पेंशन एवं पेंशनभोगी कल्याण विभाग (डीओपीपीडब्ल्यू) ने डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र (डीएलसी) अभियान 4.0 का सफलतापूर्वक समापन किया है। डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र जमा करना आसान बनाने के लिए शुरू की गई इस पहल ने विशेष रूप से अति वरिष्ठ पेंशनभोगियों के लिए नवीन तकनीकों का लाभ उठाकर और सभी हितधारकों के साथ व्यापक सहयोग करके महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं। पेंशन एवं पेंशनभोगी कल्याण ने पेंशनभोगियों, पेंशनभोगी कल्याण संघों, पेंशन संवितरण बैंकों, आईपीपीबी, सीजीडीए, रेल मंत्रालय, डाक विभाग, दूरसंचार विभाग, ईपीएफओ, यूआईडीएआई, इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, दूरदर्शन, आकाशवाणी, पीआईबी, पीटीआई, संसद टीवी के साथ सक्रिय सहयोग किया और 1-30 नवंबर, 2025 तक चलने वाले डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र अभियान 4.0 को सफल बनाया।
परिणाम और प्रमुख उपलब्धियां
डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र अभियान 4.0 का शुभारंभ 5 नवंबर, 2025 को राष्ट्रीय मीडिया केंद्र, नई दिल्ली में केन्द्रीय राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह द्वारा किया गया, उन्होंने डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र अभियान 4.0 को नेतृत्व और मार्गदर्शन प्रदान किया।
डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र अभियान 4.0 में बहु-हितधारक दृष्टिकोण शामिल था, जिसमें 19 बैंकों, इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक (आईपीपीबी), रक्षा लेखा महानियंत्रक, डाक विभाग, रेलवे, दूरसंचार विभाग, ईपीएफओ, यूआईडीएआई, इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय और 57 पेंशनभोगी कल्याण संघों का योगदान शामिल था। देश के 2000 शहरों और जिलों में 75 हजार शिविर आयोजित किए गए। 1400 से अधिक नोडल अधिकारियों ने निर्बाध संचालन सुनिश्चित किया, तकनीकी चुनौतियों का समाधान किया और कुशल डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र प्रस्तुतियां सुगम बनाईं। जमीनी स्तर पर सहायता के लिए 1.8 लाख डाकियों की तैनाती की गई।
विभिन्न अभियानों में उपलब्धियां
एसबीआई, आईपीपीबी और पीएनबी जैसे अग्रणी बैंकों ने क्रमशः 22.46 लाख, 4.68 लाख और 3.12 लाख डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र बनाकर अभियान की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। बैंकों ने 250 शहरों में 1250 से अधिक स्थानों पर विशेष शिविर आयोजित किए हैं, जिससे सीमित डिजिटल संसाधनों वाले पेंशनभोगियों को सहायता मिली है। इन प्रयासों से यह सुनिश्चित हुआ कि जिन पेंशनभोगियों के पास स्मार्टफोन या इंटरनेट तक पहुंच नहीं है, वे आसानी से अपना जीवन प्रमाणपत्र जमा कर सकें। कुल मिलाकर, पेंशन वितरण बैंकों ने सामूहिक रूप से अपने लक्ष्य का 53 प्रतिशत से अधिक हासिल किया, जो डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र अभियानों के इतिहास में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। दिसंबर 2025 में जब शेष पेंशनभोगी अपने डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र जमा करेंगे, तब यह प्रतिशत और बढ़ जाएगा।
राज्यों के बीच डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र वितरण
सर्वोत्तम प्रथाएं
जागरूकता बढ़ाने और पेंशनभोगियों को इस प्रक्रिया में मार्गदर्शन देने में 57 संघों ने, विशेष रूप से ग्रामीण और वंचित क्षेत्रों में, महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके प्रयासों ने यह सुनिश्चित किया कि सबसे कमजोर वर्ग भी आसानी से डिजिटल प्रणाली तक पहुंच सकें।
निगरानी और सार्वजनिक पहुंच
पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने 17 राज्यों में जमीनी स्तर पर समीक्षा की और सुचारू कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए 5 मेगा कैंपों (दिल्ली में 3, अहमदाबाद में 1 और चेन्नई में 1) में भाग लिया। नई दिल्ली, अहमदाबाद और चेन्नई में आयोजित प्रत्येक मेगा कैंप में जबरदस्त उत्साह देखा गया। अभियान के दौरान केंद्र सरकार के पेंशनभोगियों, ईपीएफओ पेंशनभोगियों, राज्य सरकार के पेंशनभोगियों और स्वायत्त निकायों के पेंशनभोगियों ने डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र सेवाओं का लाभ उठाया।
मीडिया अभियानों ने 71 पीआईबी वक्तव्यों और 2900 से ज़्यादा ट्वीट्स, डीडी न्यूज़ और संसद टीवी पर टीवी चर्चाओं, और आकाशवाणी पर रेडियो प्रसारणों के ज़रिए इस संदेश को व्यापक रूप से प्रसारित किया। पारंपरिक और डिजिटल मीडिया के ज़रिए 20 करोड़ से ज़्यादा लोगों तक यह संदेश पहुंचा। देश भर में कई सफलता की कहानियाँ प्रस्तुत की गईं, जिन्हें सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से साझा किया गया।
भविष्य की रूपरेखा
पेंशनभोगी कल्याण विभाग को डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र अभियान 4.0 का समन्वय करने और पेंशनभोगी कल्याण में सुधार हेतु सभी हितधारकों के साथ मिलकर काम करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है, जो कि विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में एक कदम है। डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र अभियान 4.0 पेंशनभोगियों के डिजिटल सशक्तीकरण के प्रति पेंशनभोगी कल्याण विभाग की अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाता है। इस गति को आगे बढ़ाते हुए, यह पहल आने वाले वर्ष में और भी बड़ी उपलब्धियों के लिए मंच तैयार करती है।
- डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र अभियान 4.0 देश में पेंशनभोगी कल्याण में सुधार के लिए चलाया गया अब तक का सबसे बड़ा अभियान था, जिसके अंतर्गत 1.54 करोड़ डिजिटल प्रमाणपत्र तैयार किए गए।
- 91 लाख से ज़्यादा डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र जो कुल डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र का 60 प्रतिशत है, फेस ऑथेंटिकेशन तकनीक का इस्तेमाल करके बनाए गए। डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र 3.0 अभियान की तुलना में यह 230 गुना ज़्यादा है। यह अभूतपूर्व तकनीक विशेष रूप से धुंधले फिंगरप्रिंट वाले बुज़ुर्ग पेंशनभोगियों, गतिशीलता संबंधी चुनौतियों का सामना कर रहे दिव्यांगजनों और ग्रामीण व दूरदराज के इलाकों में रहने वाले पेंशनभोगियों के लिए फ़ायदेमंद साबित हुई। डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र अभियान 4.0 की यह उल्लेखनीय उपलब्धि पेंशनभोगियों के बीच आधार-आधारित डिजिटल सत्यापन की बढ़ती स्वीकार्यता को दर्शाती है।
- केंद्रित प्रयासों के परिणामस्वरूप 80 वर्ष और उससे अधिक आयु के पेंशनभोगियों द्वारा 11 लाख से अधिक डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र प्रस्तुत किए गए। बैंकों और आईपीपीबी ने अति वरिष्ठ पेंशनभोगियों के लिए घर तक सेवाएं प्रदान करने में अग्रणी भूमिका निभाई।
- इस अभियान का उद्देश्य एक संपूर्ण कवरेज प्राप्त करना था, जिसका उद्देश्य पूरे देश में पूर्ण कवरेज सुनिश्चित करना था ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई भी पेंशनभोगी वंचित न रहे। बैंकों, डाकघरों और स्वयंसेवी नेटवर्क के सहयोगात्मक प्रयासों ने अभियान के सार्वभौमिक कवरेज मॉडल को बल दिया।
- राष्ट्रीय डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र पोर्टल के माध्यम से हितधारकों के बीच बेहतर प्रणालियों को साझा करना।
- डीडी न्यूज और आकाशवाणी के साथ-साथ संसद टीवी और प्रिंट मीडिया पीटीआई, पीआईबी, सोशल मीडिया ने डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र अभियान 4.0 का व्यापक प्रचार किया। इसके द्वारा देश भर में 200 मिलियन से अधिक लोगों को जागरूक किया गया।
डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र अभियान 4.0 का शुभारंभ 5 नवंबर, 2025 को राष्ट्रीय मीडिया केंद्र, नई दिल्ली में केन्द्रीय राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह द्वारा किया गया, उन्होंने डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र अभियान 4.0 को नेतृत्व और मार्गदर्शन प्रदान किया।
डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र अभियान 4.0 में बहु-हितधारक दृष्टिकोण शामिल था, जिसमें 19 बैंकों, इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक (आईपीपीबी), रक्षा लेखा महानियंत्रक, डाक विभाग, रेलवे, दूरसंचार विभाग, ईपीएफओ, यूआईडीएआई, इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय और 57 पेंशनभोगी कल्याण संघों का योगदान शामिल था। देश के 2000 शहरों और जिलों में 75 हजार शिविर आयोजित किए गए। 1400 से अधिक नोडल अधिकारियों ने निर्बाध संचालन सुनिश्चित किया, तकनीकी चुनौतियों का समाधान किया और कुशल डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र प्रस्तुतियां सुगम बनाईं। जमीनी स्तर पर सहायता के लिए 1.8 लाख डाकियों की तैनाती की गई।
विभिन्न अभियानों में उपलब्धियां
- डीएलसी 1.0 (2022): 37 शहरों को कवर किया गया, 91 लाख जीवन प्रमाणपत्र संसाधित किए गए (मार्च 2023 तक 1.41 करोड़ डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र)।
- डीएलसी 2.0 (2023): 100 शहरों तक विस्तार, 1.17 करोड़ डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र (मार्च 2024 तक 1.47 करोड़ डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र) सृजन।
- डीएलसी 3.0 (2024): 845 शहरों को कवर किया गया, 1.30 करोड़ डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र तैयार किए गए (मार्च, 2025 तक 1.62 करोड़ डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र)।
- डीएलसी 4.0 (2025): 30 नवंबर, 2025 तक, पिछले अभियानों के आधार पर, 1.54 करोड़ से अधिक डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र संसाधित करके उल्लेखनीय सफलता प्राप्त की गई है। मार्च 2026 तक 2.00 करोड़ डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र प्रस्तुतियां प्राप्त करने का लक्ष्य है।
एसबीआई, आईपीपीबी और पीएनबी जैसे अग्रणी बैंकों ने क्रमशः 22.46 लाख, 4.68 लाख और 3.12 लाख डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र बनाकर अभियान की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। बैंकों ने 250 शहरों में 1250 से अधिक स्थानों पर विशेष शिविर आयोजित किए हैं, जिससे सीमित डिजिटल संसाधनों वाले पेंशनभोगियों को सहायता मिली है। इन प्रयासों से यह सुनिश्चित हुआ कि जिन पेंशनभोगियों के पास स्मार्टफोन या इंटरनेट तक पहुंच नहीं है, वे आसानी से अपना जीवन प्रमाणपत्र जमा कर सकें। कुल मिलाकर, पेंशन वितरण बैंकों ने सामूहिक रूप से अपने लक्ष्य का 53 प्रतिशत से अधिक हासिल किया, जो डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र अभियानों के इतिहास में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। दिसंबर 2025 में जब शेष पेंशनभोगी अपने डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र जमा करेंगे, तब यह प्रतिशत और बढ़ जाएगा।
राज्यों के बीच डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र वितरण
- महाराष्ट्र: मजबूत समन्वय और जन जागरूकता अभियानों के माध्यम से 21.87 लाख डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र हासिल किए गए।
- उत्तर प्रदेश: 12.79 लाख डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र का बनाए गए जिससे दूरदराज के क्षेत्रों में भी पहुंच सुनिश्चित हुई।
- तमिलनाडु: नवीन आउटरीच रणनीतियों के माध्यम से 12.64 लाख डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र तैयार किए गए।
- पश्चिम बंगाल: 10.91 लाख डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र प्रस्तुतियां।
- केंद्रीय सिविल: चेहरा प्रमाणीकरण तकनीक के महत्वपूर्ण उपयोग के साथ 8 लाख से अधिक डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र की सुविधा प्रदान की गई।
- रक्षा: सेवानिवृत्त सशस्त्र बल कार्मिकों के लिए 28.38 लाख डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र प्रदान किया गया।
- रेलवे: सेवानिवृत्त कर्मचारियों को सहायता प्रदान करते हुए 6.34 लाख डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र वितरित किए गए।
- डाक विभाग: 2.50 लाख डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र प्रस्तुतियां।
- दूरसंचार: अपने व्यापक नेटवर्क का लाभ उठाते हुए 3.66 लाख डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र बनाए गए।
- यूआईडीएआई और एमईआईटीवाई ने निर्बाध डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र निर्माण सुनिश्चित करने के लिए तकनीकी सहायता प्रदान की।
सर्वोत्तम प्रथाएं
- व्यापक प्रचार और पहुंच: स्थानीय समाचार पत्रों, टीवी चैनलों, दूरदर्शन, आकाशवाणी और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से व्यापक प्रचार किए गए। जागरूकता सुनिश्चित करने के लिए पीआईबी के वक्तव्य और विज्ञापनों के माध्यम से कार्यक्रम-पूर्व घोषणाएं की गई। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अभियान संबंधी लघु फ़िल्में, मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) और जिंगल।
- शिविरों में समर्पित बुनियादी ढांचा और सहायता: बैंकों और अन्य स्थानों पर विशेष डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र काउंटर स्थापित किए गए। उपस्थित लोगों के लिए जलपान जैसी सुविधाओं के साथ आरामदायक बैठने की व्यवस्था। चेहरे की पहचान के बारे में जागरूकता अभियान और संबंधित मोबाइल ऐप डाउनलोड करने और उपयोग करने के बारे में मार्गदर्शन।
- पेंशनभोगियों के लिए बेहतर पहुंच: इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक (आईपीपीबी), बैंकों और पेंशनभोगी कल्याण संघों द्वारा घर-घर सेवाएं, जिनमें वृद्ध और बिस्तर पर पड़े पेंशनभोगियों के लिए घर-घर जाकर सेवाएं शामिल हैं। अधिक मांग वाले क्षेत्रों के लिए अलग काउंटर और गतिहीन पेंशनभोगियों के लिए विशेष व्यवस्थाएं। कई स्थानों पर समर्पित लाउंज और स्वास्थ्य जांच सुविधाएं।
- सहयोगात्मक कार्यान्वयन: बैंक कर्मचारियों, यूआईडीएआई टीमों और पेंशनभोगी कल्याण संघों (पीडब्ल्यूए) की सक्रिय भागीदारी। मौके पर आधार अपडेट और ऐप इंस्टॉलेशन में सहायता। निवेश विकल्पों पर मार्गदर्शन और साइबर धोखाधड़ी से निपटने के बारे में जागरूकता।
- चेहरा प्रमाणीकरण तकनीक पर ध्यान केन्द्रित करना: आसान और तीव्र डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र प्रस्तुतीकरण के लिए चेहरा प्रमाणीकरण ऐप के उपयोग को बढ़ावा दिया गया। शिविरों के दौरान पेंशनभोगियों और रिश्तेदारों के स्मार्टफोन पर ऐप का प्रदर्शन और इंस्टालेशन किया गया।
- अति वरिष्ठ एवं बीमार पेंशनभोगी आउटरीच: 90 वर्ष से अधिक आयु के पेंशनभोगियों और बिस्तर पर पड़े व्यक्तियों सहित सबसे कमजोर समूहों तक पहुंचने के लिए विशेष प्रयास किए गए। यात्रा करने में असमर्थ लोगों के लिए "डाकिया" (डाक कर्मचारी) द्वारा घर का दौरा किया गया।
- दस्तावेज़ीकरण और ज्ञान साझाकरण: सोशल मीडिया और अन्य संचार चैनलों के माध्यम से बेहतर प्रणालियों को प्रलेखित और साझा किया गया। बैंकों को अन्य क्षेत्रों में सफल मॉडल को दोहराने के लिए प्रोत्साहित किया गया।
- नुक्कड़ नाटक: पेंशनभोगियों के बीच जागरूकता फैलाने के लिए उत्तर मध्य रेलवे और सिक्किम सरकार द्वारा डीएलसी में नुक्कड़ नाटकों का आयोजन किया गया।
जागरूकता बढ़ाने और पेंशनभोगियों को इस प्रक्रिया में मार्गदर्शन देने में 57 संघों ने, विशेष रूप से ग्रामीण और वंचित क्षेत्रों में, महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके प्रयासों ने यह सुनिश्चित किया कि सबसे कमजोर वर्ग भी आसानी से डिजिटल प्रणाली तक पहुंच सकें।
निगरानी और सार्वजनिक पहुंच
पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने 17 राज्यों में जमीनी स्तर पर समीक्षा की और सुचारू कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए 5 मेगा कैंपों (दिल्ली में 3, अहमदाबाद में 1 और चेन्नई में 1) में भाग लिया। नई दिल्ली, अहमदाबाद और चेन्नई में आयोजित प्रत्येक मेगा कैंप में जबरदस्त उत्साह देखा गया। अभियान के दौरान केंद्र सरकार के पेंशनभोगियों, ईपीएफओ पेंशनभोगियों, राज्य सरकार के पेंशनभोगियों और स्वायत्त निकायों के पेंशनभोगियों ने डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र सेवाओं का लाभ उठाया।
मीडिया अभियानों ने 71 पीआईबी वक्तव्यों और 2900 से ज़्यादा ट्वीट्स, डीडी न्यूज़ और संसद टीवी पर टीवी चर्चाओं, और आकाशवाणी पर रेडियो प्रसारणों के ज़रिए इस संदेश को व्यापक रूप से प्रसारित किया। पारंपरिक और डिजिटल मीडिया के ज़रिए 20 करोड़ से ज़्यादा लोगों तक यह संदेश पहुंचा। देश भर में कई सफलता की कहानियाँ प्रस्तुत की गईं, जिन्हें सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से साझा किया गया।
भविष्य की रूपरेखा
पेंशनभोगी कल्याण विभाग को डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र अभियान 4.0 का समन्वय करने और पेंशनभोगी कल्याण में सुधार हेतु सभी हितधारकों के साथ मिलकर काम करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है, जो कि विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में एक कदम है। डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र अभियान 4.0 पेंशनभोगियों के डिजिटल सशक्तीकरण के प्रति पेंशनभोगी कल्याण विभाग की अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाता है। इस गति को आगे बढ़ाते हुए, यह पहल आने वाले वर्ष में और भी बड़ी उपलब्धियों के लिए मंच तैयार करती है।

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