• दिवंगत बी.जी. देशमुख व्याख्यानमाला में भूमिगत मेट्रो निर्माण की यात्रा का किया सविस्तर वर्णन
मुंबई, नवंबर (हड़पसर एक्सप्रेस न्यूज नेटवर्क)मुंबई में सुगम और निर्बाध परिवहन सुनिश्चित करने के लिए मेट्रो और कोस्टल रोड जैसे बड़े बुनियादी प्रकल्पों का महत्व अत्यंत विशिष्ट है। इन परियोजनाओं के दौरान शुरुआती चरण में कानूनी व पर्यावरणीय अनुमतिया, तकनीकी कठिनाइयाँ और नागरिकों की विभिन्न चिंताए-इन सभी चुनौतियों का समाधान सुनियोजित तैयारी, पारदर्शी संवाद, विभिन्न विभागों के समन्वय और जनता की भागीदारी से हुआ, यह जानकारी मुख्यमंत्री कार्यालय की अपर मुख्य सचिव तथा मुंबई मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन की प्रबंध निदेशक अश्विनी भिडे ने दी।
भारतीय लोक प्रशासन संस्थान की महाराष्ट्र शाखा द्वारा आयोजित दिवंगत बी.जी. देशमुख स्मृति व्याख्यानमाला में उन्होंने मेट्रो और कोस्टल रोड परियोजनाओं के पीछे की योजना और कार्यप्रक्रिया का विस्तृत वर्णन किया। सामान्य प्रशासन विभाग (प्रशासनिक नवाचार, उत्कृष्टता एवं सुशासन) के अपर मुख्य सचिव राजेश अग्रवाल मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। संस्थान के अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्य सचिव स्वाधीन क्षत्रिय, मानद सचिव विजय सतबीरसिंह और कोषाध्यक्ष विकास देवधर भी उपस्थित रहे।
अश्विनी भिडे ने भारत की पहली पूर्ण भूमिगत मेट्रो — लाइन 3 (कोलाबा से सीप्ज़) — की संपूर्ण जानकारी प्रस्तुति के माध्यम से दी। उन्होंने बताया कि पूर्ण भूमिगत मेट्रो परियोजना केवल इंजीनियरिंग प्रकल्प नहीं बल्कि सामाजिक अभियांत्रिकी का उत्कृष्ट उदाहरण है। पांच से अधिक वर्षों तक भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों और आवासीय इलाकों में कार्य होने के बावजूद व्यापक संवाद और सोशल मीडिया पर पारदर्शी जानकारी के कारण लोगों का विश्वास बना रहा। सुरक्षा उपायों और उच्च गुणवत्ता वाले कार्यों की बदौलत पूरे निर्माण काल में एक भी अप्रिय घटना नहीं हुई।
उन्होंने बताया कि समय पर परियोजना पूर्ण करने के लिए पूर्व-तैयारी, सक्षम नेतृत्व, त्वरित निर्णय क्षमता, सतत स्थल निरीक्षण, टीमवर्क, आधुनिक तकनीक, नागरिकों से खुला संवाद, समस्या-समाधान दृष्टिकोण और राजनीतिक इच्छाशक्ति—ये सभी प्रमुख कारक सिद्ध हुए। मुंबई पुलिस, मनपा, पोर्ट ट्रस्ट, रेलवे, रक्षा विभाग, एयरपोर्ट प्राधिकरण आदि के समन्वय और मुख्यमंत्री वार रूम के सतत मार्गदर्शन से भी गति प्राप्त हुई।
उन्होंने आगे कहा, मुंबई देश की आर्थिक राजधानी होने के कारण यहाँ निरंतर जनसंख्या का दबाव बढ़ रहा है। शहर की सीमित व संकरी द्वीप-आकृति संरचना के कारण बुनियादी सुविधाओं, विशेषकर परिवहन प्रणाली पर भारी दबाव है। इस दबाव को कम करने के लिए आधुनिक व समग्र उपाय अनिवार्य हैं, जिनमें भूमिगत मेट्रो और कोस्टल रोड जैसे प्रकल्प अत्यंत आवश्यक हैं।
अटल सेतु, मरीन ड्राइव–बांद्रा वर्ली सी लिंक कोस्टल रोड और नवी मुंबई अंतरराष्ट्रीय विमानतल जैसी परियोजनाए पूर्ण हो चुकी हैं। बांद्रा–वर्सोवा, वर्सोवा–दहिसर–भायंदर–उत्तन–वि रार कोस्टल रोड, वर्ली–शिवड़ी कनेक्टर, पश्चिमी द्रुतगति महामार्ग–समृद्धि महामार्ग लिंक, बोरीवली–ठाणे टनल, गोरेगांव–मुलुंड लिंक रोड तथा ऑरेंज गेट–मरीन ड्राइव टनल रोड का कार्य जारी है। भविष्य में विरार–अलीबाग मल्टी-मॉडल कॉरिडोर और वाढवण पोर्ट परियोजनाएँ शुरू होंगी।
अपर मुख्य सचिव राजेश अग्रवाल ने कहा कि मुंबई जैसी जगह में भूमिगत मेट्रो का निर्माण अत्यंत कठिन है, लेकिन महाराष्ट्र ने यह कर दिखाया है। इसकी सफलता देखते हुए दिल्ली में भी मेट्रो को भूमिगत बनाने की मांग बढ़ रही है। ऐसी परियोजनाए नागरिकों को बेहतर सेवाए प्रदान करती हैं। उन्होंने कहा कि प्रशासन को हमेशा जनता का जीवन आसान बनाने के उद्देश्य से कार्य करना चाहिए तथा टीमवर्क और सकारात्मक भावना अत्यंत जरूरी है।
संस्थान के अध्यक्ष स्वाधीन क्षत्रिय ने अतिथियों का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि भूमिगत मेट्रो परियोजना के कारण अश्विनी भिडे का नाम इतिहास में दर्ज होगा।
प्रास्ताविक में सतबीरसिंह ने संस्थान की महाराष्ट्र शाखा द्वारा किए जा रहे कार्यों की जानकारी दी।
भारतीय लोक प्रशासन संस्थान की महाराष्ट्र शाखा द्वारा आयोजित दिवंगत बी.जी. देशमुख स्मृति व्याख्यानमाला में उन्होंने मेट्रो और कोस्टल रोड परियोजनाओं के पीछे की योजना और कार्यप्रक्रिया का विस्तृत वर्णन किया। सामान्य प्रशासन विभाग (प्रशासनिक नवाचार, उत्कृष्टता एवं सुशासन) के अपर मुख्य सचिव राजेश अग्रवाल मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। संस्थान के अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्य सचिव स्वाधीन क्षत्रिय, मानद सचिव विजय सतबीरसिंह और कोषाध्यक्ष विकास देवधर भी उपस्थित रहे।
अश्विनी भिडे ने भारत की पहली पूर्ण भूमिगत मेट्रो — लाइन 3 (कोलाबा से सीप्ज़) — की संपूर्ण जानकारी प्रस्तुति के माध्यम से दी। उन्होंने बताया कि पूर्ण भूमिगत मेट्रो परियोजना केवल इंजीनियरिंग प्रकल्प नहीं बल्कि सामाजिक अभियांत्रिकी का उत्कृष्ट उदाहरण है। पांच से अधिक वर्षों तक भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों और आवासीय इलाकों में कार्य होने के बावजूद व्यापक संवाद और सोशल मीडिया पर पारदर्शी जानकारी के कारण लोगों का विश्वास बना रहा। सुरक्षा उपायों और उच्च गुणवत्ता वाले कार्यों की बदौलत पूरे निर्माण काल में एक भी अप्रिय घटना नहीं हुई।
उन्होंने बताया कि समय पर परियोजना पूर्ण करने के लिए पूर्व-तैयारी, सक्षम नेतृत्व, त्वरित निर्णय क्षमता, सतत स्थल निरीक्षण, टीमवर्क, आधुनिक तकनीक, नागरिकों से खुला संवाद, समस्या-समाधान दृष्टिकोण और राजनीतिक इच्छाशक्ति—ये सभी प्रमुख कारक सिद्ध हुए। मुंबई पुलिस, मनपा, पोर्ट ट्रस्ट, रेलवे, रक्षा विभाग, एयरपोर्ट प्राधिकरण आदि के समन्वय और मुख्यमंत्री वार रूम के सतत मार्गदर्शन से भी गति प्राप्त हुई।
उन्होंने आगे कहा, मुंबई देश की आर्थिक राजधानी होने के कारण यहाँ निरंतर जनसंख्या का दबाव बढ़ रहा है। शहर की सीमित व संकरी द्वीप-आकृति संरचना के कारण बुनियादी सुविधाओं, विशेषकर परिवहन प्रणाली पर भारी दबाव है। इस दबाव को कम करने के लिए आधुनिक व समग्र उपाय अनिवार्य हैं, जिनमें भूमिगत मेट्रो और कोस्टल रोड जैसे प्रकल्प अत्यंत आवश्यक हैं।
अटल सेतु, मरीन ड्राइव–बांद्रा वर्ली सी लिंक कोस्टल रोड और नवी मुंबई अंतरराष्ट्रीय विमानतल जैसी परियोजनाए पूर्ण हो चुकी हैं। बांद्रा–वर्सोवा, वर्सोवा–दहिसर–भायंदर–उत्तन–वि
अपर मुख्य सचिव राजेश अग्रवाल ने कहा कि मुंबई जैसी जगह में भूमिगत मेट्रो का निर्माण अत्यंत कठिन है, लेकिन महाराष्ट्र ने यह कर दिखाया है। इसकी सफलता देखते हुए दिल्ली में भी मेट्रो को भूमिगत बनाने की मांग बढ़ रही है। ऐसी परियोजनाए नागरिकों को बेहतर सेवाए प्रदान करती हैं। उन्होंने कहा कि प्रशासन को हमेशा जनता का जीवन आसान बनाने के उद्देश्य से कार्य करना चाहिए तथा टीमवर्क और सकारात्मक भावना अत्यंत जरूरी है।
संस्थान के अध्यक्ष स्वाधीन क्षत्रिय ने अतिथियों का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि भूमिगत मेट्रो परियोजना के कारण अश्विनी भिडे का नाम इतिहास में दर्ज होगा।
प्रास्ताविक में सतबीरसिंह ने संस्थान की महाराष्ट्र शाखा द्वारा किए जा रहे कार्यों की जानकारी दी।
.jpeg)
0 टिप्पणियाँ