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फूलों की खेती में नवीनतम तकनीक का प्रयोग करें : कुलगुरू डॉ. प्रशांतकुमार पाटिल

फूलों की फसलों की कटाई उपरांत प्रबंधन पर प्रशिक्षण
पुणे, अक्टूबर (जिमाका)
फूलों के मूल्य संवर्धन की प्रक्रिया के माध्यम से उनके प्राकृतिक रंग, सुगंध प्राप्त करने के साथ-साथ सुखाने की परिष्कृत विधियों का उपयोग करके फूलों को सुखाकर उनके बिक्री मूल्य में वृद्धि करने का प्रयास किया जाना चाहिए। यह अपील महात्मा फुले कृषि विश्वविद्यालय के कुलगुरु डॉ. प्रशांतकुमार पाटिल ने की है। 
फूल उत्पादकों, किसानों, कृषि-उत्पादक कंपनियों और निजी निवेशकों के लिए चुंबक परियोजना के तहत राष्ट्रीय सुगी पश्चिमी प्रौद्योगिकी संस्था (एनआयपीएचटी) तलेगांव दाभाड़े में फूलों की फसल की कटाई के बाद प्रबंधन पर महात्मा फुले कृषि विश्वविद्यालय राहुरी व एनआयपीएचटी द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित दो दिवसीय निवासी प्रशिक्षण के उद्घाटन के अवसर पर कुलगुरू डॉ. पाटिल बोल रहे थे। इस अवसर पर यहां मैग्नेट प्रकल्प के संचालक विनायक कोकरे, अतिरिक्त प्रकल्प संचालक डॉ. अमोल यादव, कृषि महाविद्यालय पुणे के सहयोगी अधिष्ठाता डॉ. सुनिल मासालकर, एनआयपीएचटी के संचालक डॉ. सुभाष घुले आदि उपस्थित थे। 
कुलगुरू डॉ. प्रशांतकुमार पाटिल ने कहा कि सजावट में प्लास्टिक के फूलों का प्रयोग करने से बचें। आधुनिक तकनीक प्राकृतिक फूलों को सुखाकर टिककर रहने की क्षमता बढ़ा सकती है। वह तकनीक सीखें और अपनी आय बढ़ाएं।
श्री कोकरे द्वारा प्रशिक्षण में पुष्प क्षेत्र भ्रमण का महत्व, साथ ही फूलों की बिक्री प्रबंधन पर भी मार्गदर्शन किया। 
डॉ. अमोल यादव ने मैग्नेट प्रोजेक्ट के तहत चल रहे विभिन्न प्रशिक्षणों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। 
प्रास्ताविक में अखिल भारतीय समन्वित पुष्प अनुसंधान परियोजना के सहयोगात्मक अनुसंधान डॉ. रवींद्र बनसोड ने परियोजना के बारे में विस्तार से जानकारी दी।
इस प्रशिक्षण में महाराष्ट्र के विभिन्न जिलों के 50 से अधिक फूल उत्पादक किसानों ने भाग लिया है। प्रशिक्षण में प्रशिक्षुओं को फूलों की खेती के लिए इस्तेमाल में आनेवाले बेहतर कृषि पद्धतियाँ, उर्वरक, जल, कीट एवं रोग प्रबंधन, फूलों की फसलों की कटाई के बाद प्रबंधन और प्रसंस्करण व विक्रय प्रबंधन के विषयों पर विस्तृत मार्गदर्शन दिया जायेगा। प्रशिक्षुओं के लिए अखिल भारतीय समन्वित पुष्प अनुसंधान परियोजना, गणेश खिंड पुणे का एक क्षेत्रीय दौरा आयोजित किया गया है।
इस कार्यक्रम के समन्वयक के रूप में डॉ. विष्णु गरांडे व डॉ. सुभाष भालेकर सहयोगी प्राध्यापक उद्यान विद्या ने काम किया। कार्यक्रम में मैग्नेट प्रोजेक्ट पुणे और एनआईपीएचटी के अधिकारी और कर्मचारी उपस्थित थे।

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