोज के बाद हड़पसर एक्सप्रेस के प्रतिनिधि को इंटरनेट पर भारत सरकार गृह मंत्रालय राजभाषा विभाग का एक परिपत्र संख्या 20012/01/2017-रा.भा. (नीति) दिनांक 30-6-2017  मिला, जिसमें संसदीय राजभाषा समिति के प्रश्न के उत्तर में राष्ट्रपति के आदेश हैं और जो भारत सरकार के सभी मंत्रालयों को जारी किया गया है। इस परिपत्र में लिखा है-- संसदीय राजभाषा समिति के प्रतिवेदन खंड-8 की सिफारिश संख्या 70 पर लिए गए आदेश को अधिक्रमित करते हुए खंड-9 की सिफारिश संख्या 48 एवं 88 पर की गई संस्तुतियाँ इस संशोधन के साथ स्वीकार की जाती हैं कि मंत्रालयों/ विभागों/कार्यालयों/उपक्रमों आदि द्वारा जो भी विज्ञापन अंग्रेजी/क्षेत्रीय भाषाओं में दिए जाते हैं, उन्हें हिंदी भाषा में अनिवार्य रूप से दिया जाएगा।
ज्ञातव्य है कि संसदीय राजभाषा समिति एक अति उच्च संसदीय समिति है और वह सभी मंत्रालयों, भारतीय रिजर्व बैंक सहित सभी राष्ट्रीयकृत बैंकों, सरकारी कंपनियों व उपक्रमों आदि का निरीक्षण करती है और अपनी रिपोर्ट सीधे महामहिम राष्ट्रपति को प्रस्तुत करती है। उसकी रिपोर्ट पर महामहिम राष्ट्रपति आदेश जारी करते हैं जो केंद्र सरकार के सभी मंत्रालयों पर लागू होते हैं, जिसमें रेल व वित्त मंत्रालय भी शामिल हैं।
इस प्रकार इन आदेशों को देखा जाए तो रेल विभाग और पंजाब नेशनल बैंक दोनों द्वारा राष्ट्रपति के आदेशों का उल्लंघन किया है क्योंकि पंजाब नेशनल बैंक ने केवल अंग्रेजी में विज्ञापन जारी किया और रेलवे ने अपने परिसर में केवल अंग्रेजी के विज्ञापन को लगाने दिया।  क्या इस संबंध में कोई जवाबदारी तय करके राजभाषा हिंदी के प्रति इस प्रकार की अवहेलना को रोका जाएगा? और भविष्य में ऐसी अवहेलना न हो इसके लिए कोई ठोस उपाय किया जाएगा? हालांकि यह निर्विवाद सत्य है कि सरकारें और औद्योगिक कंपनियों में विज्ञापनों के जरिए अधिक से अधिक धन अर्जित करने की होड़ लगी है और भाषा से कोई लेना देना नहीं है, परंतु पंजाब नेशनल बैंक ने यह विज्ञापन किसके लिए लगाए हैं क्योंकि जहाँ लगाए गए हैं वहाँ अधिकांशतः आम जनता का आना जाना होता है, जिसे अंग्रेजी से प्रभावित करना विचारणीय प्रश्न है कि क्या सच में अपने देश में अंग्रेजी के विज्ञापन से अधिक धन अर्जित हो सकता है।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ