नागपुर, दिसंबर (हड़पसर एक्सप्रेस न्यूज नेटवर्क
लाड़की बहन योजना सरकार की लोकाभिमुख और जनकल्याणकारी योजना है और यह किसी भी परिस्थिति में बंद नहीं की जाएगी। हमने यह योजना सकारात्मक भावना से शुरू की थी। यह जानकारी उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने विधानसभा में दी है।
विधानसभा सदस्य सुनील प्रभु, जयंत पाटिल, नानाभाऊ पटोले और हारून शेख ने लाड़की बहन योजना के संबंध में लक्षवेधी सूचना के माध्यम से प्रश्न उठाया था, जिसका उत्तर उपमुख्यमंत्री शिंदे ने दिया।
उपमुख्यमंत्री शिंदे ने बताया कि आचार संहिता के दौरान भी लाभार्थियों को कोई अड़चन न आए, इसलिए अग्रिम निधि उपलब्ध कराई गई थी। लाभार्थी बहनों ने सरकार के कार्यों पर भरोसा दिखाते हुए भारी जनादेश दिया है, इसलिए योजना को कम करना तो दूर, उसे बंद करने का प्रश्न ही नहीं उठता। हमने जो भी घोषणाएँ की हैं, उन्हें समय पर पूरा किया जाएगा, यह आश्वासन भी उन्होंने दिया।
उपमुख्यमंत्री शिंदे ने कहा कि लाड़की बहन योजना राज्य की लाखों महिलाओं के लिए एक बड़ा आधार है और इसका विस्तार तथा लाभ लगातार जारी रहेगा। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि सरकार द्वारा किए गए सभी वादों को पूरा किया जाएगा।
सूचना प्रौद्योगिकी विभाग से प्राप्त 26 लाख आवेदनों की क्रॉस-वेरिफिकेशन के दौरान केवल 4 लाख आवेदनों को पुनः जांच की आवश्यकता पाई गई। बाकी सभी आवेदनों को पात्र लाभार्थी के रूप में पुष्टि की गई।
विभागीय सत्यापन के लिए आवश्यक जानकारी कृषि विभाग की नमो शेतकरी योजना, अन्न व नागरी आपूर्ति विभाग, स्कूल शिक्षा विभाग और सूचना प्रौद्योगिकी विभाग से प्राप्त डेटा के आधार पर की गई। इस डेटा का उपयोग कर लाभार्थियों की गहन जांच की गई।
लगभग 8 हजार सरकारी कर्मचारी (मुख्यतः स्वास्थ्य एवं अन्य विभागों में कार्यरत) जो अपात्र थे, ने योजना का लाभ लिया था। इनसे ली गई राशि की रिकवरी प्रक्रिया पिछले 5-6 महीनों से चल रही है और अगले दो महीनों में पूरी हो जाएगी।
सत्यापन के दौरान यह भी सामने आया कि 12 से 14 हजार महिलाओं के नाम पर पुरुषों (पिता, भाई या पति) के बैंक खाते जुड़े हुए थे क्योंकि उनके पास स्वयं का बैंक खाता नहीं था। विभाग ने ऐसे मामलों की विस्तृत जांच कर यह सुनिश्चित किया है कि कोई भी पात्र महिला लाभ से वंचित न रहे।
लाभार्थियों के सटीक प्रमाणीकरण के लिए शुरू की गई ई-केवाईसी प्रक्रिया में बड़ी प्रगति हुई है। अब तक 1 करोड़ 74 लाख से अधिक महिलाओं की ई-केवाईसी पूरी हो चुकी है। ई-केवाईसी की अंतिम तिथि 31 दिसंबर है और शेष लाभार्थियों के लिए भी यह सुविधा उपलब्ध है।
लाड़की बहन योजना सरकार की लोकाभिमुख और जनकल्याणकारी योजना है और यह किसी भी परिस्थिति में बंद नहीं की जाएगी। हमने यह योजना सकारात्मक भावना से शुरू की थी। यह जानकारी उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने विधानसभा में दी है।
विधानसभा सदस्य सुनील प्रभु, जयंत पाटिल, नानाभाऊ पटोले और हारून शेख ने लाड़की बहन योजना के संबंध में लक्षवेधी सूचना के माध्यम से प्रश्न उठाया था, जिसका उत्तर उपमुख्यमंत्री शिंदे ने दिया।
उपमुख्यमंत्री शिंदे ने बताया कि आचार संहिता के दौरान भी लाभार्थियों को कोई अड़चन न आए, इसलिए अग्रिम निधि उपलब्ध कराई गई थी। लाभार्थी बहनों ने सरकार के कार्यों पर भरोसा दिखाते हुए भारी जनादेश दिया है, इसलिए योजना को कम करना तो दूर, उसे बंद करने का प्रश्न ही नहीं उठता। हमने जो भी घोषणाएँ की हैं, उन्हें समय पर पूरा किया जाएगा, यह आश्वासन भी उन्होंने दिया।
उपमुख्यमंत्री शिंदे ने कहा कि लाड़की बहन योजना राज्य की लाखों महिलाओं के लिए एक बड़ा आधार है और इसका विस्तार तथा लाभ लगातार जारी रहेगा। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि सरकार द्वारा किए गए सभी वादों को पूरा किया जाएगा।
लाड़की बहन योजना के लाभार्थियों के सटीक प्रमाणीकरण के लिए ई-केवाईसी प्रक्रिया में बड़ी प्रगति : महिला व बालविकास मंत्री आदिति तटकरे
लाड़की बहन योजना के लिए कुल 2 करोड़ 63 लाख 83 हजार 589 आवेदन प्राप्त हुए थे। इनमें से 2 करोड़ 43 लाख 82 हजार 936 आवेदन पात्रता के आधार पर विभाग द्वारा स्वीकार किए गए। शेष फॉर्म प्राथमिक जांच में ही अपात्र पाए गए।सूचना प्रौद्योगिकी विभाग से प्राप्त 26 लाख आवेदनों की क्रॉस-वेरिफिकेशन के दौरान केवल 4 लाख आवेदनों को पुनः जांच की आवश्यकता पाई गई। बाकी सभी आवेदनों को पात्र लाभार्थी के रूप में पुष्टि की गई।
विभागीय सत्यापन के लिए आवश्यक जानकारी कृषि विभाग की नमो शेतकरी योजना, अन्न व नागरी आपूर्ति विभाग, स्कूल शिक्षा विभाग और सूचना प्रौद्योगिकी विभाग से प्राप्त डेटा के आधार पर की गई। इस डेटा का उपयोग कर लाभार्थियों की गहन जांच की गई।
लगभग 8 हजार सरकारी कर्मचारी (मुख्यतः स्वास्थ्य एवं अन्य विभागों में कार्यरत) जो अपात्र थे, ने योजना का लाभ लिया था। इनसे ली गई राशि की रिकवरी प्रक्रिया पिछले 5-6 महीनों से चल रही है और अगले दो महीनों में पूरी हो जाएगी।
सत्यापन के दौरान यह भी सामने आया कि 12 से 14 हजार महिलाओं के नाम पर पुरुषों (पिता, भाई या पति) के बैंक खाते जुड़े हुए थे क्योंकि उनके पास स्वयं का बैंक खाता नहीं था। विभाग ने ऐसे मामलों की विस्तृत जांच कर यह सुनिश्चित किया है कि कोई भी पात्र महिला लाभ से वंचित न रहे।
लाभार्थियों के सटीक प्रमाणीकरण के लिए शुरू की गई ई-केवाईसी प्रक्रिया में बड़ी प्रगति हुई है। अब तक 1 करोड़ 74 लाख से अधिक महिलाओं की ई-केवाईसी पूरी हो चुकी है। ई-केवाईसी की अंतिम तिथि 31 दिसंबर है और शेष लाभार्थियों के लिए भी यह सुविधा उपलब्ध है।

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