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पुणे की रियल्टी कंपनी ने 17 कर्मचारियों को किया एक साथ बर्खास्त

कंपनी आर्थिक संकट और उनकी खराब सेहत का दिया हवाला
लंबित वेतन की तुरंत अदायगी जाए, कर्मचारियों की मांग

पुणे, नवंबर (हड़पसर एक्सप्रेस न्यूज नेटवर्क)
पुणे की एक रियल एस्टेट कंपनी इंवेस्टमेंट रियलिटी ग्रुप (IRG) के 17 कर्मचारियों को बीते सप्ताह एक ईमेल के जरिए कंपनी से बर्खास्त कर दिया । कंपनी के संस्थापक संदीप सूरी ने अचानक ईमेल भेजकर कंपनी के ऑपरेशन बंद करने और सभी कर्मचारियों की सेवाएं तत्काल प्रभाव से समाप्त करने की घोषणा कर दी। साथ ही यह भी कह दिया कि कंपनी आर्थिक संकट और उनकी खराब सेहत के चलते अब वेतन देने की स्थिति में नहीं है।जिसके कारण कर्मचारी बेरोजगार हो गए,उनके सामने आर्थिक स्थिति खड़ी हो गई।


एक साथ कर्मचारियों को कंपनी से निकाले जाने से कर्मचारियों में आक्रोश है। कर्मचारियों ने कंपनी के संस्थापक पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा, कि कंपनी ने अनधिकृत भर्ती, कंपनी की वास्तविक पहचान छुपाना, और वित्तीय अनियमितता के बारे में कर्मचारियों से छुपाया है, और अब वो अचानक कंपनी बंद कर भागने के फिराक में है।


हेल्थ  और आर्थिक तंगी का हवाला देते हुए की गई कंपनी बंद

कंपनी के संस्थापक सूरी ने आरोप लगाया कि कर्मचारियों को "उनकी जानकारी के बिना" नियुक्त किया गया था और  कंपनी की क्षमता से ज़्यादा "ज़्यादा वेतन" जैसे दावा करते हुए कि उन्हें अपने कार्यालय में काम करने वाले लोगों के बारे में ही पता नहीं था। इसलिए उन्होंने दावा किया कि कर्मचारियों को उनके बिजनेस पार्टनर विवेक श्रीवास्तव और डायरेक्टर ऑफ सेल्स हरीश शर्मा ने बिना उनकी मंज़ूरी के नियुक्त किया।


परन्तु कर्मचारियों ने संस्थापक के  सभी आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि  "यह एक सरासर झूठ है।" हरीश शर्मा, मानव संसाधन प्रबंधक रुतुजा यादव, सौरभ गुज्जेवार,आदित्य गिरी, निखिल परदेशी और अशोक चंदालिया सहित कर्मचारियों का एक संयुक्त मोर्चा गंभीर सबूतों के साथ सामने आया है। वे स्पष्ट रूप से दावा करते हैं कि सूरी को न केवल नियुक्तियों के बारे में पता था, बल्कि उन्होंने व्यक्तिगत रूप से उन्हें मंज़ूरी भी दी थी।

“सब कुछ उनकी जानकारी में था। निकाले गए कर्मचारियों ने इन दावों को साफ झूठ बताया और इसके सबूत भी दिए। उन्होंने सभी ऑफर लेटर पर संदीप सूरी के हस्ताक्षर, अंतिम इंटरव्यू स्वयं सूरी द्वारा लिया जाना,लभर्ती पैकेज की बातचीत भी उन्होंने तय करने जैसे दस्तावेज पेश किए है। कर्मचारियों का आरोप है कि अब वही कंपनी संस्थापक “हमें जानता भी नहीं” कहकर पल्ला झाड़ने की कोशिश कर रहा है। कर्मचारियों भावुक होते हुए कहा, “यह केवल एक नौकरी नहीं, हमारे परिवारों की रोजी-रोटी का सवाल है,इसलिए हमें हम चाहिए।


“60 दिन का नोटिस या कानूनी कार्रवाई

महाराष्ट्र शॉप्स एंड एस्टॅब्लिशमेंट एक्ट 2017 के अनुसार :
➡ एक महीने का नोटिस अनिवार्य
➡ बिना नोटिस नौकरी समाप्त करना गैरकानूनी

कर्मचारियों की मांगें :

कर्मचारियों का कहना है कि अगर आज ही भुगतान की प्रक्रिया शुरू नहीं हुई, तो वे लेबर कमिश्नर के यहां शिकायत दर्ज करेंगे और IPC धारा 406 (आपराधिक न्यासभंग) व 420 (धोखाधड़ी) के तहत मामला दर्ज करवाएंगे।
इसलिए वो मांग कर रहे है कि
. लंबित वेतन की तुरंत अदायगी
. 60 दिनों की सेवरेंस पे (ग्रॉस सैलरी)
. कंपनी के लिए कर्मचारियों द्वारा किए गए निजी खर्च का रिफंड
. झूठे आरोपों की लिखित वापसी

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