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महाराष्ट्र में राष्ट्रीय शिक्षा नीति का प्रभावी कार्यान्वयन : उच्च एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री चंद्रकांतदादा पाटिल

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन का किया गया उद्घाटन
पुणे, अक्टूबर (जिमाका)
महाराष्ट्र में राष्ट्रीय शिक्षा नीति को प्रभावी ढंग से लागू किया जा रहा है और सभी कॉलेजों को जून 2024 तक इस नीति के अनुसार पाठ्यक्रम लागू करना अनिवार्य है। यह जानकारी उच्च एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री चंद्रकांतदा पाटिल ने दी है। 
भारतीय शिक्षा संस्थान की ओर से सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय, शिवाजी विश्वविद्यालय कोल्हापुर और पुण्यश्लोक अहिल्यादेवी होलकर सोलापुर विश्वविद्यालय के सहयोग से जे.पी. नाईक शिक्षा एवं विकास केंद्र कोथरुड में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय परिषद के उद्घाटन पर मंत्री श्री पाटिल बोल रहे थे। वरिष्ठ शिक्षा विशेषज्ञ प्रा. जे. पी. नाईक की 116वीं जयंती के अवसर पर ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020’ आंतरिक उच्च शिक्षा में सभी घटकों की भूमिकाएं और जिम्मेदारियां’ विषय पर इस सम्मेलन आयोजन किया गया था। इस अवसर पर यहां सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय के कुलगुरू प्रा. डॉ. सुरेश गोसावी, पूर्व कुलगुरू तथा राष्ट्रीय शिक्षा नीति महाराष्ट्र राज्य सुकाणू समिति के अध्यक्ष प्रा. नितिन करमलकर, भारतीय शिक्षण संस्था के अध्यक्ष प्रा. अरुण अडसूल, शिवाजी विश्वविद्यालय मानव्यशास्त्र विद्या शाखा के अधिष्ठाता प्रा. एम. एस. देशमुख, सोलापुर विश्वविद्यालय कॉमर्स मैनेजमेंट के अधिष्ठाता प्रा. शिवाजी शिंदे, भारतीय शिक्षण संस्था के उपाध्यक्ष उदय शिंदे, सदस्य सचिव डॉ. जयसिंग कलके आदि प्रमुख रूप से उपस्थित थे। 
उच्च एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री श्री पाटिल ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की कार्यान्वयन को पिछले डेढ़ साल के दौरान राज्य सरकार ने तेजी लाई है और कार्यान्वयन में देश में महाराष्ट्र पहले स्थान पर है। नीति के कार्यान्वयन के लिए विभिन्न समितियों का गठन किया गया और बैठकें आयोजित की गईं, इसलिए 1 हजार 500 स्नातकोत्तर शिक्षा संस्थानों, विश्वविद्यालयों, स्वायत्त उच्च शिक्षा संस्थानों में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप पाठ्यक्रम का क्रियान्वयन प्रारंभ किया गया है। शेष सभी कॉलेजों को जून 2024 से इस नीति को लागू करना आवश्यक है। इस नीति का उद्देश्य मातृभाषा के माध्यम से शिक्षा प्रदान करना, संस्कृति विकसित करना, कौशल शिक्षा प्रदान करना, भारतीय ज्ञान परंपरा को संरक्षित करना और एक बुद्धिमान पीढ़ी तैयार करना है, जो दुनिया का मार्गदर्शन करेगी।
मंत्री श्री पाटिल ने कहा कि स्व. जे. पी. नाईक ने शिक्षा के क्षेत्र में मौलिक रूप से कार्य किया। यूनेस्को ने 20 वीं सदी की शिक्षा की नींव रखनेवाले एक महान शिक्षाविद के रूप में रवींद्रनाथ टैगोर और महात्मा गांधी के साथ में जे. पी. नाईक का महिमामंडित किया है। जे. पी. नाईक ने गारगोटी कोल्हापुर में स्थापित किए गए श्री मौनी विश्वविद्यालय में शिक्षा और जीवनशैली के लिए एक अंतःविषय दृष्टिकोण विकसित किया। उस समय उनके द्वारा बताए गए दृष्टिकोण को आज शिक्षा में व्यापक रूप में अपनाने के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति उपयोगी साबित होनेवाली है। इस राष्ट्रीय सम्मेलन के उहापोह (नतीजे) राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन में सहायक होंगे। यह विश्वास भी मंत्री श्री पाटिल ने व्यक्त किया। 
संस्था के अध्यक्ष प्रा. अडसूल ने अपने भाषण में उच्च शिक्षा संस्थानों को इस नीति को लागू करते समय सामने आनेवाली समस्याओं, जिम्मेदारियों, अनुभवों, रणनीतियों और समाधानों के लिए एक मंच तैयार करने का प्रयास किया जा है। इस दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन में देश के आठ राज्यों के विभिन्न विश्वविद्यालयों, कॉलेजों और अनुसंधान संस्थानों के 300 से अधिक शोधकर्ताओं, प्रोफेसरों ने भाग लिया है।
प्रा. नितिन करमलकर ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन की प्रक्रिया के पीछे की सोच को समझाया।
चरण 1 में, यह नीति एक स्वायत्त निकाय में लागू की जाएगी, इसमें 50 अभियांत्रिकी संस्थान हैं। एक स्वायत्त संस्थान में कार्यान्वयन के दौरान पाठ्यक्रम विनिर्माण में लचीलापन, छात्रों को पाठ्यक्रम चुनने की स्वतंत्रता महत्वपूर्ण मुद्दे हैं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में अंतःविषय अनुसंधान, एक नई अवधारणा, कल्पना साथ ही, संयुक्त प्रयास भी महत्वपूर्ण हैं, इसका जिक्र उन्होंने किया। उन्होंने कहा कि इस नीति को लागू करते समय सभी हितधारकों को अपना नजरिया बदलने की जरूरत है। इसे लागू करने के लिए सभी को मिलकर प्रयास करना जरूरी है।  इस रणनीति में अनेक अवसरों के साथ-साथ चुनौतियाँ भी हैं।
इस सम्मेलन में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 आंतरिक उच्च शिक्षा में क्रियान्वयन पर चर्चा की जायेगी। साथ ही भाग लेनेवाले शोधकर्ता अपने शोध पत्र भी प्रकाशित करेंगे। यह जानकारी इस अवसर पर दी गई।

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