चौदह दिन में 3700 किमी की यात्रा
पुणे, सितंबर (हड़पसर एक्सप्रेस न्यूज़ नेटवर्क)
अगर आपमें उत्साह, जुनून और दुनिया में कुछ अलग करने की अदम्य इच्छाशक्ति है तो कुछ भी असंभव नहीं है। एमआईटी यूनिवर्सिटी ऑफ आर्ट डिजाइन एंड टेक्नोलॉजी के राष्ट्रीय रोइंग कोच संदीप भापकर ने यह कर दिखाया है। संदीप ने छात्र साईकोंडा के साथ एशिया की सबसे लंबी यात्रा कश्मीर से कन्याकुमारी तक की पूरी करते हुए नशे से मुक्ति का संदेश दिया है। इसके साथ ही उन्होंने 3700 किलोमीटर की इस चुनौतीपूर्ण दूरी को महज 14 दिनों में पूरा करने में कामयाबी हासिल की है।
यात्रा 19 तारीख को कश्मीर के प्रसिद्ध लाल चौक से शुरू हुई, 10 राज्यों, 1 केंद्र शासित प्रदेश और बाइक पंचर, कश्मीर में विभिन्न सेना चौकियों, गर्मी के कारण धूप जैसी चुनौतियों से गुजरते हुए संदीप और साईकोंडा 8 सितंबर को एमआईटी एडीटी तक कन्याकुमारी का झंडा फहराया। इस साइकिल यात्रा के जरिए दोनों ने यह समझाने की कोशिश की कि तंबाकू, शराब, सिगरेट की लत की तुलना में साइकिल की लत शारीरिक स्वास्थ्य के लिए बेहतर है। उनके प्रदर्शन के बाद विश्वविद्यालय के कुलपति एवं कार्यकारी अध्यक्ष प्रा. डॉ. मंगेश कराड, प्रा. डॉ. सुनीता कराड, प्रा. कुलपति डॉ. अनंत चक्रदेव, रजिस्ट्रार डॉ. महेश चोपड़े, डॉ. सुरेश भुयार, प्रा.पद्माकर फड़ ने उनकी प्रशंसा की।
संदीप भापकर विश्वविद्यालय में रोइंग कोच हैं। इस खेल में हाथों और पैरों की ताकत की बहुत जरूरत होती है। उस ताकत (धीरज) को बढ़ाने के लिए संदीप ने साइकिल चलाना शुरू किया। इसकी शुरुआत जेजूरी, सिंहगढ़, पंढरपुर वारी और फिर गोवा जैसे स्थानीय स्थानों के दौरे से हुई। बाद में उन्होंने पुणे से कन्याकुमारी तक 1600 किमी की दूरी भी तय की। अब वह कश्मीर से कन्याकुमारी तक यात्रा का आह्वान कर रहे थे! अंततः योजना तय हुई, जिसके अनुसार दोनों ने अपनी साइकिल का बक्सा पैक किया और स्वतंत्रता दिवस के दिन झेलम एक्सप्रेस से पुणे से निकल पड़े। जम्मू पहुंचने के बाद उन्होंने वहां से श्रीनगर के लाल चौक तक की यात्रा की और पर्यावरण के साथ तालमेल बिठाने के साथ-साथ कई सैन्य चौकियों से होकर गुजरे। लाल चौक से अपनी यात्रा शुरू करके प्रतिदिन 200 से 220 किलोमीटर साइकिल चलाकर बदलते इलाकों के साथ-साथ बदलते लोग, वहां की भाषा, खान-पान, रहन-सहन, ऐतिहासिक पानीपथ, आगरा का लाल किला देखते-देखते भारत का आखिरी छोर कन्याकुमारी में रिकॉर्ड समय में पहुंच गए।
अगर आपमें उत्साह, जुनून और दुनिया में कुछ अलग करने की अदम्य इच्छाशक्ति है तो कुछ भी असंभव नहीं है। एमआईटी यूनिवर्सिटी ऑफ आर्ट डिजाइन एंड टेक्नोलॉजी के राष्ट्रीय रोइंग कोच संदीप भापकर ने यह कर दिखाया है। संदीप ने छात्र साईकोंडा के साथ एशिया की सबसे लंबी यात्रा कश्मीर से कन्याकुमारी तक की पूरी करते हुए नशे से मुक्ति का संदेश दिया है। इसके साथ ही उन्होंने 3700 किलोमीटर की इस चुनौतीपूर्ण दूरी को महज 14 दिनों में पूरा करने में कामयाबी हासिल की है।
यात्रा 19 तारीख को कश्मीर के प्रसिद्ध लाल चौक से शुरू हुई, 10 राज्यों, 1 केंद्र शासित प्रदेश और बाइक पंचर, कश्मीर में विभिन्न सेना चौकियों, गर्मी के कारण धूप जैसी चुनौतियों से गुजरते हुए संदीप और साईकोंडा 8 सितंबर को एमआईटी एडीटी तक कन्याकुमारी का झंडा फहराया। इस साइकिल यात्रा के जरिए दोनों ने यह समझाने की कोशिश की कि तंबाकू, शराब, सिगरेट की लत की तुलना में साइकिल की लत शारीरिक स्वास्थ्य के लिए बेहतर है। उनके प्रदर्शन के बाद विश्वविद्यालय के कुलपति एवं कार्यकारी अध्यक्ष प्रा. डॉ. मंगेश कराड, प्रा. डॉ. सुनीता कराड, प्रा. कुलपति डॉ. अनंत चक्रदेव, रजिस्ट्रार डॉ. महेश चोपड़े, डॉ. सुरेश भुयार, प्रा.पद्माकर फड़ ने उनकी प्रशंसा की।
संदीप भापकर विश्वविद्यालय में रोइंग कोच हैं। इस खेल में हाथों और पैरों की ताकत की बहुत जरूरत होती है। उस ताकत (धीरज) को बढ़ाने के लिए संदीप ने साइकिल चलाना शुरू किया। इसकी शुरुआत जेजूरी, सिंहगढ़, पंढरपुर वारी और फिर गोवा जैसे स्थानीय स्थानों के दौरे से हुई। बाद में उन्होंने पुणे से कन्याकुमारी तक 1600 किमी की दूरी भी तय की। अब वह कश्मीर से कन्याकुमारी तक यात्रा का आह्वान कर रहे थे! अंततः योजना तय हुई, जिसके अनुसार दोनों ने अपनी साइकिल का बक्सा पैक किया और स्वतंत्रता दिवस के दिन झेलम एक्सप्रेस से पुणे से निकल पड़े। जम्मू पहुंचने के बाद उन्होंने वहां से श्रीनगर के लाल चौक तक की यात्रा की और पर्यावरण के साथ तालमेल बिठाने के साथ-साथ कई सैन्य चौकियों से होकर गुजरे। लाल चौक से अपनी यात्रा शुरू करके प्रतिदिन 200 से 220 किलोमीटर साइकिल चलाकर बदलते इलाकों के साथ-साथ बदलते लोग, वहां की भाषा, खान-पान, रहन-सहन, ऐतिहासिक पानीपथ, आगरा का लाल किला देखते-देखते भारत का आखिरी छोर कन्याकुमारी में रिकॉर्ड समय में पहुंच गए।
हमें साइकिल की लत है
मध्य प्रदेश से गुजरते समय तंबाकू से भरे मुंह वाले एक आदमी ने पूछा, ‘जब आधुनिक उपकरण हैं तो साइकिल क्यों और किस लिए?’ इस पर संदीप ने कहा, ‘जैसे आपको तंबाकू की लत है, वैसे ही हमें साइकिल चलाने की लत है। अंतर केवल इतना है कि इसने आपकी जीवन प्रत्याशा को कम रखा है जबकि हम अपनी जीवन प्रत्याशा बढ़ा रहे हैं।’यह यात्रा अनेक अनुभवों से भरपूर रही, जिसमें हमें विविधता से भरे भारत का अद्भुत नजारा देखने को मिला। इसके जरिए हमने नशे की लत के बारे में संदेश देने की कोशिश की है। यह पूरी यात्रा एमआईटी एडीटी विश्वविद्यालय द्वारा प्रदान की गई मानसिक और वित्तीय सहायता के बिना संभव नहीं होती। इसके बाद हमारा उद्देश्य भारत के मानचित्र की रूपरेखा की यात्रा करना है।
(संदीप भापकर, राष्ट्रीय प्रशिक्षक रोइंग)


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