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रेल मंत्रालय ने ट्रेन दुर्घटनाओं और अप्रिय घटनाओं में शामिल मृत और घायल यात्रियों के आश्रितों को दी जाने वाली अनुग्रह राशि में किया संशोधन

  रेल मंत्रालय ने रेल अधिनियम, 1989 की धारा 124 और 124-ए के साथ पठित धारा 123 के  तहत यथा परिभाषित रेल दुर्घटनाओं और अप्रिय घटनाओं में शामिल मृत और घायल यात्रियों तथा मानवयुक्त लेवल क्रॉसिंग गेट दुर्घटना में रेलवे की प्रथमदृष्टया जिम्मेदारी के कारण दुर्घटना ग्रस्त हुए सड़क उपयोगकर्ताओं के आश्रितों को दी जाने वाली अनुग्रह राहत राशि को संशोधित करने का निर्णय लिया है। संशोधित दरें और संकलित अनुदेश निम्नानुसार हैं:
रेल दुर्घटनाओंअप्रिय घटनाओं और मानव युक्त लेवल क्रॉसिंग गेट दुर्घटनाओं के लिए अनुग्रह राशि

 

 

दुर्घटना का प्रकार

मृत्यु के लिए अनुग्रह राशि

गंभीर चोट के लिए अनुग्रह राशि

साधारण चोट के लिए अनुग्रह राशि

1.

ट्रेन दुर्घटना (जैसा कि रेलवे अधिनियम  1989 की धारा 124 के तहत परिभाषित किया गया है)

रु. 5,00,000/-

(पांच लाख रुपये)

मात्र)

रु. 2,50,000/-

(दो लाख पचास हजार रुपये मात्र)

रु. 50,000/-

(पचास हजार रुपए मात्र)

2.

अप्रिय घटना (जैसा कि रेल अधिनियम 1989 की धारा 124-ए के तहत परिभाषित किया गया है।)

रु. 1,50,000/-

(एक लाख पचास हजार रुपये मात्र)

रु. 50,000/-

(पचास हजार रुपए मात्र )

रु. 5,000/-

(पांच हजार रुपए मात्र)

3.

मानवयुक्त लेवल क्रॉसिंग पर दुर्घटना

(रेलवे की प्रथम दृष्टया देयता के कारण)

रु. 5,00,000/-

(पांच लाख रुपये मात्र)

रु. 2,50,000/-

(दो लाख पचास हजार रुपए मात्र)

रु. 50,000/-

(पचास हजार रुपए मात्र

 

गंभीर रूप से घायल यात्रियों को 30 दिनों से अधिक अस्पताल में भर्ती होने के

 मामले में अतिरिक्त अनुग्रह राशि राहत

 

ट्रेन दुर्घटना के मामले में

अप्रिय घटना के मामले में

 

10 दिन की प्रत्येक अवधि के अंत में या डिस्चार्ज की तारीख पर जो भी पहले हो 3,000/- रुपये प्रतिदिन जारी किए जाएंगे।

10 दिन की प्रत्येक अवधि के अंत में या डिस्चार्ज की तारीख तक 1,500/- रुपये प्रति दिन जारी किए जाएंगे, जो अस्पताल में भर्ती होने के छह महीने तक दिए जाएंगे।

इसके बाद अस्पताल में भर्ती होने के पांच महीने तक दस दिन की प्रत्येक अवधि या डिस्चार्ज होने की तारीख जो भी पहले हो उसके लिए 750 रुपए प्रतिदिन जारी किए जाएंगे।


(ए) गंभीर रूप से घायल यात्री को अस्पताल में भर्ती कराने के लिए एकमुश्त अनुग्रह राशि ऊपर पैरा (एक) में तालिका में जैसा उल्लिखित है पहले 30 दिन तक दी जाएगी।

(बी) गंभीर रूप से घायल यात्री को अनुग्रह राशि देने की अधिकतम अवधि 12 महीने होगी।

 

    यह अनुग्रह राहत विशेष रूप से उन यात्रियों के लिए होगी जो रेल दुर्घटनाओं या अप्रिय घटनाओं में गंभीर रूप से घायल हो जाते हैंजैसा कि रेलवे अधिनियम 1989 की धारा 123 के साथ पठित धारा 124/124-ए में परिभाषित किया गया है।
    30 दिनों से अधिक के लिए इनडोर रोगी के रूप में उपचार की अवधि को शेष 11 महीनों की अवधि तक अनुग्रह भुगतान के उद्देश्य से रेलवे डॉक्टर द्वारा प्रमाणित कराने की आवश्यकता होगी। यदि घायल का रेलवे अस्पताल के अलावा किसी अन्य स्थान पर उपचार चल रहा हैतो उपचार को रेलवे डॉक्टर द्वारा प्रमाणित किया जाना चाहिए।
  प्रारंभिक खर्चों का ध्यान रखने के लिए तत्काल राहत के रूप में अधिकतम 50,000/- रुपये तक की राशि का नकद भुगतान किया जाएगा। शेष राशि का भुगतान अकाउंट पेई चेक/आरटीजीएस/एनईएफटी/किसी अन्य ऑनलाइन भुगतान मोड द्वारा किया जाएगा। रेलवे अनुग्रह राशि/बढ़ी हुई अनुग्रह राशि का जैसा उचित लगे अकाउंट पेई चेक/आरटीजीएस/एनईएफटी/किसी अन्य ऑनलाइन भुगतान मोड के माध्यम से कर सकता है।
  मानव रहित लेवल क्रॉसिंग पर दुर्घटनाट्रेस पासिंगओएचई (ओवर हेड उपकरणद्वारा करंट लगने से हुई दुर्घटना के मामले में सड़क उपयोगकर्ताओं को कोई अनुग्रह राशि देय नहीं होगी। रेल दुर्घटनाओं और अप्रिय घटनाओं के मामले में अनुग्रह राशि के भुगतान को मुआवजे के लिए अंतिम दावे के समय ध्यान में नहीं रखा जाएगामानवयुक्त लेवल क्रॉसिंग गेट दुर्घटना पर रेलवे की प्रथम दृष्टया देयता के कारण दुर्घटना का शिकार होने वाले सड़क उपयोगकर्ताओं को स्वीकार्य अनुग्रह राहत की राशि को देय मुआवजे की राशि में गिना जाएगा। यदि रेलवे के विरुद्ध कानून के तहत कार्रवाई उचित है और न्यायालय द्वारा वास्तव में अधिनिर्णय प्रदान किया जाता है।
   अपनी ड्यूटी के दौरान चलती ट्रेन से मरे या घायल हुए रेलवे कर्मचारियों को भी अनुग्रह राशि का भुगतान किया जाना चाहिएउदाहरण के लिए अगर ट्रैक पर काम करने वाले गैंगमैन को चलती ट्रेन द्वारा कुचल दिया जाता है। ऐसा भुगतान पूछताछ करने के बाद महाप्रबंधक द्वारा नामित एक वरिष्ठ स्केल अधिकारी द्वारा मौके पर ही स्वीकृत/व्यवस्थित किया जाना चाहिएजो घायल व्यक्तियों को चिकित्सा उपस्थिति आदि के माध्यम से तत्काल आवश्यकताओं के बाद मौके पर यथोचित रूप से किया जा सकता है।

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