मार्वल दिवा की सखियों ने गणेशोत्सव पर प्रस्तुत किया लेज़िम नृत्य
हड़पसर, सितंबर (हड़पसर एक्सप्रेस न्यूज़ नेटवर्क)
डीजे की आवाज़ पर नाचकर दंगा करने के बजाय, लेजिम खेलों में नृत्य और शारीरिक व्यायाम भी होता है। साथ ही अपनी संस्कृति और सोच को बचाए रखने के लिए ढोल-लेजिम, शिट्टी लेजिम, हल्गी लेजिम जैसे खेलों को अपनाने की जरूरत है। यह विचार डेंटिस्ट डॉ. स्मिता राहुल झांजुर्णे ने व्यक्त किए।
डॉ. स्मिता राहुल झांजुर्णे और नम्रता वाघचौरे ने आगे बोलते हुए कहा कि हड़पसर की मार्वल दिवा सखियों ने लेज़िम नृत्य प्रस्तुत कर गणेशोत्सव मनाया। लेज़िम सिर्फ एक नृत्य नहीं है, बल्कि एक शारीरिक व्यायाम है। नई पीढ़ी को डीजे की तेज आवाज पर डांस करने के बजाय पारंपरिक लेजिम खेल पर डांस कर अच्छी सोच और संस्कार देने की जरूरत है। हाल ही में, बचपन का मोटापा बढ़ गया है, इसे कम करने का ये सबसे अच्छा उपाय है। लेजिम व्यायाम का एक बहुत अच्छा रूप है क्योंकि इसमें अधिकतम शारीरिक गतिविधि शामिल होती है। उन्होंने बताया कि वे पारंपरिक वेशभूषा पहनकर और लेज़िम नृत्य करके महाराष्ट्र की पहचान को संरक्षित करने का अच्छा काम कर रहे हैं। महाराष्ट्र में नैतिकता और संस्कृति की एक महान परंपरा है। डीजे की आवाज पर थिरकने की बजाय लेज़िम जैसे लोक नृत्य कर पारंपरिक लोक नृत्य को बचाए रखने के लिए लेज़िम नृत्य महत्वपूर्ण होता जा रहा है।
पारंपरिक लेज़िम खेल को सफल बनाने के लिए डॉ. स्मिता झांजुर्णे, रश्मि कुमात, नम्रता वाघचौरे, परिमला मतेती, निशा यादव, भावना रमैया, अनीता अय्यर, दीपा शहा सोनिया , कीर्ति गाडेवार आदि ने विशेष प्रयास किये।
डीजे की आवाज़ पर नाचकर दंगा करने के बजाय, लेजिम खेलों में नृत्य और शारीरिक व्यायाम भी होता है। साथ ही अपनी संस्कृति और सोच को बचाए रखने के लिए ढोल-लेजिम, शिट्टी लेजिम, हल्गी लेजिम जैसे खेलों को अपनाने की जरूरत है। यह विचार डेंटिस्ट डॉ. स्मिता राहुल झांजुर्णे ने व्यक्त किए।
डॉ. स्मिता राहुल झांजुर्णे और नम्रता वाघचौरे ने आगे बोलते हुए कहा कि हड़पसर की मार्वल दिवा सखियों ने लेज़िम नृत्य प्रस्तुत कर गणेशोत्सव मनाया। लेज़िम सिर्फ एक नृत्य नहीं है, बल्कि एक शारीरिक व्यायाम है। नई पीढ़ी को डीजे की तेज आवाज पर डांस करने के बजाय पारंपरिक लेजिम खेल पर डांस कर अच्छी सोच और संस्कार देने की जरूरत है। हाल ही में, बचपन का मोटापा बढ़ गया है, इसे कम करने का ये सबसे अच्छा उपाय है। लेजिम व्यायाम का एक बहुत अच्छा रूप है क्योंकि इसमें अधिकतम शारीरिक गतिविधि शामिल होती है। उन्होंने बताया कि वे पारंपरिक वेशभूषा पहनकर और लेज़िम नृत्य करके महाराष्ट्र की पहचान को संरक्षित करने का अच्छा काम कर रहे हैं। महाराष्ट्र में नैतिकता और संस्कृति की एक महान परंपरा है। डीजे की आवाज पर थिरकने की बजाय लेज़िम जैसे लोक नृत्य कर पारंपरिक लोक नृत्य को बचाए रखने के लिए लेज़िम नृत्य महत्वपूर्ण होता जा रहा है।
पारंपरिक लेज़िम खेल को सफल बनाने के लिए डॉ. स्मिता झांजुर्णे, रश्मि कुमात, नम्रता वाघचौरे, परिमला मतेती, निशा यादव, भावना रमैया, अनीता अय्यर, दीपा शहा सोनिया , कीर्ति गाडेवार आदि ने विशेष प्रयास किये।

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